नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज महाराणा प्रताप को उनकी जयंती पर आदरपूर्वक याद किया. उन्होंने एक्स हैंडल पर लिखा है, “मां भारती के महान सपूत महाराणा प्रताप को उनकी जयंती पर शत-शत नमन. साहस, शौर्य और स्वाभिमान के प्रतीक महाराणा प्रताप को उनकी जन्म-जयंती पर आदरपूर्ण श्रद्धांजलि. उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन मातृभूमि की रक्षा के लिए समर्पित कर दिया, जो देश की हर पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत बना रहेगा.”
उल्लेखनीय है, भारत के पराक्रमी महाराणा प्रताप का जन्म 09 मई, 1540 को राजस्थान के मेवाड़ में हुआ था. महाराणा प्रताप ने मुगलों के हमलों से मेवाड़ की रक्षा की. आन, बान और शान के लिए कभी समझौता नहीं किया. विपरीत से विपरीत परिस्थिति ही क्यों ना हो, कभी हार नहीं मानी.
1576 में हल्दी घाटी में महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर के बीच युद्ध हुआ था. महाराणा प्रताप ने अकबर की 85 हजार सैनिकों वाली विशाल सेना के सामने अपने 20 हजार सैनिक और सीमित संसाधनों के बल पर स्वतंत्रता के लिए कई वर्षों तक संघर्ष किया. इस युद्ध में जख्मी होने के बावजूद महाराणा मुगलों के हाथ नहीं आए. 30 वर्ष के लगातार प्रयास के बावजूद अकबर महाराणा प्रताप को बंदी नहीं बना सका. आखिरकार, उसे महाराणा को पकड़ने का ख्याल दिल से निकलना पड़ा.
महाराणा प्रताप का घोड़ा चेतक भी उनकी ही तरह की बहादुर था. मुगल सेना महाराणा प्रताप के पीछे लगी थी तब चेतक महाराणा को अपनी पीठ पर लिए 26 फीट के उस नाले को लांघ गया था, जिसे मुगल पार न कर सके. चेतक ने महाराणा को बचाने के लिए अपने प्राण त्याग दिए. महाराणा प्रताप का निधन 19 जनवरी 1597 को हुआ था. कहा जाता है कि महाराणा की मृत्यु पर अकबर की आंखें भी नम हो गई थीं.
हिन्दुस्थान समाचार
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