माफिया मुख्तार अंसारी की गुरुवार को मौत हो गई. बांदा जेल में तबीयत अचानक बिगड़ने के बाद उसे मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था. यहां करीब 1 घंटे के चले इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. अंसारी की मौत के बाद प्रदेश भर में पुलिस अलर्ट मोड पर है. प्रदेश में धारा 144 लगा दी गई है.
आपको बता दें कि गैंगस्टर मुख्तार अंसारी के खिलाफ 61 केस दर्ज थे. जिसमें हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण, धोखाधड़ी, गुंडा एक्ट, आर्म्स एक्ट, गैंगस्टर एक्ट, सीएलए एक्ट से लेकर एनएसए तक शामिल है. इनमें से उसे 8 मामलों में सजा हो चुकी थी.
मुख्तार के नाम ऐसा केस जिसने मुलायम सरकार तक हिला डाली
कई केस में मुख्तार को सजा हो चुकी थी. यही वजह है कि वह वर्षों से जेल में बंद था. तो वहीं एक ऐसे केस में मुख्तार का नाम है, जिसने मुलायम सरकार तक हिला डाली थी. अपने रसूख के चलते उसने अपने समय में सबसे चर्चित मामले में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह पर ऐसा दबाव बनाया था कि उसके खिलाफ किसी भी केस को सरकार रद्द कर देती थी. इतना ही नहीं, मुख्तार पर एलएमजी हथियार का सौदा करने पर पोटा लगाने वाले पुलिस अधिकारी को महकमा छोड़ने पर मजबूर कर दिया गया था.
कृष्णानंद राय और मुख्तार अंसारी की दुश्मनी
वर्ष 2004 में वाराणसी में एसटीएफ चीफ पूर्व डीएसपी शैलेंद्र सिंह को माफिया मुख्तार अंसारी और बीजेपी नेता कृष्णानंद राय के बीच होने वाले गैंगवार पर नजर रखने की जिम्मेदारी दी गई थी. इस बाबत शैलेंद्र सिंह ने एक इंटरव्यू में बताया था, ”मुख्तार अंसारी और कृष्णानंद राय पर नजर बनाए रखने की जिम्मेदारी एसटीएफ को दी गई थी. ये दोनों पूर्वांचल से आते थे, लेकिन जानी दुश्मन थे और मैं भी पूर्वांचल का ही रहने वाला हूं. ऐसे में मुझे दोनों पर निगरानी रखने की जिम्मेदारी दी गई थी.”
एलएमजी से कृष्णानंद राय को मारने की योजना
दरअसल वर्ष 2002 में कृष्णानंद राय 5 बार के विधायक रहे मुख्तार अंसारी को हराकर विधायक बन गए थे. ये बात अंसारी को रास नहीं आ रही थी. वो उन्हें मारकर अपना रास्ता साफ करना चाहता था. यही कारण था कि दोनों के बीच अक्सर गैंगवार होती रहती थी. उन पर नजर रखने के लिए शैलेंद्र सिंह दोनों के फोन टेप करने लगे. एक दिन अंसारी की फोन पर हुई बातचीत सुनकर वह चकित रह गए. वह फोन पर किसी से एलएमजी यानी लाइट मशीन गन खरीदने की बात कर रहा था. अंसारी उससे कह रहा था कि किसी भी कीमत पर उसे एलएमजी चाहिए. उसने कहा कि इससे वह कृष्णानंद राय की हत्या करना चाहता था.
मुख्तार ने जनवरी 2004 में ही कृष्णानंद राय को मारने के लिए सेना की एक लाइट मशीन गन को खरीदने की योजना बना ली थी और इसके लिए उसने आर्मी के एक भगोड़े से चुराई गई लाइट मशीन गन खरीदने की डील भी की थी. फोन टैपिंग के दौरान पता चला कि बाबूलाल मुख्तार से कह रहा था कि उसके पास सेना से चुराई हुई लाइट मशीन गन है जो कि राष्ट्रीय राइफल से चुराई गई थी. दोनों के बीच सौदा लगभग एक करोड़ में तय हो गया था.
मुलायम से कहकर केस करवा दिया रद्द
मुख्तार अंसारी की फोन रिकॉर्डिंग और एलएमजी बरामदगी से पुलिस टीम के पास पक्का सबूत जमा हो गया था. ऐसे में सभी को ये लग रहा था कि अब उसके दिन खत्म हो गए. क्योंकि दोनों ही अपराध काफी संगीन थे जिसमें उसे सख्त से सख्त सजा होनी तय थी. पुलिस ने आर्म्स एक्ट के साथ पोटा भी लगा दिया था. लेकिन तब तक ये बात मुख्तार अंसारी को मालूम पड़ गई थी. मुख्तार उस समय सिर्फ बाहुबली नेता ही नहीं था, बल्कि सरकार भी उसके अनुसार चलती थी. उसने बहुजन समाज पार्टी की सरकार को तोड़कर समाजवादी पार्टी की सरकार बनवाई थी. उस समय मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे. ऐसे में उसने मुलायम से कहकर ये केस ही रद्द करा दिया.
रातोरात अधिकारियों के तबादले
यही नहीं रातोरात आईजी बनारस, डीआईजी, एसपी सहित एक दर्जन बड़े अधिकारियों के तबादले कर दिए गए. तो वहीं डीएसपी शैलेंद्र सिंह पर भी इस केस को खत्म करने का दबाव बनाया जाने लगा. लेकिन उनके साथ मुश्किल ये थी कि उन्होंने केस दर्ज कराया था. अब वो उसे किस तरह से वापस ले सकते थे. इसके बाद उन्हें अलग-अलग तरीके से प्रताड़ित किया गया.
आखिरकार दबाव के चलते शैलेंद्र सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद उनके खिलाफ कई फर्जी केस दर्ज हुए. विभागीय जांच बैठा दी गई. उनको गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया. यहां तक की उनके टीम के इंस्पेक्टर अजय चतुर्वेदी पर भी जांच बिठाई गई, जो उनके रिटायरमेंट के बाद भी चलती रही. 17 सालों तक सुनियोजित तरीके से उन्हें प्रताड़ित किया गया. बीच में कई बार सरकार बदली लेकिन उनकी हालत वैसी ही रही. लेकिन राज्य में योगी सरकार के आने के बाद 6 मार्च 2021 को शैलेंद्र सिंह के खिलाफ दर्ज सभी केस कोर्ट के आदेश के बाद वापस ले लिए गए.
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