सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को यूपी में मदरसों पर रोक के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने मदरसों को राहत देते हुए फैसला सुनाया कि फिलहाल 2004 के कानून के तहत मदरसों में पढ़ाई जारी रहेगी.
आपको बता दें कि एक मदरसे के मैनेजर अंजुम कादरी और अन्य की ओर से दायर इस याचिका में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के फैसले पर सवाल उठाते हुए इसे मनमाना बताया गया था. याचिका में कहा गया कि इस फैसले के चलते मदरसों में पढ़ रहे लाखों बच्चों के भविष्य पर सवालिया निशान लग गए हैं. लिहाजा, जब तक सुप्रीम कोर्ट मदरसा एक्ट की संवैधानिक वैधता पर फैसला लेता है, तब तक हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगे.
दरअसल, 22 मार्च को इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को असंवैधानिक और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ बताया था. मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री रहते हुए ये कानून पारित किया गया था. हाई कोर्ट ने राज्य में मदरसों और उनमें पढ़ने वाले छात्रों की बड़ी संख्या के मद्देनजर यूपी सरकार से कहा था कि वो मदरसों में पढ़ रहे बच्चों को औपचारिक शिक्षा देने वाले दूसरे स्कूलों में शामिल करें. इसके लिए अगर जरूरत हो तो नए स्कूल खोले जाएं.
अक्टूबर 2023 में उत्तरप्रदेश सरकार ने मदरसों की विदेश से हो रही फंडिंग की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था. एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में 08 हजार मदरसों पर कार्रवाई की सिफारिश की थी. रिपोर्ट के मुताबिक सीमावर्ती इलाकों में 80 मदरसों को 100 करोड़ से ज़्यादा का विदेशी फंड मिला है.
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