आपने ममी के बारे में तो सुना होगा… जी हां वहीं मुर्दे जिन्हें रासायनिक पदार्थ या मसाला लगाकर एक ताबूत में रखा जाता था ताकी उसकी स्वचा और शरीर के अंगों को सैकड़ों वर्षों तक नष्ट होने से बचाया जा सके. प्राचीन मिस्र में लोगों का मानना था कि अगर शरीर को संरक्षित करके नहीं रखा गया तो आत्मा संसार में भटकती रहेगी और लोगों को नुकसान पहुंचाएगी. ये प्रथा थी मिस्र की लेकिन आज हम आपको दक्षिण अमेरिका के 500 साल पूर्व की एक प्रथा और बलि दी गई एक लड़की के बारे बताने जा रहे हैं. यह 15 वर्षीय लड़की इंका साम्राज्य में रहती थी और 500 साल पहले देवताओं को भेंट के रूप में उसकी बलि दे दी गई थी.
इस लड़की का शरीर आज भी संरक्षित रह गया. वैज्ञानिकों के अनुसार इसके पीछे कारण था कि वह नींद के दौरान जमी हुई थी और पूरे समय समुद्र तल से 6000 मीटर से अधिक ऊपर सूखी ठंडी स्थिति में रखी गई थी. उसे किसी अन्य उपचार की आवश्यकता नहीं थी.
इस लड़की के शव को 1999 में उत्तर-पश्चिमी अर्जेंटीना में लुल्लाइलाको ज्वालामुखी के शीर्ष के पास पाया गया, वह सबसे अच्छी संरक्षित ममियों में से एक होने के लिए एक पुरातात्विक क्रांति थी, क्योंकि उसके शरीर में खून भी था और उसके आंतरिक अंग बचे हुए थे.
जब से इस लड़की के अवशेषों को खोजा गया, तब से ही इसे आइस मेडेन, जुआनिटा और लेडी ऑफ एम्पाटो का नाम दिया जाने लगा. बर्फ में दबी मिली इस लड़की को लेकर बहुत कम जानकारी थी. लेकिन बीते वर्ष स्वीडिश कलाकार ऑस्कर निल्सन और वारसॉ यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर एंडियन स्टडीज और सांता मारिया के कैथोलिक यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स की एक टीम ने जुआनिटा के चेहरे का 3डी रिकंस्ट्रक्शन किया, यानी कि उसका चेहरा बनाया.
सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, पेरू में एंडियन सैंक्चुअरी संग्रहालय में एक प्रदर्शनी लगाई गई. इस प्रदर्शनी में जुआनिटा के चेहरे को दुनिया के सामने पेश किया गया. इस प्रदर्शनी में जुआनिटा और उसकी जिंदगी को लेकर तमाम तरह के राजों से पर्दा हटाया गया. इसमें बताया गया कि किस तरह से इस युवा लड़की की बलि दे दी गई थी. यहां वैज्ञानिकों ने ये भी बताया कि पेरू के एंडीज पर्वत की चोटियों पर कई सारी ममी बरामद की गई हैं, जिन्हें रिकवर किया जा रहा है.
दरअसल, सन 1200 से लेकर 1533 तक दक्षिण अमेरिका में इंका साम्राज्य का राज हुआ करता था. ये साम्राज्य पेरू और चिली तक फैला हुआ था. इस साम्राज्य का सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक प्रतिष्ठान कैपाकोचा था, जिसमें इंसानों की बलि दी जाती थी. इस प्रतिष्ठान को करने का उद्देश्य था, देवी-देवताओं को खुश करना. वैज्ञानिकों के अनुसार, जुआनिटा की बलि देवी-देवताओं को खुश करने के लिए ही दी गई थी, ताकि प्राकृतिक आपदाओं से साम्राज्य बचा रहे.
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