World Water Day 2024: पूरे विश्व का 70 प्रतिशत भाग पानी से घिरा हुआ है यह बात हम सभी जानते हैं, हालांकि इसके बावजूद पीने लायक पानी केवल 3 प्रतिशत है. मनुष्य, जीव-जंतु और पेड़ -पौधे सभी के जिंदा रहने के लिए पानी बेहद जरूरी है. बढ़ती हुई आबादी के चलते आने वाले समय में लोगों को पानी की कमी न हो, इसके लिए उसका संरक्षण करना और पीने योग्य पानी हम सभी के लिए कितना महत्वपूर्ण है, इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस (World Water Day) मनाया जाता है.
क्या था विश्व जल जल दिवस का इतिहास
ब्राजील के रियो डि जेनेरियो में साल 1992 में विकास और अपने वातावरण के मुद्दों पर एक बात करने के लिए संयुक्त राष्ट्र में एक मीटिंग रखी गई थी, जिसमें पहली बार विश्व जल दिवस को मनाने का प्रस्ताव रखा गया था. उसके पश्चात साल 1993 में पहली बार 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया गया था. उसके पश्चात साल 2010 में संयुक्त राष्ट्र में स्वच्छ पेयजल, स्वच्छता के अधिकार और सुरक्षा को मानव के अधिकार का दर्जा दे दिया गया था.
क्या है विश्व जल दिवस को मनाने का महत्व
जल या पानी हम सभी के लिए जरूरी है. बिना पानी के जीना असंभव है. ‘जल है, तो जीवन है.’ यह लाइन तो आप लोगों ने अपनी किताबों में कई बार पढ़ी होगी. परंतु इसके बावजूद हम सभी अनजाने में कई तरह से पानी का दुर्पयोग करते हैं. बढ़ती हुई जनसंख्या के चलते आने वाले समय में पानी की कमी होना निश्चित है.
इसके अलावा जिस तरह से देश में फैक्ट्रियों की संख्या में बढ़त हुई है और उनमें से निकलने वाले कूड़े-कचरे से पानी को दूषित किया जा रहा है. ऐसे में आने वाले समय में धरती में पीने योग्य पानी बचे रहना होता मुश्किल है. इन सभी बातों के बारे में लोगों को जागरूक करना, और पानी हमारे लिए कितना जरूरी है, इन सभी के महत्व को समझाने के लिए हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है.
क्या है इस साल विश्व जल दिवस की थीम
इस साल 2024 में विश्व जल दिवस मनाने के लिए अनोखी और स्पेशल थीम रखी गई है. ‘शांति के जल का लाभ उठाना’ (Leveraging Water For Peace) इस बार की थीम है. जिसका उद्देश्य लोगों को यह बताना है कि जब देश और समुदाय जल संसाधनों की मिलकर मदद करते हैं, तो पानी एक शांति का प्रतीक बन सकता है.
क्या कहती हैं UN की रिपोर्ट
संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट के मुताबिक भारत में जल के संकट का स्तर बढ़ता ही जा रहा है. साल 2025 तक भारत के उत्तर पश्चिमी इलाके में पानी की कमी का भूजल संकट आने का अनुमान लगाया गया है. जल संसाधन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार भारत में हर साल 1,121 बिलियन क्यूबिक के करीब स्वच्छ पानी का इस्तेमाल होता है. इसके अलावा भारत में पानी पीने वालों की संख्या साल 2025 तक 1093 बीसीएम और साल 2050 तक यह संख्या बढ़कर 1447 बीसीएम तक पहुंच सकती है.
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