गुजरात हाई कोर्ट ने एक बड़ा और ऐतिहासिक निर्णय लिया है. इसके तहत हाई कोर्ट के इतिहास में पहली बार सालों पुराने पेंडिंग अपील (आरोपियों को बरी कर देने के सामने की गई एक्विटल अपील) के त्वरित एवं प्रभावी निस्तारण के लिए समर वेकेशन के दौरान हाई कोर्ट में एक्स्ट्रा स्पेशल कोर्ट की रचना की गई है. इसके लिए सिंगल जज एवं खंडपीठ मिलाकर 12 जजों को इन सालों पुरानी अपील की सुनवाई करने की न्यायिक कार्यवाही सौंपी गई है.
जिन आरोपियों को बरी किया गया हो और उनके सामने एक्विटल अपील की गई हो उसी केस की सुनवाई के लिए यह व्यवस्था सुनिश्चित की गई है. इस व्यवस्था के तहत सिंगल जज एवं खंडपीठ मिलाकर 12 जज समर वेकेशन के चार सप्ताह के दौरान सुबह 9:00 से लेकर दोपहर 12:00 बजे तक सिर्फ नोटिफाई की गई क्रिमिनल अपील की सुनवाई करेंगे.
इन स्पेशल कोर्ट में अपील की सुनवाई के लिए 12 से ज्यादा सरकारी वकील का भी आवंटन किया गया है जो अपील की सुनवाई के दौरान सरकार का पक्ष रखेंगे. बता दें कि हाई कोर्ट में समर वेकेशन के दौरान सिविल और क्रिमिनल की अर्जेंट मेटर की सुनवाई के लिए दो वेकेशन जज सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक नियमित रूप से सुनवाई करते हैं. लेकिन, इसके अलावा भी अतिरिक्त स्पेशल कोर्ट की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है, जो सिर्फ क्रिमिनल अपील के निस्तारण के लिए काम करेगी.
गुजरात हाई कोर्ट की इस व्यवस्था की वजह से वकील और पक्षकारों के सालों पुराने पेंडिंग अपील के केस में शीघ्र न्याय मिलने की उम्मीद प्रबल हो गई है. अहमदाबाद मेट्रोपोलिटन कोर्ट ने प्रोहिबिशन के पेन्डिंग केसों की त्वरित और प्रभावी सुनवाई एवं निस्तारण के लिए 3 स्पेशल कोर्ट की रचना की है. इसके लिए 3 जजों को जिम्मेदारी दी गई है. इन स्पेशल कोर्ट में सिर्फ गुजरात प्रोहिबिशन एक्ट के तहत किए गए केसों की ही सुनवाई होगी. मेट्रोपोलिटन कोर्ट में हजारों प्रोहिबिशन केस पेन्डिंग है, जिसका इन स्पेशल कोर्ट की व्यवस्था से त्वरित निस्तारण होगा.
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