Bhopal Gas Tragedy: भोपाल गैस त्रासदी मामले में मॉनिटरिंग कमेटी द्वारा मंगलवार को उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान त्रैमासिक रिपोर्ट पेश की गई. कमेटी ने रिपोर्ट में बताया है कि अस्पताल में नियुक्ति सहित अन्य सिफारिशों का पालन नहीं किया गया है. हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस देव नारायण मिश्रा की युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई तीन जुलाई को निर्धारित की है.
गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने साल 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की ओर से दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए भोपाल गैस पीड़ितों के उपचार व पुनर्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किये थे. इन बिंदुओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी का गठित करने के निर्देश भी जारी किये थे. मॉनिटरिंग कमेटी प्रत्येक तीन माह में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष पेश करने तथा रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट द्वारा केन्द्र व राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने के निर्देश भी जारी किये गये थे, जिसके बाद उक्त याचिका पर हाईकोर्ट द्वारा सुनवाई की जा रही थी. याचिका के लंबित रहने के दौरान मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का परिपालन नहीं किये जाने के खिलाफ भी उक्त अवमानना याचिका 2015 में दायर की गयी थी.
उच्च न्यायालय की युगलपीठ ने याचिका की सुनवाई करते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान सहित राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र के अमर कुमार सिन्हा तथा विजय कुमार विश्वकर्मा को अवमानना का दोषी करार दिया है. इसके अलावा अन्य अनावेदकों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही के आदेश दिये थे. सरकार की तरफ से उक्त आदेश वापस लेने युगलपीठ के समक्ष आवेदन दायर किया था. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद आवेदन को स्वीकार करते हुए उक्त आदेश को रिकॉल करने के निर्देश जारी किये हैं.
याचिका पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान मॉनिटरिंग कमेटी की तरफ से पेश रिपोर्ट में बताया गया कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित बिंदुओं पर अनुशंसा के बावजूद परिपालन नहीं किया है. युगलपीठ ने मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट को रिकॉर्ड में लेते हुए उक्त आदेश जारी किये. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने पैरवी की.
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हिन्दुस्थान समाचार
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