Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में राजस्थान की 13 लोकसभा सीटों पर शुक्रवार (26 अप्रैल) को मतदान हुए. जिसमें अजमेर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर, उदयपुर, बासंवाड़ा, चितौड़गढ़, कोटा, टोंक-सवाईमाधोपुर, जालोर, झालावाड़-बारां, राजसमंद और भीलवाड़ा लोकसभा सीट शामिल है. इनमें कोटा (Kota) लोकसभा सीट की बात करें तो ये राजस्थान में तीसरे स्थान पर सबसे ज्यादा आबादी वाला शहर है. यह शहर पढ़ाई का हब माना जाता है. फिलहाल इस सीट से ओम बिरला (लोकसभा स्पीकर) सांसद हैं. इस बार होने वाले आम चुनाव 2024 में यह कोटा लोकसभा सीट लाइमलाइट में बनी हुई है, जिसकी मुख्य वजह यहां से लड़ने वाले उम्मीदवार हैं. जहां एक तरफ भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने एक बार फिर लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिरला (Om Birla) को सीट से मैदान में उतारा है, वहीं दूसरी और कांग्रेस पार्टी ने पुराने स्वयंसेवक प्रहलाद गुंजल (Prahlad Gunjal) को टिकट देकर चुनाव के लिए खड़ा किया है.
4 जून को आने वाले चुनाव के परिणाम में इस सीट के नतीजे देखने को लिए जनता बेहद उत्सुक है. तो आइए जानते हैं क्या है कोटा लोकसभा सीट का इतिहास और इसका सियासी समीकरण.
कोटा लोकसभा सीट का इतिहास
राजस्थान प्रदेश में कुल 25 लोकसभा सीट शामिल हैं, उन्हीं में से एक कोटा लोकसभा सीट है. कोटा लोकसभा सीट में कुल 8 विधानसभा शामिल हैं. साल 1952 से लेकर अभी तक इस सीट पर कुल मिलाकर 17 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं. जिसमें से कांग्रेस पार्टी ने 4 बार जीत हासिल की है, वहीं बीजेपी ने 7 बार , भारतीय जनसंघ ने 3 बार और निर्दलीय प्रत्याशी ने 1 बार , जनता पार्टी ने 1 बार और भारतीय लोकदल पार्टी ने भी 1 बार जीत इस सीट से जीत हासिल की थी.
सबसे पहली बार हुए लोकसभा चुनाव (1952) में नेमी प्रेमचंद्र कासलीवाल (Nemi Premchandra Kasliwal) ने कांग्रेस पार्टी से जीत हासिल की थी. उसके बाद साल 1957 में हुए चुनाव में एक बार नेमी प्रेमचंद्र ने अपनी जीत को बरकरार रखा था. फिर साल 1962 से लेकर अगले तीन आम चुनावों क इस सीट पर भारतीय जनसंघ के उम्मीदवार ओंकारलाल बेरवा (Onkarlal Berwa) दबदबा बना हुआ था.
अब बात करते हैं 2009 में हुए चुनावों की, जिसमें बीजेपी ने श्याम शर्मा, कांग्रेस पार्टी ने इज्यराज सिंह, बसपा ने गोविंद परमार और IND ने डॉ. के. श्रृंगी को मैदान में उतारा था. जिसमें 3,60,486 वोट यानि 52.80 प्रतिशत वोट के साथ कांग्रेस उम्मीदवार इज्यराज सिंह ने जीत हासिल की थी, वहीं दूसरे स्थान पर श्याम शर्मा को 2,77,393 यानि 40.63 प्रतिशत वोट, तीसरे स्थान पर डॉ. के. श्रृंगी को 14,323 यानि 2.10 प्रतिशत वोट और आखिरी स्थान पर गोविंद परमार को 10,400 यानि 1.52 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे.
साल 2014 में एक बार फिर हुए लोकसभा चुनाव में राजनीति का फेर बदल देखने को मिला था. जिसमें कांग्रेस ने इज्यराज सिंह, बीजेपी ने ओम बिरला, आप ने अशोक कुमार जैन को मैदान में उतारा था, जिसमें ओम बिरला ने 6,44,822 वोटस यानि 55.83 प्रतिशत के साथ जीत हासिल की थी. जबकि कांग्रेस के इज्यराज सिंह को 4,44,040 वोटस यानि 38.45 प्रतिशत वोट मिले थे. तीसरे स्थान पर आप के नेता अशोक कुमार को केवल 16,981 यानि 01,47 प्रतिशत वोट के साथ बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था. इसके अलावा यहां की जनता को कोई भी प्रत्याशी सहीं नहीं लगा जिसके चलते 12,760 वोटर्स यानि 01.10 प्रतिशत ने नोटा का बटन दबाया था.
साल 2019 में हुए चुनाव में ओम बिरला ने 800,051 यानि 58.52 के साथ दूसरी बार इस सीट से सांसद बने रहे. कांग्रेस के उम्मीदवार रामनारायण मीना को 5,20,374 यानि 38.07 प्रतिशत वोट मिले थे, जिसके साथ वह दूसरे स्थान पर थे. बसपा के नेता हरीश कुमार लहरी को केवल 9,985 यानि 0.73 प्रतिशत वोट मिले थे. वहीं बात करें नोटा की तो 12,589 यानि 0.92 वोटर्स ने मिले थे.
इन दिग्गज नेताओं के बीच होगी आम चुनाव में टक्कर
इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी ने तीसरी बार ओम बिरला को मैदान में उतारा है, लेकिन इनके साथ विपक्ष पार्टी ने जिस प्रत्याशी को मैदान में उतारा है, वह एक समय में ओम बिरला के पुराने साथी हुआ करते थे. यह और कोई नहीं बल्कि प्रहलाद गुंजल हैं, जिसे कांग्रेस पार्टी ने ओम बिरला के सामने चुनाव में खड़ा किया है. बिरला को राजनीति का माहिर खिलाड़ी माना जाता है उन्होंने दो बार विधायक, दो बार सांसद और एक बार लोक अध्यक्ष के तौर पर कार्यभार को संभाला है. इसके अलावा गुंजल का भी राजनीति आधार मजबूत हैं. एक समय में प्रहलाद गुंजल बीजेपी में थे, उस दौरान ओम बिरला के साथ इनके रिश्ते अच्छे माने जाते थे, लेकिन बाद में आपसी मनमुटाव होने की वजह से दोनें के रिश्ते बिगड़े साथ ही प्रहलाद ने बीजेपी पार्टी को छोड़ कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया था. वहीं बहुजन समाज पार्टी ( बसपा) ने कोटा सीट से भीम सिंह कुंतल को टिकट दे ओम बिरला और प्रहलाद गुंजल के सामने मैदान में उतारा है.
जानिए यहां का जातीय समीकरण
साल 2011 में हुई जनगणना के अनुसार कोटा में कुल 27,16,852 जनसंख्या है, जिसका करीब 50.73 प्रतिशत आबादी शहर और बाकी 49.27 प्रतिशत ग्रामीण इलाके में रहती है. इस सीट पर मीणा जाति का बहुमूल्य माना जाता है. कोटा सीट पर सबसे ज्यादा वोट देने वाले मीणा जाति के हैं इसके अलावा यहां पर गुजर्र जाति के भी कुछ लोग शामिल है. कोटा लोकसभा सीट पर12,76 प्रतिशत SC, और 20.4 प्रतिशत ST हैं. साल 2019 में हुए चुनाव में कुल वोटिंग देने वाले वोटर्स की संख्या लगभग 22 लाख के आसपास थी, जिसमें से 9 लाख के करीब महिलाएं और 8 लाख के करीब पुरुष शामिल थे.
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