लखनऊ: शाहजहांपुर को भगवान परशुराम जन्मस्थली और शहीदों की नगरी कहा जाता है. इस शहर से शहीद अशफाकउल्ला खान, पंडित राम प्रसाद बिस्मिल और रोशन सिंह जैसे सेनानियों का नाता रहा है. राजनीतिक दृष्टिकोण के हिसाब से भी ये जिला काफी अहम माना जाता है. योगी सरकार में तीन-तीन मंत्री भी इसी शहर से हैं. अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित उप्र में 27वें नंबर के शाहजहांपुर संसदीय क्षेत्र में 13 मई को चौथे चरण में मतदान होगा.
शाहजहांपुर लोकसभा सीट का इतिहास
शाहजहांपुर सीट 1962 में अस्तित्व में आई. उस चुनाव में निर्दलीय लखनदास यहां से जीते. 1967, 71, 80 और 84 का चुनाव कांग्रेस यहां से जीती. 1977 में भारतीय लोकदल ने जीत का परचम फहराया. 1989 और 1991 में जनता दल और 1996 में कांग्रेस इस सीट पर विजयी रहे. 1998 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सत्यपाल सिंह ने पहली बार यहां कमल खिलाया. 1999 में कांग्रेस के कुंवर जितेंद्र प्रसाद ने जीत का हार पहना. 2001 उपचुनाव में जितेंद्र प्रसाद का निधन होने से समाजवादी पार्टी (सपा) से राममूर्ति सिंह वर्मा जीते. 2004 में जितेंद्र प्रसाद के बेटे जितिन प्रसाद कांग्रेस के निशान पर यहां से जीते.
2008 में हुए परिसीमन के दौरान यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दी गई. उसके बाद 2009 में हुए चुनाव में सपा यहां से जीती. 2014 और 2019 में भाजपा ने यहां से लगातार दो बार जीत दर्ज की. अब तक हुए 15 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने यहां सबसे ज्यादा सात बार जीत हासिल की है. वहीं सपा दो और भाजपा ने तीन बार जीत चुकी है. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का अब तक इस सीट पर खाता नहीं खुला.
पिछले दो चुनावों का हाल
2019 के चुनाव में यहां मुख्य मुकाबला भाजपा और बसपा के बीच था. जीत भाजपा के खाते में आई. बसपा ने अमर चंद्र जौहर को उतारा तो भाजपा की ओर से अरुण कुमार सागर मैदान में थे. अरुण कुमार के खाते में 688,990 (58.04 प्रतिशत) वोट आए तो अमर चंद्र को 420,572 (35.43 प्रतिश) वोट मिले. कांग्रेस के प्रत्याशी के खाते में महज 35,283 (2.97 प्रतिशत) वोट ही आए.
2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा उम्मीदवार कृष्णाराज 2 लाख 35 हजार वोटों से जीती थीं. उन्हें 525,132 (46.45 प्रतिशत) वोट मिले. दूसरे नंबर पर रहे बसपा के उम्मेद सिंह को 289,603 (25.62 प्रतिशत) वोट हासिल हुए. सपा प्रत्याशी मिथलेश कुमार 242,913 (21.49 प्रतिशत) वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे. कांग्रेस प्रत्याशी चेतराम को 27011 (2.39 प्रतिशत) वोट मिले थे.
किस पार्टी ने किसको बनाया उम्मीदवार
भाजपा ने अपने मौजूदा सांसद अरुण सागर पर एक बार फिर भरोसा जताया है. वहीं, सपा ने कांग्रेस के साथ गठबंधन कर ज्योत्सना गौंड और बसपा ने डॉ.दोदराम वर्मा को मैदान में उतारा है.
शाहजहांपुर सीट का जातीय समीकरण
शाहजहांपुर लोकसभा सीट पर 23 लाख 22 हजार 103 मतदाता हैं. यहां मुस्लिम, ठाकुर, अनुसूचित जाति, लोध और यादव जाति के मतदाता प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करते हैं. जातीय समीकरण की बात करें तो 1.75 लाख वैश्य, 2.25 लाख ठाकुर, 2 लाख ब्राह्मण, 2.50 लाख मुस्लिम, 2.25 लाख यादव, 2 लाख जाटव, 2 लाख पासी, 1.25 लाख किसान, 1 लाख तेली, 50 हजार कायस्थ हैं. वहीं कोरी, कश्यप, धोबी, धानुक, बाल्मिकी, भुर्जी, कुम्हार, स्वर्णकार, गड़रिया और केवट मल्लाह के अनुमानित वोटर सवा चार लाख हैं. वहीं 50 हजार सिख वोटर भी हैं.
विधानसभा सीटों का हाल
शाहजहांपुर लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें कटरा, जलालाबाद, तिलहर, पुवायां, शाहजहांपुर और ददरौल शामिल है. और इन सभी सीटों पर 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को जीत मिली थी.
जीत का गणित और चुनौतियां
जिले की सभी राजनीतिक सीटों पर भाजपा का कब्जा है. यह उन सीटों में शामिल है जहां पर पिछले 50 सालों में किसी भी दल ने अब तक जीत की हैट्रिक नहीं लगाई है.भाजपा यहां जीत की हैट्रिक लगाकर रिकार्ड बनाने की तैयारी में है. सपा ने नामांकन के बाद राजेश कश्यप के बाद ज्योत्सना गौंड को प्रत्याशी बनाया है. इससे साफ जाहिर होता है कि सपा भीतर घात का शिकार हो सकती है. बसपा ने पार्टी के पुराने नामों को दरकिनार कर पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. दोदराम वर्मा को मैदान में उतारा है. डॉ. वर्मा की शिक्षा क्षेत्र में अच्छी पहचान के बावजूद राजनीति में कम अनुभव साफ दिखाई देता है.
राजनीतिक विशलेषक केपी त्रिपाठी के अनुसार, चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़ा जा रहा है. शाहजहांपुर में डबल इंजन की सरकार की बढ़त दिखती है.
शाहजहांपुर से कौन कब बना सांसद
1962 लखनदास (निर्दलीय)
1967 पी.के. खन्ना (कांग्रेस)
1971 कुंवर जितेंद्र प्रसाद (कांग्रेस)
1977 सुरेन्द्र विक्रम (भारतीय लोकदल)
1980 कुंवर जितेंद्र प्रसाद (कांग्रेस आई)
1984 कुंवर जितेंद्र प्रसाद (कांग्रेस)
1989 सत्यपाल सिंह (जनता दल)
1991 सत्यपाल सिंह (जनता दल)
1996 राममूर्ति सिंह (कांग्रेस)
1998 सत्यपाल सिंह (भाजपा)
1999 कुंवर जितेंद्र प्रसाद (कांग्रेस)
2001 राममूर्ति सिंह वर्मा (सपा) उपचुनाव
2004 कुंवर जितिन प्रसाद (कांग्रेस)
2009 मिथिलेश (सपा)
2014 कृष्णा राज (भाजपा)
2019 अरुण कुमार सागर (भाजपा)
हिन्दुस्थान समाचार
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