भारत की सेना को घेरने के प्रयास हों या पाकिस्तान और चीन के बहाने देश की मोदी सरकार को घेरने की कांग्रेस की कोशिशें और इससे आगे होकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर अनेक आपत्तिजनक टिप्पणियां करती कांग्रेस एक बार फिर से बेनकाब हुई है. समझ नहीं आता कि चीन और पाकिस्तान से बाहर नहीं निकल पा रहे कांग्रेसी नेता संघ और भाजपा को घेरने का नैतिक साहस कैसे कर लेते हैं ! आप यदि कांग्रेस के (1947) सत्ता में आने के बाद से लेकर जब तक वह केंद्र की सत्ता पर काबिज रही तब तक उनके द्वारा लिए गए आंतरिक निर्णय और अपनाई गई विदेश नीति को देख लीजिए; तब यह साफ हो जाता है कि कांग्रेस के कई निर्णयों ने पंथ निरपेक्ष भारत को कमजोर करने का काम ही किया .
‘मणि’ शंकर अय्यर, कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता नहीं हैं, बल्कि वे कांग्रेस की केंद्र में सत्ता के रहते पंचायती राज मंत्री, प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम तथा युवा कार्यकलाप और खेल मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री भी रहे . हाल ही में उनके दो बयान चर्चा का विषय बने, पहले उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के पास परमाणु बम है, इसलिए भारत को उससे बात करनी चाहिए. वे सिर्फ इतना ही कहकर रुक जाते तब भी कोई बात नहीं होती, हद यह रही कि वह यह भी कहते हैं कि भारत को पाकिस्तान को इज्जत इसलिए देनी चाहिए, क्योंकि कोई सिरफिरा आया तो हम पर इसका इस्तेमाल कर सकता है. उनके अनुसार आतंकवाद पर पाकिस्तान से बात करना जरूरी है वरना, पाकिस्तान सोचेगा कि भारत अहंकार के साथ हमें दुनिया में छोटा दिखा रहा है. ऐसे में पाकिस्तान में कोई भी पागल इस बम का इस्तेमाल भारत पर कर देगा.
इस तरह से पाकिस्तान को लेकर दिए बयान के बाद उनका अब चीन पर बयान आया है और अय्यर ने 1962 के भारत-चीन युद्ध को कथित चीनी आक्रमण बताकर देश पर कुर्बान हुईं सभी भारतीय सैन्य हुतात्माओं का भी अपमान कर दिया. ‘नेहरूज फर्स्ट रिक्रूट्स’ नाम की किताब के विमोचन के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम के वीडियो क्लिप में मणिशंकर अय्यर को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि अक्टूबर 1962 में चीन ने कथित तौर पर भारत पर आक्रमण किया. इसी तरह से कांग्रेस के आज की दिनांक में सबसे बड़े नेता चीन और पाकिस्तान के बहाने भाजपा और मोदी सरकार को बिना साक्ष्यों के घेरते नजर आते हैं . ये सभी बार-बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर अनर्गल बाते कहते हुए सुने जा सकते हैं.
कभी-कभी लगता है कि स्वाधीनता के बाद की कांग्रेस की विचारअनुच्छेद में ही कोई समस्या है क्या ? जो हर बार कोई न कोई कांग्रेसी नेता देश भक्तों को ही कटघरे में खड़ा करने का प्रयास करते हैं, जबकि उनकी स्वयं की इतिहास में गलतियां कितनी अधिक रही हैं, यह स्वीकार नहीं करना चाहते . हालांकि इस मुद्दे में अय्यर ने बात में यह स्वीकार कर लिया कि ‘चीनी आक्रमण’ से पहले ‘कथित’ शब्द का गलती से इस्तेमाल हो गया था, किंतु प्रश्न यह है कि यह बार-बार की गलती कांग्रेसी नेताओं से ही क्यों होती है?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी जब ब्रिटेन जाते हैं तो लंदन स्थित थिंक टैंक चैथम हाउस में कई मुद्दों पर अपनी राय रखते-रखते यहां तक बोल जाते हैं कि भारत में डेमोक्रेटिक कॉम्पटिशन का तरीका पूरी तरह से बदल गया है, इसका कारण आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) नामक एक संगठन है. आरएसएस मुस्लिम ब्रदरहुड की तर्ज पर बना है, यह एक कट्टरपंथी और फासीवादी संगठन है, जिसने भारत की लगभग सभी संस्थाओं पर कब्जा कर लिया है. अब आप इसे राहुल गांधी का मानसिक दिवालिया पन नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे! जो वे मिस्र के मुस्लिम ब्रदरहुड एक ऐसे संगठन से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना कर रहे हैं जोकि कई देशों में आतंकी गतिविधियों में संलिप्त पाया गया. मुस्लिम ब्रदरहुड की विवादित नीतियों के कारण इसे सऊदी अरब, यूएई और कई अन्य मुस्लिम देशों तक में प्रतिबंधित कर दिया गया है. मुस्लिम ब्रदरहुड आधुनिक इस्लामिक समाज बनाने के लिए कुरान और हदीस आधारित नीतियों को लागू करने पर जोर देता है. मुस्लिम ब्रदरहुड मिस्र, सूडान, सीरिया, फलस्तीन, लेबनान और उत्तरी अफ्रीका के कई देशों तक फैला हुआ है और इन सभी देशों में आतंक का पर्याय है.
एक तरफ इस्लाम के नाम पर जिहाद और जिहाद से न जाने कितने ही गैर मसलमानों को मौत दे चुका ये संगठन है तो दूसरी तरफ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ है जोकि अपने स्थापना काल से ही भारत को शक्ति सम्पन्न राष्ट्र बनाने के लिए नित्य प्रति प्रार्थना ही नहीं करता तो अब तक हुए उन सभी महापुरुषों का प्रात: स्मरण भी करता है, जिनके कारण से भारत आज अपने वर्तमान विशाल स्वरूप में दुनिया के सामने खड़ा हुआ है. संघ का हर स्वयंसेवक देश के विकास में अपना भरसक योगदान देता हुआ देखा जा सकता है, इसके बाद भी कांग्रेस की नजर में संघ अधिनायकवादी और फासीवादी है!
यहां यह भी नहीं है कि सिर्फ राहुल गांधी आज इस तरह से आरएसएस की बुराई करते हैं या किसी के साथ नकारत्मक रूप से तुलना करते हैं . कांग्रेस का संपूर्ण इतिहास रहा है, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की आलोचना जवाहर लाल नेहरू भी करते थे, इंदिरा गांधी भी करती थीं, राजीव गांधी, सोनिया, मनमोहन समेत पुराने और नए सभी कांग्रेसी नेता आपको करते हुए मिल जाते हैं. यानी जो भारत के लिए अपना सर्वस्व समर्पण करने में सबसे आगे रहें, उन्हें ही कांग्रेस शुरू से निशाना बनाती रही है.
कांग्रेस आरक्षण के मुद्दे पर भी संघ और भाजपा को घेरती है, जबकि ऐसा कोई वाकया इतिहास में दर्ज नहीं, जब कभी आरएसएस ने आरक्षण का विरोध किया हो. जबकि रा. स्व. संघ हमेशा से ही यही कहता आया है कि जब तक समाज में असमानता है, यह आरक्षण की व्यवस्था बनी रहना चाहिए. किंतु यह जानते हुए भी राहुल गांधी एवं अन्य कांग्रेसी संघ को आरक्षण के मुद्दे पर बदनाम करने के जूठे प्रयासों में लगे मिलते हैं .
जम्मू-कश्मीर की नीतियों के लिए भी भाजपा को दोषी ठहरा रही है, जबकि वह भूल जाती है कि उसकी गलत नीतियों के चलते ही अब तक हजारों लोगों को यहां अपनी जान गंवानी पड़ी हैं. राहुल, जम्मू-कश्मीर को ‘तथाकथित हिंसक जगह’ बताते हुए कहते हैं कि कश्मीर इंसर्जेंसी प्रोन स्टेट है और तथाकथित हिंसक जगह. किंतु यह कहने के साथ वे इतिहास को भुला बैठते हैं कि आखिर जम्मू-कश्मीर की जो स्थिति बनी उसका गुनहगार कोई और नहीं उनकी कांग्रेस पार्टी ही है. 22 अक्टूबर 1947 को कश्मीर पर पाकिस्तान समर्थित कबायली आक्रमण स्वतंत्र भारत पर पहला हमला था, जिसमें पाकिस्तानी आतंकवादियों और सेना ने लोगों पर भयानक अत्याचार किए. यह दिन कश्मीरियत और कश्मीर के लोगों के लिए एक काला दिन था. तब जब भारतीय सेना ने इन कबालियों को पीछे धकेलना शुरू किया तो यूएन में कौन लेकर गया था, कश्मीर का मुद्दा ? राहुल के नानाजी जवाहर लाल नेहरू .
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर, गिलगित बाल्टिस्तान और अक्साई चिन क्षेत्र को लेकर भारत के सामने ओ आज संकट दिखाई देता है, वह उन्हीं की पार्टी कांग्रेस की ही तो देन है. अनुच्छेद 370 की स्वीकारोक्ति भी कांग्रेस की देन रही, जिसने कई हजार लोगों को मौत दे दी.वह तो भाजपा की मोदी सरकार रही जो इसे समाप्त करने में कामयाब रही है, अन्यथा इसके बहाने अलगाववादी खुले तौर पर जम्मू-कश्मीर में हिंसा फैलाते थे, यह दुनिया जानती है. इतना ही नहीं अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने का मोदी सरकार का निर्णय अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए सबसे फायदेमंद रहा जबकि कांग्रेस ने इसे अब भी हटाने की बात कही है.
राहुल गांधी एक तरफ मोदी सरकार को चीनी आक्रमण के नाम पर और भारत की जमीन चीन द्वारा कब्जायी गई बातों को कहकर घेरते हैं तो दूसरी तरफ वह चीन की तारीफ भी करते हैं, वे यह कहते नजर आते हैं, चीन शांति का पक्षकार है. आप चीन में जिस तरह का इंफ्रास्ट्रक्चर देखते हो, रेलवे, एयरपोर्ट देखते हो, ये सबकुछ प्रकृति से जुड़ा हुआ है. चीन प्रकृति के साथ मजबूती से जुड़ा हुआ है. यही बताने के लिए काफी है कि चीन शांति में कितना ज्यादा दिलचस्पी रखता है.’ कांग्रेस आज उस चीन को शांति का दूत बता रही है जिसने कभी उसी के नेहरु शासनकाल में 1962 के दौरान भारत पर आक्रमण किया और हमारे अरुणाचल, सिक्किम, लेह-लद्दाख (गिलगिट-बाल्टिस्तान सहित), कश्मीर और अक्साई चिन के एक बहुत बड़े भू-भाग पर कब्जा कर बैठा है.
सन् 1962 के भारत-चीन युद्ध में भारत की पराजय के फलस्वरूप 38000 वर्ग किलोमीटर जम्मू-कश्मीर के भारतीय क्षेत्र पर चीन ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया. पुनः सन् 1963 में पाकिस्तान ने अपने अवैध रूप से अधिकृत उसी प्रदेश के 5180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को चीन को अनधिकृत रूप से सौंप दिया था . अतः कुल 43180 वर्ग किलोमीटर भारतीय क्षेत्र पर चीन का अनधिकृत कब्जा है. चीन की महत्त्वाकांक्षी सड़क-परियोजना उसी अनधिकृत क्षेत्र से गुजरती है,जिस पर भारत को स्वाभाविक रूप से आपत्ति है.
चीन के पक्ष में तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने सिर्फ इतना ही नहीं किया, बल्कि उसके समर्थन में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट पर भारत का दावा छोड़ दिया. यह भी एक तथ्य है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक गुप्त समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमें राजीव गांधी फाउंडेशन ने चीनी दूतावास से धन स्वीकार किया और चीनी कंपनियों के लिए बाजार पहुंच की सिफारिश करते हुए रिपोर्ट प्रकाशित की, उनके आधार पर, सोनिया गांधी की यूपीए मनमोहन सरकार ने चीनी सामानों के लिए भारतीय बाजार खोल दिया, जिससे भारतीय बाजार और छोट व्यापारियों को भारी नुकसान पहुंचाना जारी रखा है . और अब कांग्रेस नेता अय्यर हैं जोकि चीनी आक्रमण को छुपाने का प्रयास कर रहे हैं. यानी आज जो चीन की समस्या है, वह भी स्वयं कांग्रेस की ही देन है.
इसी तरह से कांग्रेस जो संघ और भाजपा पर संविधान बदलने का आरोप लगाते हैं, उसका सही ऑपरेशन हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया है. वे कहते हैं कि संविधान के साथ धोखा इस परिवार (गांधी परिवार) ने किया है. संविधान बनने के बाद सबसे पहले पंडित नेहरू ने संविधान संशोधन किया और फ्रीडम ऑफ स्पीच को रेस्ट्रिक्ट किया. फिर उनकी बेटी आईं इंदिरा गांधी, इंदिरा ने इमरजेंसी लगाई, कोर्ट के जजमेंट को नकार दिया, उनका चुनाव रद्द हो चुका था. संविधान के साथ धोखा उन्होंने (इंदिरा ने) किया. फिर आए उनके बेटे राजीव गांधी, वे भारत की मीडिया को कंट्रोल करने के लिए एक बिल लाए, देश की मीडिया और विपक्ष ने हो-हल्ला किया तो बच गए लेकिन तब वो संविधान की मूल भावना के खिलाफत करने गए. प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर इन्होंने (राहुल गांधी ने) मनमोहन सिंह की उस कैबिनेट के निर्णय पर क्या किया. वे (राहुल गांधी) कागज नहीं फाड़ रहे थे, वो भारत संविधान के टुकड़े कर रहे थे. वो बाबा साहब की पीठ में छुरा भोंक रहे थे, वो संविधान निर्माताओं की भावनाओं को चूर-चूर कर रहे थे. उनके परिवार के हर मुखिया ने संविधान के साथ ये बदतमीजी की है.
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह कहते हैं कि वे संविधान बदलने की बात कर रहे हैं, लेकिन स्वाधीन भारत के इतिहास पर नजर डालें तो कांग्रेस के शासनकाल में ही संविधान में 85 संशोधन किए गए. उन्होंने लोकतंत्र का गला घोंट दिया और आपातकाल की घोषणा कर दी. यह वे ही थे जिन्होंने यह किया. हमें जेल में डाल दिया गया. मैं 18 महीने तक जेल में रहा, जिनमें से दो महीने से अधिक एकान्त कारावास में था. मेरी मां की मृत्यु पर भी मुझे पैरोल नहीं दी गई. राजनाथ सिंह आगे कहते हैं, यह एक बड़ी सच्चाई है कि भारत के संविधान की प्रस्तावना संविधान के सिद्धांतों को प्रस्तुत करती है, लेकिन साल 1976 में 42वें संशोधन के तहत भारत के परिचय को ‘संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य’ से ‘संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य’ में बदल दिया गया . संविधान सभा ने महीनों तक प्रस्तावना पर चर्चा की. यह संविधान की आत्मा है लेकिन उन्होंने इसे भी बदल दिया. वास्तव में कांग्रेस को अपने इन कृत्यों के लिए जनता के सामने खेद व्यक्त करना चाहिए. संविधान में समय-समय पर बदलाव हो सकते हैं, लेकिन प्रस्तावना में नहीं. आपने मौलिक अधिकारों का गला घोंट दिया और उन्हें निलंबित कर दिया.
कहना होगा कि वर्तमान की सच्चाई यही है कि कांग्रेस को आज भी पाकिस्तान और चीन से इतनी हमदर्दी है कि पाकिस्तान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की भाजपा सरकार न आ पाए और कांग्रेस की सरकार आ जाए इसके लिए दुआए मांगी जा रही हैं. इसी तरह से चीन भी भारत में पुन: प्रधानमंत्री के रूप में नरेन्द्र मोदी को देखना नहीं चाहता. वैसे तो ये दोनों देश ही नहीं दुनिया के आज कई अन्य शक्तिशाली देश भी हैं, जो नहीं चाहते कि मोदी फिर एक बार भारत की सत्ता में आएं, क्योंकि इन सभी को कांग्रेस के समय का कमजोर भारत चाहिए, जोकि उनकी हां में हां मिलता दिखाई देता था.
(लेखक, हिन्दुस्थान समाचार से संबद्ध हैं.)
हिन्दुस्थान समाचार
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