बिहार में सारण जिले के मशरक विधानसभा क्षेत्र से तीन बार विधायक रह चुके तारकेश्वर सिंह को एमपी-एमएलए कोर्ट ने अपहरण और हत्या के एक मामले में सोमवार (29 अप्रैल) को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. साथ ही अर्थदंड भी लगाया है. कानून व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हुई सुनवाई में कोर्ट ने यह फैसला सुनाया.
जेल से ही वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये उनकी पेशी हुई. एमपी-एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश सुधीर कुमार सिन्हा ने पानापुर थाने में दर्ज प्राथमिकी के दोषी पूर्व विधायक पर भादवि की धारा 302, 364, 201 व 27 आर्म्स एक्ट के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई. इससे पहले 19 अप्रैल को उन्हें दोषी ठहराया गया था. अपर लोक अभियोजक ध्रुवदेव सिंह ने अभियोजन की ओर से डॉक्टर, अनुसंधानकर्ता समेत कुल छह गवाहों की गवाही न्यायालय में कराई. दोषी करार होने के बाद पूर्व विधायक को न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया था.
इस हत्याकांड के सूचक पानापुर के तुर्की ग्राम निवासी बाबूलाल गुप्ता ने 10 जनवरी, 1996 को भाई शत्रुघ्न प्रसाद को गोली मारने व घायल अवस्था में जबरन उठाकर ले जाने की प्राथमिकी दर्ज कराई थी. प्राथमिकी में उन्होंने कहा था कि वह दुकान में बैठे थे. इस बीच सात-आठ मोटरसाइकिल पर दो-दो व्यक्ति सवार होकर दुकान पर पहुंचे. सभी के हाथ में राइफल व बंदूक थी.
बाइक से उतरते ही तारकेश्वर सिंह ने आदेश दिया कि गोली मारो. इतने में उनके निजी अंगरक्षक ने गोली चला दी. उनके भाई शत्रुघ्न प्रसाद गोली लगते ही जमीन पर गिर गए. बाद में मोटरसाइकिल सवार लोग उनके भाई को अगवा कर ले गए. काफी खोजबीन के बाद उनके भाई का शव दो दिन बाद मोतिहारी के डुमरिया पुल के नीचे नदी में मिला था.
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हिन्दुस्थान समाचार
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