World No Tobacco Day 2024: तंबाकू हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है. हालांकि, फिर भी काफी मात्रा में लोगो तंबाकू का सेवन करते हैं. लोगों को तंबाकू के प्रति जागरूक करने के लिए हर वर्ष 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है. इस दिन विश्व स्वास्थ्य संगठन लोगों को तंबाकू से होने वाले खतरों से अवगत कराता है. WHO की एक रिपोर्ट बताती है कि तंबाकू का सेवन करने वाले करीब आधे लोग, जो इसे नहीं छोड़ पाते हैं, जिसके वजह से उनकी मृत्यु हो जाती है.
IANS की रिपोर्ट के अनुसार निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी (NRT) के माध्यम से तंबाकू के सेवन को 70% तक कम की जा सकती है. ग्लोबल एडल्ट टोबेको सर्वे (गैट्स) 2009-10 की रिपोर्ट बताती है कि 35% भारतीय किसी न किसी प्रकार से तंबाकू का सेवन करते हैं. जिसमें 47% पुरुष और 20.2% महिलाएं हैं. तंबाकू के सेवन से होने वाले नुकसान के बारे में पता होने के बावजूद भी लोग इसे नहीं छोड़ते, इसलिए विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर लोगों को जागरूक करने, तंबाकू को छोड़ने और कभी हाथ नहीं लगाने के लिए जागरूक किया जाता है. तो आइए जानते हैं विश्व तंबाकू निषेध दिवस का इतिहास, महत्व और इस वर्ष की थीम के बारे में…
विश्व तंबाकू निषेध दिवस का महत्व
विश्व में तंबाकू निषेध दिवस का महत्व दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है. सोशल मीडिया और लाइव स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से दुनिया भर में युवा तेजी से तंबाकू प्रोडक्ट्स के आकर्षण और संपर्क में आ रहे हैं. जो उनके शरीर के लिए बेहद खतरनाक है. दुनिया भर के सर्वेक्षण लगातार दिखा रहे हैं कि अधिकतर देशों में 13-15 वर्ष की आयु के बच्चे तंबाकू और निकोटीन प्रोडक्ट्स का उपयोग कर रहे हैं. इसकी सेवन को खत्म करने के लिए ही विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है. इस दिवस के जरिए उन्हें जागरूक करना और तंबाकू की खपत को नियंत्रित करने का एक प्रयास है. इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को तंबाकू के सेवन से जुड़े हानियों के बारे में बताना जैसे कि फेफड़ों का कैंसर, दिल से जुड़ी बीमारियां, सांस की बीमारियां, आदि. इसके साथ ही इस दिन किसानों को भी तंबाकू उगाने से रोकने के लिए अपील की जाती है.
विश्व तंबाकू निषेध दिवस का इतिहास
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वर्ष 1987 संकल्प WHA40.38 पारित कर 7 अप्रैल 1988 को “विश्व धूम्रपान निषेध दिवस” मनाने का आग्रह किया था. इस दिन का खास उद्देश्य दुनिया भर में तंबाकू के सेवन करने वालों को 24 घंटे के लिए तंबाकू उत्पादों को छोड़ने के लिए मनाना था. अगले वर्ष 1988 में संकल्प WHA42.19 को पास कर हर वर्ष 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाने लगा. पहले वर्ष यानी 1988 की विश्व तंबाकू निषेध दिवस की थीम “तम्बाकू या स्वास्थ्य: स्वास्थ्य चुनें” थी.
इसके दस वर्ष बाद 1998 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तंबाकू मुक्त पहल (TFI) की स्थापना की थी, जो अंतरराष्ट्रीय संसाधनों और स्वास्थ्य से जुड़े तंबाकू के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित करने की पहल है.
विश्व तंबाकू निषेध दिवस की थीम
विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2024 की थीम “Protecting children from tobacco industry interference यानी तंबाकू उद्योग की दखल से बच्चों की रक्षा करना” है ताकि इससे भविष्य की पीढ़ियों को सुरक्षित रख सके और यह भी सुनिश्चित करना है कि तंबाकू के इस्तेमाल में गिरावट जारी रहे. इस वर्ष युवाओं को टारगेट कर बनाए गए मार्केटिंग के तरीकों की चिंता बढ़ाने वाली प्रवृत्ति की तरफ खास ध्यान दिया गया है.
कितना खतरनाक है तंबाकू का सेवन?
दुनियाभर में हर वर्ष 80 लाख से ज्यादा लोग तंबाकू के सेवन से ही मरते है. तंबाकू में मौजूद निकोटीन सेहत के लिए बेहद खतरनाक होता है और इसी वजह से कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है. तंबाकू का सेवन या तो चबा कर करें या धूम्रपान के जरिए इसमें मौजूद कार्सिनोजनिक तत्व शरीर पर बुरा असर डालते हैं. तंबाकू का सेवन करने वाले लोगों का मुह पूरी तरह नहीं खुल पाता है. अगर मुह के अंदर दोनों तरफ सफेद लाइन बनता है तो ये कैंसर का संकेत है. अगर समय से पहले इसका इलाज नहीं किया गया तो किसी व्यक्ति की जान भी जा सकती है.
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