भोपाल: मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ के आदेश पर धार की ऐतिहासिक भोजशाला का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) द्वारा किया जा रहा वैज्ञानिक सर्वे छठे दिन बुधवार को भी जा रहा. एएसआई के दिल्ली और भोपाल के अधिकारियों की टीम ने करीब नौ घंटे भोजशाला में जांच कर विभिन्न साक्ष्य जुटाए. सर्वे के दौरान हिंदू समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले आशीष गोयल और गोपाल शर्मा के साथ ही मुस्लिम समुदाय के नेता अब्दुल समद एएसआई दल के साथ मौजूद रहे.
धार में स्थित भोजशाला कितनी पुरानी है और यह मंदिर है या फिर मस्जिद, इस बात का पता लगाने के लिए यहां पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा सर्वे किया जा रहा है. सर्वे के छठे दिन बुधवार को सुबह सर्वे टीम के साथ यहां दोनों पक्षों के लोग भोजशाला पहुंचे. सर्वे के लिए लाए गए मजदूरों की मेटल डिटेक्टर से जांच की गई, इसके बाद उन्हें भोजशाला में प्रवेश दिया गया. सभी के मौका स्थल पर पहुंचने के बाद सर्वेक्षण का काम शुरू किया गया. टीम सुबह सात बजे भोजशाला पहुंच चुकी थी और शाम 4:50 बजे बाहर निकली.
बाहर निकलने के बाद हिंदू पक्षकार गोपाल शर्मा ने बताया कि एएसआई की 17 सदस्यों की टीम तीन ग्रुप में अलग-अलग भागों में सर्वे किया. भोजशाला की नींव की खुदाई चल रही है. खुदाई में कई सबूत मिले हैं, जिनको संग्रहित किया गया है.
दरअसल, मप्र उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने 11 मार्च को एएसआई को छह सप्ताह के भीतर भोजशाला परिसर का ‘वैज्ञानिक सर्वेक्षण’ करने का निर्देश दिया था. यह परिसर एक मध्ययुगीन स्मारक है, जिसे हिंदू समुदाय वाग्देवी (सरस्वती) का मंदिर मानता है. माना जाता है कि हिंदू राजा भोज ने 1034 ईस्वी में भोजशाला में वाग्देवी की मूर्ति स्थापित की थी. हिंदू संगठनों का कहना है कि अंग्रेज इस मूर्ति को 1875 में लंदन ले गए थे. वहीं, मुस्लिम समुदाय इसे कमाल मौला मस्जिद बताता है. एएसआई ने उच्च न्यायालय के निर्देश पर भोजशाला परिसर का सर्वेक्षण 22 मार्च को शुरू किया था. बुधवार को सर्वेक्षण का छठा दिन था.
साभार – हिन्दुस्थान समाचार
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