ICMR यानी भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने बुधवार को आहार संबंधी दिशानिर्देश जारी किए. ICMR ने आवश्यक पोषक तत्वों की आवश्यकताओं को पूरा करने और मोटापा और मधुमेह जैसे गैर-संचारी रोगों (NCD) को रोकने के लिए 17 आहार दिशानिर्देश जारी किए गए हैं.
ICMR unveils Dietary Guidelines for Indians (DGI) to promote healthy diets and lifestyles, warding off nutrient deficiencies and non-communicable diseases. Read more at: https://t.co/K1w2700tJi pic.twitter.com/SHcdIRhozf
— ICMR (@ICMRDELHI) May 8, 2024
शीर्ष स्वास्थ्य अनुसंधान निकाय के तहत राष्ट्रीय पोषण संस्थान (NIN) ने कहा कि स्वस्थ आहार और शारीरिक गतिविधि कोरोनरी हृदय रोग (CHD) और उच्च रक्तचाप (HTN) के पर्याप्त अनुपात को कम कर सकती है और टाइप 2 मधुमेह को 80 प्रतिशत तक रोक सकती है.
दरअसल एक रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में कुल बीमारी का 56.4 प्रतिशत बोझ अस्वास्थ्यकर आहार के कारण है. ऐसे में ICMR ने आहार संबंधी दिशानिर्देश जारी किए. भारतीयों के लिए आहार संबंधी दिशानिर्देश (DGIs) का मसौदा ICMR-NIN के निदेशक डॉ. हेमलता आर के नेतृत्व में विशेषज्ञों की एक बहु-विषयक कमेटी द्वारा तैयार किया गया और इसकी कई तरीके से वैज्ञानिक समीक्षा भी की गई.
इसमें कहा कि स्वस्थ जीवन शैली का पालन करके समय से पहले होने वाली ज्यादातर मौतों को रोका जा सकता है. इसमें कहा गया है कि शर्करा और वसा से भरे अत्यधिक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की खपत में वृद्धि, सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी और अधिक वजन की समस्या, कम शारीरिक गतिविधि और विविध खाद्य पदार्थों तक सीमित पहुंच के कारण स्थिति और खराब हो गई है.
NIN ने नमक का सेवन सीमित करने, तेल और वसा का कम मात्रा में उपयोग करने, उचित व्यायाम करने, चीनी और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों को कम करने की सिफारिश की है.
ICMR-NIN के निदेशक डॉ. हेमलता आर ने कहा कि डीजीआई के माध्यम से, हम इस बात पर जोर देते हैं कि सभी प्रकार के कुपोषण का सबसे तार्किक, टिकाऊ और दीर्घकालिक समाधान विविध खाद्य पदार्थों की खपत को बढ़ावा देते हुए पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों की उपलब्धता, पहुंच और सामर्थ्य सुनिश्चित करना है. दिशानिर्देशों में वैज्ञानिक बातें शामिल हैं साक्ष्य-आधारित जानकारी जो राष्ट्रीय पोषण नीति में बताए गए लक्ष्यों की प्राप्ति को सुविधाजनक बनाएगी.
ICMR के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा, पिछले कुछ दशकों में भारतीयों की आहार संबंधी आदतों में महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं, जिससे गैर-संचारी रोगों की व्यापकता में वृद्धि हुई है, जबकि अल्पपोषण की कुछ समस्याएं अभी भी बनी हुई हैं.
उन्होंने कहा, “मुझे खुशी है कि इन दिशानिर्देशों को भारत में बदलते खाद्य परिदृश्य के लिए बहुत प्रासंगिक बना दिया गया है, जिसमें खाद्य सुरक्षा से निपटने के लिए न्यूनतम प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ चुनने, खाद्य लेबल के महत्व और शारीरिक गतिविधि पर व्यावहारिक संदेश और सुझाव शामिल हैं. हमारे लोगों के समग्र पोषण और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए सरकार की कोशिश है.”
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