महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के होट्टल गांव में पुरातत्व विभाग को शिव मंदिर का बुनियादी ढांचा मिला है जो 11वीं सदी में अस्तित्व में था. इसी के साथ उस काल के शिलालेख भी मिले हैं.
पुरातत्व विभाग के एक अधिकारी ने इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि चालुक्य काल के मंदिरों के लिए प्रसिद्ध होट्टल में संरक्षण कार्य के दौरान पुरातत्व विभाग को तीन शिलालेख मिले हैं. इनमें उन दानदाताओं का उल्लेख है, जिन्होंने 1070 ई. के आसपास इन मंदिरों के निर्माण में अपना योगदान दिया था.
जानकारी के अनुसार यह क्षेत्र कभी कल्याणी चालुक्यों की राजधानी रहा है और अपने मंदिर परिसरों के लिए प्रसिद्ध है. यहां मौजूद ऐतिहासिक मंदिरों के संरक्षण कार्य के दौरान पुरातत्व विभाग के अधिकारियों की टीम ने एक मंदिर के पास मलबा साफ करते समय शिव मंदिर के बुनियादी ढांचे की खोज की.
राज्य पुरातत्व विभाग के नांदेड़ संभाग के प्रभारी अमोल गोटे ने पीटीआई को बताया, ‘संरचना का पता लगाने के लिए चार गड्ढे खोदे गए और यहां भगवान शिव के मंदिर की बुनियाद मिली, जिसमें शिवलिंग भी था. इसके अतिरिक्त, हमें बड़ी संख्या में ईंटें भी मिलीं हैं, जो दर्शाती हैं कि मंदिर निर्माण में ईंटों का इस्तेमाल हुआ था.’
तेलंगाना में भी मिले ये अवशेष
बता दें कि इससे पहले फरवरी 2024 में तेलंगाना के नलगोंडा जिले से चालुक्य काल के दो प्राचीन मंदिर मिले थे. इसे देखकर
पुरातत्वविद भी हैरान हो गए थे. दरअसल, कृष्णा नदी के किनारे बसे मुदिमानिक्यम गांव में पुरातत्वविद जमीन की खुदाई करवा रहे थे, तभी उन्हें पत्थर टूटने की आवाज आई. जब उन्होंने उस जगह से मिट्टी को हटाई तो दुर्लभ शिलालेख के साथ चालुक्य काल के दो मंदिर मिले. जानकारी के अनुसार, ये मंदिर 1300 साल से अधिक पुराने हैं. इनमें से एक मंदिर में शिवलिंग का कुछ हिस्सा बचा है, तो वहीं दूसरे में भगवान विष्णु की मूर्ति है, जो आज भी पूरी तरह से सुरक्षित है. हैरानी की बात ये है कि यहां एक भव्य राम मंदिर भी है. तांगेडा, नागार्जुनकोंडा और वारंगल के अलावा आसपास के शहरों में रहने वाले लोग भगवान के दर्शन करने के लिए आते हैं.
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