नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिका पर आज सुनवाई अधूरी रही. जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने 3 मई को अगली सुनवाई करने का आदेश दिया.
आज सुनवाई के दौरान केजरीवाल की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने उनके मामले को संजय सिंह के जैसा बताया. सिंघवी ने कहा कि दोनों में बिना बयान लिये गिरफ्तारी की गई. सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से पूछा कि मामले में इतनी देर बाद केजरीवाल की गिरफ्तारी क्यों जरूरी लगी? कोर्ट ने ईडी से पूछा कि चुनाव से पहले गिरफ्तारी गलत बताने की दलील पर उसका क्या जवाब है? मनीष सिसोदिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उनके पक्ष और विपक्ष में बातें दर्ज की थीं. उससे तुलना कर बताएं कि केजरीवाल का केस कहां ठहरता है?
उल्लेखनीय है कि 29 अप्रैल को सुनवाई के दौरान केजरीवाल की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उनकी गिरफ्तारी कानून का उल्लंघन कर की गई है. उन्होंने कहा था कि 21 मार्च को केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया. ईडी के पास धारा 19 के तहत गिरफ्तार करने के लिए क्या वजहें थीं. ईडी जिन दस्तावेजों की बात कर रही है, उनसे केजरीवाल का कोई लेना-देना नहीं है.
सिंघवी ने कहा था कि जब ईडी ने ईसीआईआर दाखिल किया, उसके बाद से केजरीवाल की 18 महीनों में कभी गिरफ्तारी नहीं हुई. तब कोर्ट ने कहा था कि क्या आपका नाम सीबीआई के मामले में है. तब सिंघवी ने कहा था कि उसमें इनका नाम नहीं है. उन्होंने कोर्ट को बताया था कि केजरीवाल की गिरफ्तारी से डेढ़ साल पहले मामला शुरू हुआ. उस दौरान तीन चार्जशीट दाखिल हुई. सीबीआई ने भी इस मामले में चार्जशीट दाखिल की, जिसमें केजरीवाल का नाम नहीं है.
सीबीआई और ईडी ने दिसंबर 2023 तक 10 दस्तावेज कोर्ट में पेश किये. उनमें से एक में भी केजरीवाल का नाम नहीं था. सिंघवी ने कहा था कि मामले में राघव मगुंटा, बुची बाबू, बोइनपल्ली, शरत चंद्र रेड्डी के बयान दर्ज हुए लेकिन किसी में भी केजरीवाल के अपराध में शामिल होने की बात नहीं आई. सिंघवी ने कहा था कि ईडी ने केजरीवाल को लंबे समय तक गिरफ्तार न करने के बावजूद आदर्श आचार संहिता लागू होने के बाद गिरफ्तार किया है. जिन बयानों के आधार पर उनकी गिरफ्तारी हुई है, वह साथ आठ महीने पुराने हैं. तब कोर्ट ने पूछा था कि क्या आपके खिलाफ कोई आरोप पत्र दाखिल हुआ है. तब सिंघवी ने कहा था कि नहीं.
उन्होंने आगे कहा कि राघव मगुंटा ने चार बयान दिये. सभी बयानों पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. जस्टिस संजीव खन्ना ने पूछा था कि ईडी ने केजरीवाल को नोटिस भेजा और वो पेश नहीं हुए. सिंघवी ने अपने जवाब में कहा था कि जब भी सीबीआई ने बुलाया तो वो गए और केजरीवाल ने ईडी के हर नोटिस का विस्तार से जवाब भी दिया लेकिन आज ईडी यह कहकर गिरफ्तार नहीं कर सकती कि आप नहीं आए. इसलिए हमने गिरफ्तार किया. उन्होंने कहा था कि ईडी के सामने ना जाना मेरा अधिकार है. इस पर अलग से मुकदमा चलाया जा रहा है. यह गिरफ्तारी का आधार या कारण नहीं हो सकता है.
इस मामले पर केजरीवाल ने अपने जवाब में कहा है कि उनकी गिरफ्तारी सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई व्यवस्था को नजरअंदाज करके की गई है. उन्होंने कहा कि ईडी सिर्फ जांच में सहयोग ना करने का हवाला देकर गिरफ्तार नहीं कर सकता. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट 29 अप्रैल को सुनवाई करने वाली है. केजरीवाल ने कहा है कि जिन बयानों और सबूतों के आधार पर उनकी गिरफ्तारी हुई है, वो 7 दिसंबर 2022 से लेकर 27 जुलाई 2023 तक के बीच लिये गए हैं. उसके बाद से कोई भी सबूत केजरीवाल के खिलाफ ईडी के पास नहीं हैं. ऐसे में यह समझ से परे है कि उन पुराने तथ्यों के आधार पर 21 मार्च को गिरफ्तारी की क्या जरूरत थी. इसके अलावा 21 मार्च को गिरफ्तारी से पहले इन पुराने सबूतों पर सफाई को लेकर केजरीवाल का कोई बयान भी दर्ज नहीं किया गया.
इस मामले में ईडी ने अपने जवाब में कहा है कि केजरीवाल से पूछताछ के लिए उन्हें 9 बार समन जारी किया था परन्तु वो पूछताछ के लिए हाजिर नहीं हुए . ईडी ने कहा है कि केजरीवाल ने जांच से बचने की कोशिश की. हाई कोर्ट से जब अरविंद केजरीवाल गिरफ्तारी से संरक्षण जैसी राहत नहीं ले पाए, उसके बाद ही 21 मार्च को उनकी गिरफ्तारी हुई. ईडी ने कहा है कि केजरीवाल की ये दलील ठीक नहीं है कि चुनाव से पहले उनकी गिरफ्तारी स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के सिद्धांत के खिलाफ है. कोई भी शख्स चाहे उसका राजनीतिक रसूख कितना भी बड़ा हो, अगर पर्याप्त सबूत के चलते उसकी गिरफ्तारी होती है तो इससे चुनाव प्रक्रिया की स्वतंत्रता या निष्पक्षता प्रभावित नहीं होती. अगर उनकी दलील मान ली जाए तो फिर तो आपराधिक पृष्ठभूमि के सारे राजनेता गिरफ्तार होने से बच जाएंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल को केजरीवाल की याचिका पर ईडी को नोटिस जारी किया था. केजरीवाल ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
9 अप्रैल को दिल्ली हाई कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल की याचिका खारिज कर दी थी. जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका खारिज करने का आदेश दिया था.
हिन्दुस्थान समाचार
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