नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मीडिया रिपोर्टिंग और राजनैतिक प्रतिद्वंद्वियों को बयान देने से रोकने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी है. कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता पर एक लाख का जुर्माना लगाते हुए इस रकम को एम्स में जमा कराने को कहा है.
श्रीकांत प्रसाद नाम के एक वकील ने ये याचिका दायर की थी. कोर्ट ने याचिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये किस तरह की मांग है. क्या हम इमरजेंसी या मार्शल लॉ लगा दें. हम कैसे मीडिया संस्थान को रिपोर्टिंग से या किसी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी को केजरीवाल के खिलाफ बयान देने से रोक सकते हैं.
सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि आप क्या चाहते हैं कि हम आपातकाल लगा दें. इस तरह का आदेश जारी नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने कहा कि आप वकील हैं और इस तरह की याचिका कैसे दायर कर सकते हैं. आप एम्स में जमा करने के लिए एक लाख रुपये का ड्राफ्ट तैयार रखिए, हम जुर्माना लगा रहे हैं.
याचिका में अरविंद केजरीवाल को तिहाड़ में सरकार चलाने के लिए पर्याप्त सुविधाएं देने और उनके खिलाफ बयानबाजी पर रोक लगाने की मांग की गई थी. याचिका में यह भी मांग की गई थी कि अरविंद केजरीवाल को अपने कैबिनेट मंत्रियों के साथ बैठक करने के लिए वीडियो कान्फ्रेंसिंग की सुविधा तिहाड़ जेल में उपलब्ध कराई जाए.
कोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि अरविंद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका दायर कर रखी है. ऐसे में हाई कोर्ट ऐसा कोई आदेश कैसे जारी कर सकता है.
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हिन्दुस्थान समाचार
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