पश्चिम बंगाल की ममता सरकार पर तुष्टिकरण की नीति अपनाने के लगातार आरोप लगते आ रहे हैं. अब एक बार फिर मुस्लिम वोटों के लिए सीएम ममता बनर्जी ने बंगाल के जन-जन में बसे रामकृष्ण मिशन और भारत सेवाश्रम संघ जैसे प्रतिष्ठित धार्मिक संस्थाओं के खिलाफ टिप्पणी की तो साधु-संत विरोध पर उतर आए हैं.
विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के हवाले से मिला जानकारी के अनुसार छठे चरण के मतदान से ठीक पहले शुक्रवार (24 मई) को साधु-संत उत्तर कोलकाता के गिरीश एवेन्यू से विवेकानंद के जन्मस्थान तक पदयात्रा निकालेंगे. इस यात्रा को ‘संत स्वाभिमान यात्रा’ का नाम दिया गया है.
मिली जानकारी के अनुसार पदयात्रा में शामिल साधु-संत पूरे रास्ते नंगे पैर चलेंगे. वीएचपी ने धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधियों ही नहीं आम लोगों से भी संगठन की शर्तों के अनुरूप दर्शन, आरती और स्वागत की अपील करते हुए जुलूस में शामिल होने को कहा है.
इस बारे में वीएचपी के बंगाल प्रभारी अखिल भारतीय नेता सचिन्द्रनाथ सिंह ने कहा कि इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है, वोटों से भी नहीं. उन्होंने कहा है कि जिस तरह से चुनाव में हिंदू संतों को अल्पसंख्यक (मुस्लिम) वोट पाने के लिए धमकी दी गई है, उससे परिषद बंगाल के हिंदू समाज के भविष्य को लेकर परेशान है. सभी संस्थानों और मठों के भिक्षुओं ने भी सीएम ममता के भाषण और उसके तुरंत बाद जलपाईगुड़ी में मिशन पर हमले की निंदा की, इसके बाद यात्रा तय की गई.
क्या कहा था ममता बनर्जी ने?
ममता बनर्जी हिंदू संगठनों के खिलाफ जमकर बयानबाजी करती आ रही हैं. स्वामी विवेकानंद द्वारा स्थापित रामकृष्ण मिशन बंगाल की जन-जन में बसा है. स्वामी विवेकानंद आज भी बंगाली युवाओं के प्रेरणास्रोत हैं, पर इन सबसे इतर ममता ने श्री रामकृष्ण की पत्नी सारदा देवी के जन्मस्थान, हुगली के जयरामबाटी में शनिवार को एक रैली में इस संगठन समेत दूसरे हिन्दू संगठनों पर विवादित बयानबाजी की. ममता ने कहा कि रामकृष्ण मिशन के सदस्यों को निर्देश दिल्ली से मिलते हैं. ममता ने कहा कि रामकृष्ण मिशन और भारत सेवाश्रम संघ के कुछ भिक्षु दिल्ली में बीजेपी नेताओं के प्रभाव में काम कर रहे हैं. ये देश को बर्बाद करने का काम कर रहे हैं.
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