नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्रार ने स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में 2012 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर केंद्र की ओर से मांगे गए स्पष्टीकरण की अर्जी को लेने से इनकार कर दिया है. केंद्र सरकार ने 2012 के उस फैसले में स्पष्टीकरण की मांग की थी, जिसमें कहा गया था कि सभी प्राकृतिक संसाधनों का आवंटन नीलामी के जरिए किया जाए.
रजिस्ट्रार ने कहा कि स्पष्टीकरण की आड़ में केंद्र सरकार 2012 के इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहती है. रजिस्ट्रार ने फैसले के 12 साल के अंतराल के बाद याचिका दायर करने पर भी सवाल खड़े किए. कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार ने 10 मई 2012 को फैसले के पुनर्विचार करने संबंधी याचिका वापस ले ली थी. ऐसे में इस मामले पर दोबारा सुनवाई करने का कोई मतलब नहीं है.
दरअसल, 2012 के टू-जी मामले में दिए गए फैसले में संशोधन करने की मांग की गई है. अटार्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि वे कुछ मामलों में टू-जी लाइसेंस देना चाहते हैं. उनकी इस मांग का वकील प्रशांत भूषण ने विरोध करते हुए कहा था कि 2012 का सुप्रीम कोर्ट का फैसला काफी सोच समझकर लिया गया है. 2 फरवरी, 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने विभिन्न टेलीकॉम कंपनियों को आवंटित किए गए लाइसेंस निरस्त करते हुए ये आदेश दिया था.
हिन्दुस्थान समाचार
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