शिमला। लोकसभा चुनाव में शिमला लोकसभा सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है। दोनों दलों के स्टार प्रचारकों ने अपने प्रत्याशियों के पक्ष में पूरी ताकत झोंक दी है। पीएम नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी सिरमौर जिला के मुख्यालय नाहन में बड़ी चुनावी रैलियों को सम्बोधित कर सियासी माहौल गरमा चुके हैं। भाजपा इस सीट पर पिछले डेढ़ दशक से काबिज है। भाजपा ने निवर्तमान सांसद सुरेश कश्यप और कांग्रेस ने युवा विधायक विनोद सुल्तानपुरी को प्रत्याशी बनाया है। सुरेश कश्यप को लगातार दूसरी जीत के लिए पीएम मोदी और विनोद सुल्तानपुरी को खाता खोलने के लिए प्रदेश की सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार यानी सुक्खू के मंत्रियों व कांग्रेस के सिटिंग विधायकों का सहारा है।
भाजपा प्रत्याशी सुरेश कश्यप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं, तो विनोद सुल्तानपुरी की ओर से अपनी सुक्खू सरकार के 16 महीने के कार्यकाल में किये विकास कार्यों को प्रचार में भुनाया जा रहा है। भाजपा पीएम मोदी के मैजिक से इस सीट पर दोबारा जीत का परचम लहराना चाह रही है। यही वजह है भाजपा नेता अपनी जनसभाओं में मोदी सरकार की उपलब्धियों का बखान कर रहे हैं। भाजपा प्रत्याशी सुरेश कश्यप अपने जनसम्पर्क अभियान में मोदी के नेतृत्व में हुए कार्यों को गिना रहे हैं। भाजपा को उम्मीद है कि इस बार भी मोदी लहर से यह सीट उनकी झोली में आएगी। दरअसल, भाजपा के इस संसदीय क्षेत्र में 17 में से महज तीन विधायक हैं। इसे भाजपा की कमजोर कड़ी माना जा रहा है।
दूसरी तरफ कांग्रेस इस संसदीय क्षेत्र में अपने पांच मंत्रियों के बलबूते अपनी स्थिति बेहतर मान रही है। शिमला लोकसभा सीट पर कांग्रेस के 13 विधायक हैं, जिनमें पांच मंत्री हैं। कांग्रेस ने सभी मंत्रियों और विधायकों को उनके निर्वाचन क्षेत्रों में झोंक कर पार्टी प्रत्याशी को लीड दिलाने का टारगेट दिया है। शिमला लोकसभा सीट में शिमला, सोलन और सिरमौर जिलों के 17 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। कांग्रेस के शिमला में तीन और सोलन व सिरमौर में एक-एक मंत्री हैं। वहीं कांग्रेस के विधायकों की बात करें तो शिमला में कांग्रेस के छह, सोलन में चार और सिरमौर में तीन विधायक हैं। कांग्रेस को उम्मीद है कि राज्य में उनकी सरकार होने का प्रत्याशी को फायदा मिलेगा और यह सीट उनकी झोली में आएगी।
कांग्रेस के नाम लगातार छह चुनाव जीतने का रिकार्ड
शिमला संसदीय सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा है। इस सीट पर कांग्रेस के नाम लगातार छह लोकसभा चुनाव जीतने का रिकार्ड है। कांग्रेस के कृष्णदत्त सुल्तानपुरी वर्ष 1980 से 1998 तक इस सीट पर लगातार छह मर्तबा विजयी रहे। वर्तमान में उनके बेटे विनोद सुल्तानपुरी को ही कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। वर्ष 1999 में हिमाचल विकास कांग्रेस के धनीराम शांडिल ने कांग्रेस के इस गढ़ को ध्वस्त किया था। साल 2004 में धनीराम शांडिल कांग्रेस के टिकट पर फिर मैदान में उतरे और जीत हासिल की।
इसके बाद भाजपा के वीरेंद्र कश्यप ने कांग्रेस प्रत्याशी को पटकनी देकर भाजपा को विजय दिलाई। 2014 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर वीरेंद्र कश्यप भाजपा की सीट बचाने में कामयाब रहे। 2019 में भाजपा के सुरेश कश्यप यहां से सांसद बने। उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार धनीराम शांडिल को 3.27 लाख के विशाल अंतर से परास्त किया था।
हिन्दुस्थान समाचार
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