लखनऊ: यमुना नदी के किनारे बसे इटावा जिले का आजादी की जंग में अहम योगदान रहा है. 1857 में ब्रिटिश राज के खिलाफ विद्रोह के दौरान कई स्वतंत्रता सेनानी यहीं पर रह थे. यहां के स्थानीय लोगों को पांचाल कहा जाता था. अनुसूचित जाति के लिए प्रदेश की 17 रिजर्व सीटों में एक सीट इटावा सीट भी शामिल है. उत्तर प्रदेश की संसदीय सीट संख्या 41 इटावा में चौथे चरण में 13 मई को मतदान होगा.
इटावा लोकसभा सीट का इतिहास
इटावा लोकसभा सीट से कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) को 3-3 बार जीत मिली है. इस सीट पर पहली बार साल 1957 आम चुनाव में वोटिंग हुई थी. इस चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी के अर्जुन सिंह भदौरिया ने जीत हासिल की थी. जबकि साल 1962 आम चुनाव में कांग्रेस के जीएन दीक्षित विजयी हुए थे. लेकिन साल 1967 आम चुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के अर्जुन सिंह भदौरिया सांसद चुने गए. साल 1971 चुनाव में कांग्रेस के श्रीशंकर तिवारी सांसद बने. लेकिन साल 1977 आम चुनाव में जनता पार्टी के टिकट पर तीसरी बार अर्जुन सिंह भदौरिया सांसद चुने गए. लेकिन साल 1980 आम चुनाव में जनता पार्टी ने राम सिंह शाक्य को उम्मीदवार बनाया और उन्होंने जीत हासिल की.
साल 1984 आम चुनाव में कांग्रेस के रघुराज सिंह चौधरी और साल 1989 चुनाव में जनता दल के राम सिंह शाक्य सांसद चुने गए. इस सीट पर बसपा को पहली बार साल 1991 में जीत मिली थी. बसपा के टिकट पर कांशीराम सांसद चुने गए थे. लेकिन साल 1996 आम चुनाव में सपा के राम सिंह शाक्य ने जीत हासिल की. भाजपा को पहली बार साल 1998 में जीत मिली, जब सुखदा मिश्रा ने जीत दर्ज की थी. साल 1999, 2004 और 2009 के चुनाव में सपा ने यहां जीत दर्ज की. साल 2014 आम चुनाव में भाजपा के अशोक दोहरे सांसद चुने गए और और 2019 के आम चुनाव में भाजपा के ही राम शंकर कठेरिया यहां से जीते.
पिछले दो चुनावों का हाल
राम शंकर कठेरिया को चुनाव में 522,119 (50.75%) वोट मिले तो सपा के प्रत्याशी कमलेश कुमार के खाते में 457,682 (44.49%) वोट आए. कांग्रेस प्रत्याशी अशोक दोहरे तीसरे स्थान पर रहे. उनके खाते में 16570 (1.61%) वोट आए. कांग्रेस प्रत्याशी की जमानत जब्त हो गई. डॉ. राम शंकर कठेरिया ने 64,437 मतों के अंतर से यह मुकाबला जीत लिया और सांसद चुने गए.
इटावा सीट पर 2014 के चुनाव में भाजपा ने अशोक कुमार दोहरे को मैदान में उतारा. दोहरे ने बेहद आसान मुकाबले में सपा प्रत्याशी पूर्व सांसद प्रेमदास कठेरिया को 1 लाख 72 हजार 946 मतों के अंतर को हरा दिया. इस चुनाव में बसपा और कांग्रेस तीसरे और चौथे स्थान पर रहे.
किस पार्टी ने किसको बनाया उम्मीदवार
भाजपा ने मौजूदा सांसद डॉ. राम शंकर कठेरिया को यहां से मैदान में उतारा है. सपा ने जितेन्द्र कुमार दोहरे और बहुजन समाज पार्टी ने पूर्व सांसद सारिका सिंह बघेल को प्रत्याशी बनाया है.
इटावा सीट का जातीय समीकरण
इटावा लोकसभा सीट पर करीब 18.5 लाख वोटर हैं. इस सीट पर 4 लाख से ज्याद दलित वोटर हैं. जबकि ब्राह्मण 2.50 लाख, राजपूत 1.5 लाख के करीब है. इसके अलावा लोधी, यादव और मुस्लिम वोटर भी 1-1 लाख हैं.
विधानसभा सीटों का हाल
इटावा लोकसभ सीट के तहत 5 विधानसभा सीटें आती हैं. इसमें इटावा जिले की भरथना (अ0जा0), इटावा सीटें आती है. जबकि औरेया जिले की दिबियापुर और औरैया (अ0जा0) विधानसभा सीट इसमें शामिल है. कानपुर देहात की सिकंदरा विधानसभा सीट भी इसमें शामिल है. भरथना और दिबियापुर सीट पर सपा और बाकी पर भाजपा काबिज है.
जीत का गणित और चुनौतियां
सपा यहां के बदलाव के इतिहास से उम्मीद जोड़े हुए है. सपा का कांग्रेस से गठबंधन होने से जितेन्द्र कुमार दोहरे की उम्मीदें दलित, यादव और मुस्लिम वोटों पर टिकी है.
यहां आलू किसानों का कोई मुद्दा नहीं बस एक तरफ डबल इंजन की सरकार के विकास कार्य, राम मंदिर, धारा 370, राष्ट्रवाद की गूंज है. वहीं दूसरी तरफ अखिलेश यादव का पीडीए का नारा और प्रतिष्ठा बचाने की लड़ाई के आसपास ही सियासत की बयार बह रही है. बसपा प्रत्याशी की दलित वोटरों में सेंधमारी को रोक पाना भाजपा और सपा के लिए बड़ी चुनौती है. हालांकि भाजपा प्रत्याशी अपनी जीत को लेकर आशवस्त दिखाई देते हैं.
राजनीतिक विशलेषक जेपी गुप्ता के अनुसार, यहां का ताना-बाना ऐसा है कि किसी भी पार्टी का दबदबा नहीं रहा है. सपा 2 उम्मीदवारों के साथ इटावा लोकसभा सीट पर जीत की हैट्रिक लगा चुकी है और अब बीजेपी की बारी है. अब देखना है कि बीजेपी क्या इस बार भी जीत हासिल कर पाती है या नहीं.
इटावा से कौन कब बना सांसद
1957 अर्जुन सिंह भदौरिया (कांग्रेस)
1962 गोपीनाथ दीक्षित (कांग्रेस)
1967 अर्जुन सिंह भदौरिया (संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी)
1971 श्रीशंकर तिवारी (कांग्रेस)
1977 अर्जुन सिंह भदौरिया (भारतीय लोकदल)
1980 राम सिंह शाक्य (जनता पार्टी सेक्यूलर)
1984 रघुराज सिंह शाक्य (कांग्रेस)
1989 राम सिंह शाक्य (जनता दल)
1991 कांशी राम (बसपा)
1996 राम सिंह शाक्य (सपा)
1998 सुखदा मिश्रा (भाजपा)
1999 रघुराज सिंह शाक्य (सपा)
2004 रघुराज सिंह शाक्य (सपा)
2009 प्रेमदास (सपा)
2014 अशोक कुमार दोहरे (भाजपा)
2019 डॉ. रामशंकर कठेरिया (भाजपा)
हिन्दुस्थान समाचार
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