पूर्वांचल के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की गुरुवार रात (28 मार्च) को बांदा मेडिकल कॉलेज में सांसे थम गईं. तबीयत खराब होने के बाद मुख्तार अंसारी को जेल से यहां भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. मुख्तार अंसारी का पूर्वांचल के बाहुबलियों में बड़ा नाम था. वह खुद मऊ सदर सीट से पांच बार विधायक बना. हालांकि राजनीतिक करियर से ज्यादा मुख्तार अपने आपराधिक कृत्यों को लेकर कुख्यात रहा.
इस कुख्यात अपराधी पर देश के 3 राज्यों में करीब 65 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं. इनमें हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण, धोखाधड़ी, गुंडा एक्ट, आर्म्स एक्ट, गैंगस्टर एक्ट, सीएलए एक्ट से लेकर एनएसए तक शामिल हैं. इनमें से उसे 8 मामलों में सजा हो चुकी थी. 21 केस विचाराधीन हैं. इसी के चलते वो सालों से जेल में बंद था.
यूपी में माफियागिरी का जो मॉडल है, वो मुख्तार के नाम से ही जाना जाता रहा. उत्तर प्रदेश हो यहां से बाहर जिस भी जेल में मुख्तार होता था, वहीं उसका क्राइम हेडक्वार्टर बन जाता था.
माफिया मुख्तार के खिलाफ 65 केस दर्ज
एक समय मुख्तार अंसारी का गढ़ यूपी का पूर्वांचल माना जाता था. उसके खिलाफ गुनाहों की लंबी सूची है. उत्तर प्रदेश पुलिस के अनुसार, देशभर में मुख्तार अंसारी पर कुल 65 केस दर्ज हैं, जिसके कारण वह तकरीबन 19 वर्ष से जेल में बंद रहा. यूपी सरकार ने मुख्तार अंसारी पर कार्रवाई करते हुए उसकी 192 करोड़ की संपत्ति को ध्वस्त और जब्त कर ली है. पुलिस ने अब तक उसके गैंग के 95 लोगों को अरेस्ट किया है, जिसमें 75 लोगों पर गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई चल रही है.
मुख्तार का राजनीति में दबदबा और काले कारनामें
मऊ, बलिया, गाजीपुर, चंदौली, आजमगढ़ और वाराणसी समेत कई अन्य जिलों में मुख्तार का दबदबा रहा. वर्ष 1996 में मऊ से मुख्तार अंसारी ने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीता भी. इसके बाद लगातार पांच बार मऊ सदर सीट से ही चुनाव लड़ा और जीत प्राप्त की. राजनीति में आने के बाद मुख्तार अंसारी ने पार्टियां तो बदलीं, लेकिन चुनाव के नजीते कभी नहीं बदले. मुख्तार का गुजारा विधायक निधि के फंड से तो होना नहीं था, इसके लिए उसने गुंडा टैक्स, रंगदारी टैक्स और ठेका टैक्स जैसे कई आय के जरिए बनाए. कुछ ही सालों में अपराध की दुनिया में मुख्तार एक बड़ा नाम हो चुका था.
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