लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को झटके पर झटके लग रहे हैं. पहले तो चुनाव में लड़ने के लिए प्रत्याशी नहीं मिल रहे थे. अब हाल ये है कि कहीं प्रत्याशी का नामांकन रद्द हो रहा है तो कहीं प्रत्याशी खुद अपना नामांकन वापस ले रहे हैं. इस बीच हाई कोर्ट ने कांग्रेस के सबस्टिट्यूट कैंडिडेट मोती पटेल की याचिका को खारिज कर दिया है.
दरअसल कांग्रेस नेता मोती सिंह पटेल की ओर से याचिका दायर की गई थी. जिसमें कहा गया कि कांग्रेस ने जो बी फॉर्म जारी किया था, उसमें अप्रूव्ड कैंडिडेंट के रूप में अक्षय बम का नाम था और उसी में सब्स्टीट्यूट कैंडिडेंट के तौर पर मेरा (मोती सिंह पटेल) नाम था.
याचिका में उन्होंने कहा कि फॉर्म बी अक्षय की ओर से निर्वाचन अधिकारी के समक्ष पेश किया था. इसी कारण से मेरा फॉर्म निरस्त कर दिया गया. अब जब अक्षय नामांकन वापस ले चुके हैं तो कांग्रेस के सब्स्टीट्यूट कैंडिडेंट के नाते मेरा फॉर्म मंजूर किया जाना चाहिए.
याचिका में मोतीसिंह ने मांग की थी कि कांग्रेस का चुनाव चिन्ह उन्हें आवंटित किया जाए. अक्षय बम के नामांकन वापस लेने के बाद वे ही अधिकृत प्रत्याशी हैं. फॉर्म बी में कांग्रेस की ओर से बताया गया है कि यदि अप्रूव कैंडिडेट नामांकन वापस ले लेता है या उसका फॉर्म रिजेक्ट हो जाता है तो वैकल्पिक नाम को प्रत्याशी माना जाएगा.
इस पर हाई कोर्ट ने सुनवाई करते हुए साफ किया कि अगर टिकट वेटिंग लिस्ट की है और वह कंफर्म नहीं होती है तो फिर टिकट अपने आप ही कैंसिल हो जाती है. ऐसे में जो भी यात्री है, उसे एक जनरल की टिकट भी लेकर यात्रा करनी चाहिए ताकि वो बिना फाइन यात्रा कर सके. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता मोती पटेल को चुनाव आयोग के पास जाने का सुझाव भी दिया.
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