असम में 12 सांस्कृतिक प्रतीकों को आज जीआई टैग से सम्मानित किया गया है. नाबार्ड, क्षेत्रीय कार्यालय, गुवाहाटी के सहयोग से पारंपरिक शिल्प को 6 प्रतिष्ठित जीआई टैग दिए गए हैं. इसकी सुविधा जीआई विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ. रजनी कांत ने दी है.
असम के 6 समुदायों के 12 उत्पादों को आज जीआई टैग मिला है. सारथेबारी का धातु शिल्प, अशरीकंडी टेराकोटा, असम बिहू ढोल, जापी (असम की एक पारंपरिक शंक्वाकार टोपी) शिल्प, जोथा, गोगोना, खाम, सेर्ज़ा, सिफंग. , पानीमेटेका (जलकुंभी), धूल, मिसिंग टाट (हथकरघा) उत्पाद से बनी वस्तुओं को जीआई टैग प्राप्त हुआ है.
जोथा, गोगोना, खाम, सेर्जा और सिफंग को भी जीआई टैग प्राप्त हुए. ये उत्पाद क्षेत्र के इतिहास में गहराई से निहित हैं, ये लगभग एक लाख लोगों को सीधे समर्थन देते हैं.
जीआई विशेषज्ञ डॉ. रजनीकांत ने बताया था कि इस वित्तीय वर्ष में जीआई रजिस्ट्री चेन्नई कार्यालय में 160 नए उत्पाद जीआई पंजीकृत हुए थे. उनमें उत्तर प्रदेश के 14 उत्पादों के साथ-अरुणाचल प्रदेश, असम, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, मध्य प्रदेश, त्रिपुरा, मेधालय, महाराष्ट्र, उड़ीसा, गुजरात और उत्तराखंड के भी जीआई शामिल हैं. पिछले साल 55 जीआई टैग की तुलना में यह लगभग तीन गुना के बराबर है.
क्या है जीआई टैग?
जीआई टैग यह सुनिश्चित करता है कि केवल अधिकृत उपयोगकर्ताओं या भौगोलिक क्षेत्र में रहने वाले लोगों को ही लोकप्रिय उत्पाद के नाम का उपयोग करने की अनुमति है अन्य कोई इसका लाफ नहीं उठा सकता. इसकी वैधता 10 साल के लिए होती है.
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