उत्तराखंड सरकार ने बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय को प्रदेश के जंगल की भीषण आग पर काबू पाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी दी और कहा कि ऐसी घटनाओं के कारण राज्य में 0.1 प्रतिशत वन्यजीव क्षेत्र जल चुके हैं. सुनवाई के बाद कोर्ट ने सरकार को निर्देश देते हुए उचित जवाब दाखिल करने के आदेश दिए.
राज्य सरकार ने न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ को जानकारी देते हुए बताया कि पिछले साल (2023) नवंबर से उत्तराखंड में जंगल में आग लगने की 398 घटनाएं हुई हैं और वे सभी मानव निर्मित थीं.
राज्य के वकील ने पीठ को सरकार द्वारा उठाए गए कई अन्य कदमों से अवगत कराया. इसके अलावा बताया कि जंगल की आग के संबंध में 350 आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं और उनमें 62 लोगों को नामित किया गया है.
वकील ने कहा प्राप्त जानकारी के अनुसार, उत्तराखंड का 40 प्रतिशत हिस्सा आग की चपेट में है. उन्होंने पीठ के सामने पहाड़ी राज्य में वन्यजीव क्षेत्र का केवल 0.1 प्रतिशत हिस्सा आग में जलने की अंतरिम स्थिति रिपोर्ट भी रखी.
राज्य सरकार की ओर से जंगल जलने की घटनाओं के लिए उठाए गए विभिन्न कदमों पर पीठ ने कहा कि ‘क्लाउड सीडिंग या वर्षा पर निर्भर रहना’ इस मुद्दे का जवाब नहीं है. पीठ ने राज्य को और निवारक उपाय करने का सुझाव दिया है. पीठ ने इस मामले की सुनवाई को 15 मई तक के लिए टाल दिया है.
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