देशभर में लोकसभा चुनाव-2024 की तिथियों के एलान के साथ ही जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक तैयारियां तेज हो गई हैं. सभी पार्टियां प्रचार-प्रसार के लिए पूरी तरह तैयार हैं. प्रदेश में केवल भारतीय जनता पार्टी ने ही फिलहाल अपने दो उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की है और आने वाले एक दो दिनों में अन्य दल भी अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर सकते हैं. भाजपा ने उधमपुर-डोडा-कठुआ लोकसभा सीट पर केन्द्र में राज्यमंत्री व सांसद जितेन्द्र सिंह को उतारा है और जम्मू-रियासी लोकसभा सीट से सांसद जुगल किशोर को टिकट दिया है. यह दोनों सांसद इन सीटों पर दो बार जीत हासिल करने के बाद तीसरी बार चुनाव लड़ने जा रहे हैं.
जम्मू-कश्मीर में शहरों से लेकर गांवों तक लोकसभा व विधानसभा चुनावों को लेकर चर्चा व तैयारियां तेज हो गई हैं. जम्मू-कश्मीर के लोगों व राजनीतिक दलों के क्या-क्या मुद्दे होंगे और वह किस पार्टी को समर्थन देंगे इसे लेकर लोगों का अपना-अपना मत है.
भारतीय जनता पार्टी के राजनीतिक मुददों में राज्य से धारा 370 व 35ए को हटाये जाना व विकास सबसे अग्रणी मुद्दे हैं. धारा 370 हटाये जाने के बाद आतंकवाद, अलगावाद व आतंकी गतिविधियों में लिप्त आतंकी सहयोगियों पर चौतरफा कार्रवाई करना और प्रदेश में स्थापित होती शांति मुख्य मुद्दा रहेगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश के साथ जम्मू-कश्मीर में हुए अपूर्व विकास व केन्द्रीय योजनाओं को भुनाया जायेगा. धारा 370 के समाप्ति के बाद महिलाओं को उनका हक दिलाना, बाल्मिीकी समाज व गोरखा समाज को नागरिकता व बराबरी का हक, पश्चिमी पाक रिफ्ूजियों को प्रदेश में मतदान का अधिकार, पीओजेके रिफूजियों को सहायता राशि व राजनीति में आरक्षण, पहाड़ी समुदाय को 10 प्रतिशत व गुज्जर बक्करवाल समुदाय को 10 प्रतिशत आरक्षण, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति को आरक्षण, प्रदेश में विकास कार्य जिनमें तेजगति से सड़कों का जाल, रेल व हवाई सेवा में बड़ी छलांग, प्रदेश में मिले दो आईआईएम, आईआईटी, एम्स यह सभी ऐसे मुद्दे हैं जो प्रदेश की राजनीति में छाये रहेंगे.
नेशनल कांफ्रेस नेकां- डा. फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली नेशनल कांफ्रेंस धारा 370 के हटाये जाने व राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों में बांटे जाने का विरोध करती आई है और अब चुनावों के दौरान भी धारा 370 व 35ए की समाप्ति का विरोध, प्रदेश को पुनः पूर्ण राज्य का दर्जा, सामाजिक, राजनीतिक व सांस्कृतिक पहचान को बनाये रखने के दावे, स्थानीय लोगों का ही जमीनों व नौकरियों पर हक, बाहरी राज्यों के लोगों को अधिकार न दिये जाने जैसे मुद्दे उसकी राजनीतिक मुद्दों में शामिल रहेंगे. सीटों के तालमेल पर फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि पीपुल्स एलायंस फार गुपकार डिक्लेरेशन ’’पीएजीडी’’ व आइएनडीआइए के साथ कोई मतभेद नहीं है. कश्मीर में तीनों सीटों पर नेकां चुनाव लड़ रही है. पिछले संसदीय चुनाव में भी यह तीनों सीटें नेकां ने जीती थीं और यह आइएनडीआइए की ही सीटें हैं और नेकां इन पर पर चुनाव लड़कर जीत हासिल करेगी जो आइएनडीआइए की ही जीत होगी.
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी पीडीपी:- महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ’’पीडीपी’’ जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 व 35ए को हटाये जाने को लेकर हमेशा से मुखर रही है और महबूबा मुफ्ती भी इसे व देश की नरेन्द्र मोदी सरकार को लेकर कई बार अपतिजनक टिपण्यिां करती आई हैं. इसे लेकर उन्होंने सुप्रीम कोट तक के फैसले को यह कहकर नकार दिया कि सुप्रीम कोट का फैसला कोई भगवान का फैसला नहीं हैं हम अपनी जद्दोजहद आखिरी दम तक जारी रखेंगे. जो हमारा खोया हुआ हक है उसे हम सूद सहित हासिल करेंगे. उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने धारा 370 पर फैसला दिया है कि जम्मू-कश्मीर को मिला यह विशेष दर्जा स्थायी नहीं बल्कि अस्थायी था.
महबूबा ने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोगों ने कई सालों से जद्दोजहद की और इसमें हमें जान-माल का बहुत नुकसान हुआ है तो उन कुर्बानियों को हम जाया नहीं जाने देंगे. सेना, भाजपा की कार्यप्रणाली, स्थानीय लोगों के हक, अलगाववादी मुस्लिम संगठनों पर कसता केन्द्र का शिंकजा और प्रतिबंध, ईडी के दुरूउपोग जैसे कई मुद्दे पीडीपी की राजनीतिक में शामिल रहेंगे.
कांग्रेस:- प्रदेश कांग्रेस प्रदेश व केन्द्र स्तर पर मोदी सरकार के किए कार्यों को नकारने के साथ ही गरीबों के हक के मुददे उठायेगी. ईडी, सीबीआई के दुरूोपोग, प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा, बेरोजगारी, महंगाई जैसे मुद्दे आम रहेंगे. जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष विकार रसूल के नेतृत्व में प्रदेश कांग्रेस गुलाम नवी आजाद की नई पार्टी को भी निशाना बनायेगी.
अन्य दल:- अपनी पार्टी के चेयरमैन बुखारी कई मुददों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की तारीफ कर चुके हैं. पीपुल्स कांफ्रेस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अपना बड़ा भाई कहते हैं. लोन पीएजीडी में भी शामिल रहे हैं लेकिन उन्होंने यह कहकर किनारा कर लिया था कि नेकां व पीडीपी सहित जो भी दल इसमें शामिल है उन्हें कश्मीरियों से ज्यादा अपने निजी हितों की चिंता है. गुलाम नबी आजाद भी कांग्रेस और पीडीपी के मुखर आलोचक हैं. लोन ने पहले ही बारामुला-कुपवाड़ा संसदीय सीट से चुनाव लड़ने का एलान किया है. श्रीनगर-गांदरबल, अनंतनाग-राजौरी और जम्मू संभाग की अन्य दो सीटों के लिए वह पहले ही समान विचारधारा वाले दल के उम्मीदवार को समर्थन देने की इच्छा जता चुके हैं. अपनी पार्टी ने अभी तक किसी भी सीट के लिए अपना कोई उम्मीदवार तय नहीं किया है.
स्थानीय लोगों के मुद्दों में बेरोजगारी, महंगाई, प्रदेश में सरकारी नौकरियों व जमीनों पर उनका स्थायीय हक, प्रदेश को पुनः पूर्ण राज्य का दर्जा इत्यादि मुद्दे शामिल रहेंगे. सीमावर्ती क्षेत्रों में सरकारी व कस्टोडियन भूमि पर खेती व मालिकाना हक मुख्य मुद्दा रहेगा. स्थानीय लोगों का कहना है कि सीमावर्ती क्षेत्र में वह 60 वर्षों से सरकारी व कस्टोडियन भूमि पर खेती करते आ रहे हैं. इस दौरान पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध और पाकिस्तान की ओर से होने वाली आकारण गोलीबारी के कारण बार-बार आकर सीमा पर जंगल हो चुकी भूमि को आबाद करते रहे जब भूमि खेती करने लायक हुई तो उस का मालिकाना हक देने के बजाए उन्हें रिकॉर्ड में बेदखल कर दिया गया है.
अंतर्रराष्टृीय सीमा पर रहने वाले लोगों को मिले आईबी आरक्षण में 10 मिलोमीटर के दायरे के लोगों को भी शामिल करना लोगों को पच नहीं रहा है. उनका कहना है कि अंतर्रराष्टृीय सीमा से 3 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोगों को ही यह हक मिलना चाहिए क्योंकि 10 किलोमीटर के दायरे वाले लोगों को तो हर सुविधा मिली थी उनके बच्चों को न तो पढ़ने में कोई असुविधा हुई और न ही शिक्षक संस्थानों की. उन्होंने न तो गोलीबारी देखी और न ही उन्हें बार-बार पाक गोलीबारी के दौरान उजड़ना पड़ा. अंतर्रराष्टृीय सीमा पर हमेशा जान हथेली पर रख कर उन्होंने खेतीबाड़ी व जीवनज्ञापन किया है और उनके बच्चों को शिक्षा के लिए कई मील चलकर जाना पड़ा है ऐसे में उनका मुकाबला 10 मिलोमीटर के अंदर आने वाले बच्चों के साथ कैसे हो सकता है.
उनका कहना है कि सीमावर्ती क्षेत्र में पिछले वर्षों से विकास तो हुआ है, सड़कें व बंकर भी बन रहे हैं लेकिन 80 फीसद किसानों के पास मालिकाना भूमि नहीं है. प्रति परिवार को छह एकड़ भूमि का मालिकाना हक देने के की मांग को लेकर वह संघर्ष करते आ रहे हैं.
नया गठजोड़:- जम्मू-कश्मीर की राजनीति में अब एक नया गठजोड़ आकार लेने लगा है. डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद और पीपुल्स कान्फ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी के रूप में एक नया गठजोड़ सामने आ सकता है.
जम्मू-कश्मीर में पीपुल्स एलांयस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन पीएजीडी और आईएनडीआई एलायंस के खिलाफ खड़े हो रहे इस संभावित गठबंधन से कश्मीर घाटी में भारतीय जनता पार्टी को भी मुश्किल में डाल सकता है.
इस संबंध में डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद और पीपुल्स कान्फ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन के बीच बैठक भी हो चुकी है. जम्मू कश्मीर की राजनीति में पीपुल्स कान्फ्रेंस वर्ष 1978 से सक्रिय है और यह उत्तरी कश्मीर में अच्छा खासा प्रभाव रखती है. जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी का गठन पीडीपी से अलग होने के बाद पूर्व वित्त मंत्री सैयद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी ने वर्ष 2020 में किया है और इसमें पीडीपी के कई पुराने दिग्गज नेता शामिल हैं जिनका प्रदेश के विभिन्न जिलों में अपना मजबूत जनाधार है.
डीपीएपी का गठन पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने वर्ष 2022 में किया है. यह तीनों दल बेशक भाजपा की आलोचना करते हैं लेकिन राजनीतिक आधार पर भाजपा से कहीं ज्यादा नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी का विरोध करते हैं. इनके लिए पीडीपी और नेकां ही कश्मीर में आतंकी हिंसा, अलगाववाद और अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के लिए जिम्मेदार हैं.
जम्मू-कश्मीर एक नजर में:-
जम्मू-कश्मीर में लोकसभा की पांच सीटे हैं जिनमें से कोई भी सीट आरक्षित नहीं है. 86.9 लाख वोटर हैं जिनमें से 44.34 लाख पुरूष, 42.55 लाख महिलायें, 158 मंगलामुखी, 67400 दिव्यांग, 77290 वरिष्ठ नागरिक, 2886 सौ साल की आयु पूरी कर चुके वोटर, 76800 सर्विस वोटर, 3.4 लाख 18 से 19 साल की आयु के वोटर शामिल हैं.
विधानसभाकी 114 सीटे हैं जिनमें से 24 पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर के लिए आरक्षित हैं. केवल 90 सीटों पर ही मतदान होना हैं जिनमें से 74 सीटे सामान्य, 9 अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित व 7 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं.
साभार – हिन्दुस्थान समाचार
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