ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलीकॉप्टर क्रैश में मौत हो गई है. दरअसल, रविवार को राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी, विदेश मंत्री होसैन, पूर्वी अजरबैजान प्रांत के गवर्नर मलिक रहमती, तबरीज के इमाम मोहम्मद अली अलेहाशेम, पायलट, को-पायलट, क्रू चीफ, हेड ऑफ सिक्योरिटी और बॉडीगार्ड समेत कुल 9 लोग जिस हेलीकॉप्टर में सवार थे वो क्रैश हो गया और इसमें इन सभी ने अपनी जान गंवा दी है. इब्राहिम रईसी की मौत के बाद से दुनिया के अलग-अलग कोने में कई लोग जश्न मना रहे हैं. इसकी बड़ी वजह ये है कि वो अपने जीवनभर अत्याचारों के आरोपों से घिरे रहे हैं. आइए जानते हैं कि इब्राहिम रईसी के ऊपर कौन-कौन से आरोप लगे हैं.
राष्ट्रपति चुनाव में लगा धांधली का आरोप
63 वर्षीय इब्राहिम रईसी साल 2021 में हुए चुनाव में राष्ट्रपति चुने गए थे. हालांकि, इस चुनाव में लोगों ने उनके ऊपर धांधली के आरोप लगाए थे. दरअसल, रईसी रूढ़िवादी मानसिकता के माने जाते थे इसी वजह से उनके राष्ट्रपति बनने के बाद पूरे देश में विरोध किया गया था. लेकिन इसके बावजूद भी वो राष्ट्रपति बन गए. हालांकि, साल 2021 के चुनाव में केवल 62 प्रतिशत वोटिंग हुई थी और ये ईरान के 4 दशकों में सबसे कम मतदान का रिकॉर्ड है.
राष्ट्रपति बनने के बाद रईसी ने मध्य पूर्व में ईरान के प्रभाव का विस्तार करने का प्रयास किया जिसके वजह से इजरायल से जंग भी हुए. उनके इस फैसले की वजह से दोनों देशों ने एक दूसरे के खिलाफ कई बार मिसाइल छोड़े. हालांकि, बाद में दोनों के बीच हालात थोड़े स्थिर हुए.
हिजाब कानून को लेकर हुआ विवाद
इब्राहिम रईसी के शासनकाल में हिसाब कानून को लेकर जमकर विवाद हुआ. दरअसल, उनके शासन में हिजाब और पवित्रता कानून का जबरन पालन करवाया जा रहा था जिसको लेकर पूरे देश में व्यापक तौर पर विरोध प्रदर्शन देखने को मिला. इस विरोध के दौरान महसा अमिनी और अर्मिता गेरावंद जैसी महिलाओं की जान चली गई थी. इतना ही नहीं महिलाओं ने हिजाब पहनने से मना करते हुए अपने बाल तक काटने लगी थी.
अमेरिका ने 2019 में लगा दिया था बैन
ईरान में रईसी के ऊपर बच्चों को फांसी, प्रमुख मानवाधिकारों वकीलों को कैद की सजा सुनाने जैसे कई आरोप लगे जिसकी वजह से अमेरिका की ट्रेजरी विभाग ने साल 2019 में उनके ऊपर बैन लगा दिया था.
3000 राजनीतिक विरोधियों की फांसी का आरोप
गौरतलब हो कि ईरान में साल 1988 में राजनीतिक विरोधियों को खत्म करने के लिए 4 सदस्यीय कमेटी बनाई गई थी जिसमें इब्राहिम रईसी भी थे. जिसको ‘देथ कमेटी’ के नाम से भी जाना जाता है. जानकारी के अनुसार इस कमेटी की वजह से 3000 से 5000 हजार के बीच राजनीतिक विरोधियों को फांसी दे दी गई थी. इसमें ज्यादातर लोग ईरान के पीपुल्स मुजाहिदीन संगठन के समर्थक थे.
इस्लामिक कट्टरपंथी थे रईसी
रईसी इस्लामिक कट्टरपंथी माने जाते थे. उन्होंने 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद से ही सरकार में अपनी ठीक-ठाक पैठ बना ली थी. जिसके बाद उन्होंने ईरानी में राजशाही व्यस्था को उखाड़ फेंका और इस्लाम तथा शरिया कानून पर आधारित एक नई राजनीतिक व्यवस्था लागू की. जिसके बाद से ईरान में महिलाओं को उच्च शिक्षा संस्थानों में बड़े पैमाने पर प्रतिबंधित किया जाने लगा. लड़कियों की शादी की उम्र घटाकर 9 साल कर दी गई और हजारों राजनीतिक कैदियों को फांसी दे दी गई. बता दें कि साल 2002 में लड़कियों की शादी की उम्र फिर से बढ़ाकर 13 साल कर दिया गया था.
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