भोपाल: भारत में 25 अक्टूबर 1951 से 21 फरवरी 1952 के बीच आम चुनाव संपन्न हुए थे, वो वक्त 1947 में भारत को स्वाधीनता मिलने के बाद पहला लोकसभा चुनाव का था. बड़े शहरों में तो लोकतंत्र और आम चुनाव को लेकर जागृति बहुत हद तक आ चुकी थी, लेकिन छोटे शहर, कस्बे, गांव और वनवासी क्षेत्र में अभी भी लोकतंत्र एवं मतदान को लेकर जागृति अभी भी आना शेष थी. वक्त गुजरता गया और कभी पूरे पांच साल के लिए तो कभी आधी-अधुरी मिली-जुली सरकार जो अपना कार्यकाल भी पूरा नहीं कर पाई और जिसके चलते बीच-बीच में देश मध्यावती चुनावों के दौर से गुजरा. साल 1952 में हुए लोकसभा चुनाव से लेकर अब तक कुल 17 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं और 18वां चुनाव इस वक्त अपने चुनावी चरणों से गुजर रहा है. लेकिन इन सब के बीच जो अच्छा हुआ है देश में, वह है देश के सुदूर वनग्राम्य क्षेत्र में लोकतंत्र और मतदान के प्रति जनजातीय समाज का विश्वास बढ़ना और उनकी चुनावों में लगातार भागीदारी में बढ़ोत्तरी दर्ज होना.
अब देश के विशेष रूप से कमजोर जन जातीय समूहों (पीवीटीजी) को चुनाव प्रक्रिया में शामिल करने के लिए पिछले दो वर्षों में भारत निर्वाचन आयोग के प्रयासों के प्रतिफल इस बार तेजी से सामने आते दिखे हैं. लोकतंत्र में अपनी आस्था व्यक्त करते हुए मध्यप्रदेश के जनजातीय समूहों ने पहले और दूसरे चरण में उत्साहपूर्वक भाग लिया है.
दरअसल, इस मामले में सामने आए आंकड़े बहुत उत्साह पैदा कर रहे हैं. मध्यप्रदेश शासन में जनसंपर्क विभाग के अधिकारी राजेश पाण्डेय ने इस संबंध में जानकारी दी कि भारत निर्वाचन आयोग ने चुनावी प्रक्रिया में पीवीटीजी को शामिल करते हुए मतदाताओं के रूप में उनके नामांकन और मतदान में भागीदारी के लिए पिछले दो वर्षों में विशेष प्रयास किए हैं. मतदाता सूची के अपडेशन के लिए विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण के दौरान, जहां पीवीटीजी निवास करते हैं, मतदाता सूची में शामिल करने के लिए विशेष आऊटरीच कैम्प आयोजित किए गए थे. मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने पीवीटीजी को देश के गौरवशाली मतदाताओं के रूप में नामांकित और सशक्त बनाने के लिए आयोग के विशेष प्रयासों पर जोर दिया था.
मध्यप्रदेश में बैगा और भारिया जनजातीय मतदाताओं ने बढ़-चढ़कर किया मतदान
राजेश पाण्डेय कहते हैं कि मध्यप्रदेश में बैगा, भारिया और सहरिया तीन पीवीटीजी हैं. प्रदेश में 23 जिलों की कुल 9 लाख 91 हजार 613 आबादी में से 6 लाख 37 हजार 681 पात्र मतदाता हैं और ये सभी मतदाता सूची में पंजीकृत हैं. राज्य में अब तक हुए दो चरणों के मतदान में बैगा और भारिया जनजाति के मतदाताओं में काफी उत्साह देखा गया. यह मतदाता सुबह-सुबह ही अपने मतदान केंद्र पर पहुंच गए. मतदान के लिए अपनी बारी का इंतजार किया और लोकतंत्र के महापर्व में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करते हुए उत्साह से मतदान किया. इन मतदाताओं की सुविधा के लिये दुर्गम क्षेत्र में भी नए मतदान केन्द्र स्थापित किए गए थे.
हिन्दुस्थान समाचार
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