नई दिल्ली: चुनावों में ईवीएम के डाटा से वीवीपीएटी पर्चियों के मिलान की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में 18 अप्रैल को भी सुनवाई जारी रहेगी. जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया.
मंगलवार को एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि ईवीएम से छेड़छाड़ की जा सकती है. उन्होंने दलील दी कि ज्यादातर वोटर्स EVM पर भरोसा नहीं करते है इसपर जस्टिस संजीव खन्ना ने सवाल किया कि ये डेटा आपको कहां से और कैसे मिला है? प्रशांत भूषण ने कहा- ‘एक सर्वेक्षण हुआ था’. जस्टिस दत्ता ने कहा- ‘हम निजी सर्वेक्षणों पर विश्वास नहीं करते’.
जब प्रशांत भूषण लगातार ईवीएम के तकनीकी पहलुओं को लेकर दलील दे रहे थे तो कोर्ट ने कहा कि आप इस मामले से जुड़े कानूनी पहलुओं पर अपनी दलील दें. प्रशांत भूषण ने सुझाव देते हुए कहा कि या तो बैलेट से वोट देने का अधिकार दिया जाए या वोटिंग के बाद वीवीपीएटी से निकलने वाली पर्ची मतदाताओं को दी जाए और मतदाता उसे एक बैलेट बॉक्स में डाल दें. प्रशांत भूषण ने कहा कि वीवीपीएटी पर्चियों की भी गिनती होनी चाहिए.
जर्मनी की जनसंख्या कितनी है?- SC
उन्होंने कहा कि अभी जो वीवीपीएटी है उसका बॉक्स पारदर्शी नहीं है और उसमें अब सिर्फ सात सेकेंड के लिए पर्ची वोटर को दिखाई देती है. इसके लिए वीवीपीएटी का डिजाइन बदला जाए, जैसा जर्मनी में होता है. तब जस्टिस दीपांकर दत्ता ने पूछा कि जर्मनी की जनसंख्या कितनी है. तब प्रशांत भूषण ने कहा पांच-छह करोड़ के करीब. तब कोर्ट ने कहा कि भारत में 50-60 करोड़ वोट डालने वाले हैं. जस्टिस खन्ना ने कहा कि भारत में कुल रजिस्टर्ड मतदाताओं की संख्या 97 करोड़ है. हम सभी जानते हैं कि बैलेट पेपर के आने पर क्या हुआ था. हो सकता है कि आपको न पता हो लेकिन हम भूले नहीं हैं.
वीवीपीएटी की सभी पर्चियों की गिनती में 12 दिन लगेंगे
सुनवाई के दौरान वकील संजय हेगड़े ने भी मांग की कि ईवीएम पर पड़े वोटों का मिलान वीवीपीएटी पर्चियों से किया जाना चाहिए. तब जस्टिस खन्ना ने पूछा कि क्या वीवीपीएटी की सभी पर्चियों की गिनती होनी चाहिए. सुनवाई के दौरान वकील गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि चुनाव आयोग का कहना है कि वीवीपीएटी की सभी पर्चियों की गिनती में 12 दिन लगेंगे.
बारकोड वाले सुझाव पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुनवाई के दौरान एक वकील ने वोट देने के लिए बारकोड का सुझाव दिया तब जस्टिस खन्ना ने कहा कि अगर आप किसी दुकान पर जाते हैं तो वहां बारकोड होता है. इस मामले मे बारकोड से गिनती में मदद नहीं मिलेगी जब तक कि हर उम्मीदवार या पार्टी को बारकोड न दिया जाए और यह भी एक बहुत बड़ी समस्या होगी.
आयोग से मांगा जवाब
जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि सामान्यतः मानवीय हस्तक्षेप से समस्याएं उत्पन्न होती हैं या जब सॉफ्टवेयर या मशीन मे अनधिकृत परिवर्तन किया जाए. उन्होंने सभी से कहा कि यदि आप लोगों के पास इसे रोकने के लिए कोई सुझाव है तो उसे आप हमें दे सकते हैं. प्रशांत भूषण ने कहा कि बेहतर तरीका यह होगा कि वोटर को वीवीपीएटी की स्लिप दी जाए और वोटर उसे देखने के बाद बैलेट बॉक्स में डाले और फिर उसका ईवीएम से मिलान किया जाए. उन्होंने कोर्ट को बताया कि चुनाव आयोग प्रति विधानसभा केवल पांच वीवीपीएटी मशीनों की गिनती कर रहा है.
जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने 1 अप्रैल को सभी वीवीपीएटी पर्चियों का मिलान करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया था. याचिका एडीआर ने दायर की है. याचिका में मांग की गई है कि सभी वीवीपीएटी पर्चियों का मिलान किया जाए. वर्तमान में ये प्रैक्टिस है कि एक विधानसभा क्षेत्र में पांच ईवीएम की वीवीपीएटी पर्चियों का ही मिलान किया जाता है.
हिन्दुस्थान समाचार
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