आम आदमी पार्टी और चुनाव आयोग के बीच ‘इलेक्शन सॉन्ग’ को लेकर ठना-ठनी हो गई है. आम आदमी पार्टी का दावा है कि चुनाव आयोग ने उनके इलेक्शन सॉन्ग पर बैन लगा दिया है. जबकि चुनाव आयोग ने इस गाने में कुछ बदलाव करने को कहा है.
चुनाव आयोग ने एक बयान जारी कर बताया है कि गाने की कुछ लाइनें निर्धारित गाइडलाइंस और नियमों का उल्लंघन करती हैं, इसलिए इसमें कुछ बदलाव करने को कहा गया है. जबकि, आप नेता आतिशी सिंह ने गाने पर बैन लगा देने का दावा किया है. उन्होंने चुनाव आयोग पर बीजेपी के राजनीतिक हथियार की तरह काम करने का गंभीर आरोप लगाया है.
ऐसे में चलिए जानते हैं ये पूरा विवाद क्या है? चुनाव आयोग के अनुसार गाने की पंक्तियां कौन से नियमों का उल्लंघन कर रही हैं? आप के पास अब क्या विकल्प हैं?
क्या है मामला?
आम आदमी पार्टी ने दो मिनट तीन सेकंड के इस गाने को बीते हफ्ते गुरुवार को रिलीज किया था. गाने को पार्टी के ही विधायक दिलीप पांडे ने लिखा है और गाया भी है.
दिल्ली चुनाव आयोग ने बताया कि पार्टी का गाना ‘जेल के जवाब में हम वोट देंगे’ चुनाव आयोग की गाइडलाइंस और 1994 के केबल टीवी नेटवर्क रूल्स का उल्लंघन करती है. इस गाने के वीडियो में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सलाखों के पीछे वाली तस्वीर दिखाई गई है, जो देश की न्यायपालिका पर सवाल खड़े करती है. वीडियो में पार्टी कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच झड़प होते हुए भी दिखाया गया है. इसमें मनीष सिसोदिया को पुलिस के साथ जाते हुए दिखाया गया है.
चुनाव आयोग ने कहा कि गाने की कुछ लाइनों में ‘अपमानजनक टिप्पणियां’ की गई हैं. इसके अलावा ‘असत्यापित तथ्यों’ के आधार पर सत्तारूढ़ पार्टी की आलोचना भी की गई है. इसलिए आयोग ने पार्टी के गाने के बोल में बदलाव करने को कहा है.
चुनाव आयोग ने किन पंक्तियों पर जताई आपत्ति?
- ‘जेल के जवाब में हम वोट देंगे’ इस पंक्ति पर भीड़ हाथ में पोस्टर लेकर खड़ी है, जिसमें अरविंद केजरीवाल सलाखों के पीछे दिखाई दे रहे हैं. इससे न्यायपालिका पर सवाल खड़े होते हैं.
- ‘तानाशाही पार्टी को हम चोट देंगे’ वाली पंक्ति में पार्टी कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच झड़प दिखाई गई है. इससे ‘हिंसा भड़कने’ का खतरा है.
- ‘गुंडागर्दी के खिलाफ वोट देंगे’ और ‘तानाशाही करने वाली पार्टी को हम चोट देंगे’ वाली पंक्तियों में पुलिस द्वारा मनीष सिसोदिया को ले जाते देखा जा रहा है. इससे पुलिस की खराब छवि पेश करने की कोशिश की गई है.
- ‘आवाजें खिलाफ थी जो सबको जेल में डाल दिया, बस उनको ही बाहर रखा जिसने इनको माल दिया… इतना लालच, इतनी नफरत, भ्रष्टाचारी से मोहब्बत’ को ‘अपमानजनक टिप्पणी’ बताया गया है. चुनाव आयोग ने कहा कि ये असत्यापित तथ्यों के आधार पर सत्तारूढ़ पार्टी की आलोचना करती है और इसमें न्यायपालिका पर भी सवाल उठ रहे हैं.
- ‘गुंडों वाली पार्टी छोड़ो’ वाली लाइन में दूसरी राजनीतिक पार्टियों के नेताओं और उनके चुनाव चिन्हों को दिखाया गया है, और उनके खिलाफ ‘अपमानजनक टिप्पणी’ की गई है.
- आयोग के अनुसार पार्टी ने इस गाने की जो ट्रांसक्रिप्ट भेजी थी, उसमें ‘जेल का जवाब हम वोट से देंगे’ वाली पंक्ति गायब है.
गाने ने कौन से नियमों का किया उल्लंघन?
चुनाव आयोग की ओर से जारी बयान में बताया गया है कि इस गाने में इस्तेमाल की गईं ‘जेल का जवाब हम वोट से देंगे’, ‘गुंडागर्दी के खिलाफ वोट देंगे’ और ‘तानाशाही करने वाली पार्टी को हम चोट देंगे’ जैसी पंक्तियां चुनाव आयोग की ओर से तय प्रोग्राम एंड एडवर्टाइजिंग कोड्स के पैरा 2.5(d) और 1994 के केबल टीवी नेटवर्क रूल्स के नियम 6(1)(g) का उल्लंघन करती हैं.
चुनाव आयोग की गाइडलाइंस में पैरा 2.5(d) में राजनीतिक विज्ञापनों को सर्टिफाइड करने की बात कही गई है. ये पैरा कहता है कि ऐसे विज्ञापन को प्रमाणित नहीं किया जाएगा, जिसमें दूसरी पार्टियों, उनके नेताओं या कार्यकर्ताओं की आलोचना की गई हो या फिर असत्यापित तथ्यों का इस्तेमाल किया गया हो.
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