जयपुर: जम्मू कश्मीर में नौ जून को आतंकी घटना में जयपुर के चार लोगों की मौत हो गई थी. ग्यारह जून मंगलवार को सभी शव ट्रेन से जयपुर पहुंचे तो लोगों को आक्रोश फूट पड़ा. आक्रोशित स्थानीय लोगों ने मुरलीपुरा और चौमूं थाने का घेराव कर प्रदर्शन किया. प्रदर्शन को देखते हुए बड़ी संख्या में मौके पर पुलिस बल मौजूद रहा. कई पुलिस के आलाधिकारी मौके पर पहुंचे. बडी संख्या में प्रदर्शनकारी मृतक आश्रितों को सरकारी नौकरी और एक-एक करोड़ रुपये मुआवजे की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए हैं. प्रदर्शनकारियों ने बाजारों को बंद करवा दिया. हालांकि, चौमूं में सुबह साढे दस बजे शुरू हुआ आंदोलन देर शाम जिला प्रशासन की ओर से मिले आश्वासन के बाद समाप्त हो गया है. सरकार की ओर से मृतक के आश्रितों को 50 लाख रुपये मुआवजा और दो जनों को संविदा नौकरी दी जाएगी. साथ ही एक डेयरी बूथ भी अलॉट किया जाएगा.
प्राप्त जानकारी के अनुसार मंगलवार सुबह करीब साढ़े नौ बजे जम्मू-कश्मीर में मारे गए चौमूं के परिवार के चारों शवों को ट्रेन से जयपुर लाया गया. यहां से शवों को कार से भिजवाया गया. दोपहर करीब बारह बजे चौमूं थाने की सुरक्षा बढ़ा दी गई. 6 थानों की फोर्स बुलाई गई है. पुलिस लाइन से भी बड़ी संख्या में जवानों को तैनात किया गया है. उधर, प्रदर्शनकारियों ने धरना में शामिल होने पहुंचे भाजपा नेता भूपेंद्र सैनी को धक्का मारकर वहां से हटाया.
वहीं सर्व समाज के लोगों के साथ राजस्थान प्रदेश माली महासभा ने कई मांगों को लेकर मुरलीपुरा थाने का घेराव कर प्रदर्शन किया. सरकार से मांग है कि मृतकों के परिजनों को आर्थिक पैकेज जो कन्हैया लाल उदयपुर को दी गई थी उसी प्रकार से आर्थिक पैकेज में सरकारी नौकरी की घोषणा करें . पूर्व विधायक रामलाल शर्मा ,राज्यसभा सांसद राजेन्द्र गहलोत,अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर कुंवर राष्ट्रदीप भी थाने पहुंचे. प्रदर्शनकारियों ने सड़कों को चारों तरफ से जाम कर दिया. प्रदर्शनकारियों ने आतंकवाद के खिलाफ नारेबाजी की.
अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर कुंवर राष्ट्रदीप ने बताया कि प्रशासन और प्रदर्शनकारियों के बीच सहमति बन गई है. सहमति के बाद धरना और प्रदर्शन समाप्त कर दिया है. प्रति परिवार 50 लाख रुपये, संविदा पर नौकरी और एक डेयरी बूथ आवंटन की बात पर सहमति बनी है. सहमति बनने के बाद परिजन शव को अंतिम संस्कार के लिए ले गए.
नौ जून को आतंकियों ने किया था हमला
नौ जून को जम्मू-कश्मीर में वैष्णों देवी के श्रद्धालुओं से भरी बस पर आतंकियों ने हमला कर दिया था. गोली ड्राइवर को लगी और बस खाई में गिर गई. हादसे में 10 लोगों की मौत हो गई थी और 33 लोग घायल हुए थे. मरने वालों में 4 लोग चौमूं स्थित पांच्यावाली ढाणी और मुरलीपुरा (हरमाड़ा) के थे. चारों लोग एक ही परिवार के सदस्य हैं. हमले में राजेंद्र सैनी (42) पुत्र हनुमान सहाय सैनी निवासी वार्ड 5, पांच्यावाली ढाणी, चौमूं (जयपुर) और उनकी पत्नी ममता सैनी (40) की मौत हो गई थी. वहीं राजेंद्र के बड़े भाई ओमप्रकाश की बेटी पूजा सैनी (30) निवासी अजमेरा की ढाणी, हरमाड़ा (जयपुर) और पूजा के बेटे लिवांश उर्फ किट्टू (2) ने भी जान गंवाई है. पूजा के पति पवन सैनी (32) घायल हो गए, जिनको कटरा के नारायण हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. बाद में उनको अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है.
जिस ट्रेन से परिवार को लौटना था उसमें आए शव
जानकारी के अनुसार मंगलवार को जिस ट्रेन से परिवार के बेटे-बहू और पोते की वापसी थी, उसी से बहू-पोते के शव लौटा है. परिवार के साथ जम्मू गए पवन सैनी की खुशी, चंद मिनटों में मातम में बदल गई. आतंकी हमले में गोद में बैठे 2 साल के बेटे की मौत हो गई. साथ बैठी पत्नी पूजा सैनी समेत परिवार के कुल 4 लोगों की मौत हो गई. सभी वैष्णो देवी गए थे. माता के दर्शन करने के बाद जम्मू घूम रहे थे. शिवखोड़ी जाने का प्लान ही नहीं था. लेकिन वैष्णो देवी से लौटने के बाद उनका प्लान बना. फिर शिवखोड़ी से लौटते हुए ही हमला हो गया.
हमले में घायल पवन ने बताया कि घटना बहुत दर्दनाक थी. मुझे न्याय चाहिए. हमलावरों को जल्दी पकड़ो. पता ही नहीं चला गोलियां कहां से चल रही थीं. मैं सीट पर बीच में बैठा था. बेटा लिवांश मेरी गोद में था. उसकी मौत हो गई. चाची साथ थी. चाचा पीछे बैठे थे. गोलीबारी का पता चला. फिर बस खाई में गिर गई. इसके बाद होश नहीं रहा.
सबसे पहले बस के ड्राइवर को गोली लगी थी. होश आते ही घर पर सबसे पहले पिता से बात की थी. उन्हें कहा था एक्सीडेंट हो गया है. हादसे से पहले पूरा परिवार खुश था. जगह-जगह फोटोज क्लिक कर रहा था. पवन ने भी बेटे लिवांश और पत्नी पूजा के साथ फोटोज खींची. इन्हें वे अपने वॉट्सऐप स्टेटस पर शेयर कर रहे थे.
बता दें कि पवन सैनी के परिवार में पिता रामलाल सैनी, मां, दो भाई नितिन सैनी और अमित सैनी हैं. एक बहन है. उनकी शादी हो चुकी है. पवन घर के पास ही ई-मित्र का सेंटर चलाते हैं.15 दिन बाद पोते का जन्मदिन था. दादा-दादी धूमधाम से बर्थडे मनाने के लिए तैयारियां कर रहे थे. बेटा-बहू पोते के साथ वैष्णो देवी के दर्शन करने के लिए जम्मू-कश्मीर गए थे. लेकिन 9 जून की रात को आए एक फोन ने उनकी जिंदगी बदल दी.
हिन्दुस्थान समाचार
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