इस वर्ष की रामनवमी बेहद में खास होने वाली है. अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह पहली नवरात्रि है. राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इस अवसर पर विशेष तैयारियां की है. इसके तहत रामनवमी को राम जन्मोत्सव के दिन रामलला का सूर्य तिलक भी किया जाएगा.
बता दें कि रामनवमी यानी 17 अप्रैल को दोपहर में ठीक 12:16 बजे राम लला का सूर्य अभिषेक किया जाएगा. इसके लिए विशेष तैयारी की गई है. ऐसे में आपके मन में सवाल उठ रहे होंगे कि आखिर राम लला का सूर्य तिलक किस तरह से किया जाएगा? तो चलिए जानते हैं…
रामलला के सूर्य तिलक के लिए आईआईटी रुड़की सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ने एक खास ऑप्टोमैकेनिकल सिस्टम तैयार किया है. इसके तहत मंदिर के सबसे ऊपरी तल (तीसरे तल) पर लगे दर्पण पर ठीक दोपहर 12 बजे सूर्य की किरणें पडे़ंगी.
दर्पण से 90 डिग्री पर रिफ्लेक्ट होकर ये किरणे एक पीतल के पाइप में प्रवेश करेंगी. पाइप के दूसरे छोर पर एक दूसरा दर्पण लगा है. इस दर्पण से सूर्य की किरणें एक बार फिर से रिफ्लेक्ट होंगी और पीतल की पाइप के साथ 90 डिग्री पर मुड़ जाएंगी.
दूसरी बार रिफ्लेक्ट होने के बाद सूर्य की किरणें लंबवत दिशा में नीचे की ओर चलेंगी. किरणों के इस रास्ते में एक के बाद एक तीन लेंस लगेंगी, जिनसे इनकी तीव्रता और बढ़ जाएगी. लंबवत पाइप के दूसरे छोर पर एक और दर्पण लगा होगा. तीव्रता के साथ किरणें इस दर्पण पर पड़ेंगी और फिर से 90 डिग्री पर रिफ्लेक्ट हो जाएंगी. जिसके बाद ये किरणें सीधे राम लला के मस्तक पर पड़ेंगी. इस तरह से रामलला का सूर्य तिलक पूरा होगा. सूर्य तिलक निर्धारित समय पर हो इसके लिए इस सिस्टम में 19 गियर लगाए गए हैं. ये गियर्स सेंकंडों में दर्पण और लेंस पर किरणों की चाल बदलेंगे. ये पूरा सिस्टम बिना बिजली के काम करेगा.
सूर्य किरणों का यह तिलक 75 मिमी के गोलाकार में होगा. दोपहर 12 बजे सूर्य किरणें रामलला के मस्तक पर पड़ेंगी और ये लगभग चार मिनट तक रामलला के मुख मंडल को प्रकाशमान करेंगी. राममंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि इस आयोजन का सीधा प्रसारण तकरीबन 100 एलईडी स्क्रीन के माध्यम से किया जाएगा.
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