राजनाथ सिंह ने गुरुवार को लगातार दूसरी बार रक्षा मंत्रालय का कार्यभार संभालने के बाद चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, तीनों सेना प्रमुखों, रक्षा सचिव और डीआरडीओ अध्यक्ष के साथ बैठक की. उन्होंने रक्षा मंत्रालय की प्रथम 100 दिवसीय कार्ययोजना की समीक्षा करते हुए कहा कि 2028-2029 तक 50 हजार करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के रक्षा उपकरणों का निर्यात करना होगा. राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारा उद्देश्य आने वाले समय में रक्षा निर्यात को बढ़ाना होगा.
लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए रक्षा मंत्री के रूप में राजनाथ सिंह ने आज कार्यभार संभाला. रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने नई दिल्ली के साउथ ब्लॉक में उनका स्वागत किया. कार्यभार संभालने के तुरंत बाद राजनाथ सिंह ने रक्षा मंत्रालय की पहले 100 दिनों की कार्य योजना पर एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की. बैठक में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, सेना अध्यक्ष जनरल मनोज पांडे, वायु सेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, नौसेना अध्यक्ष एडमिरल दिनेश त्रिपाठी, रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने, रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव और डीआरडीओ के अध्यक्ष डॉ. समीर वी. कामत और रक्षा मंत्रालय के अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे.
बैठक में पूर्व सैनिकों के कल्याण पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसमें पूर्व सैनिक कल्याण विभाग से संबंधित प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की गई. उन्होंने अधिकारियों को 100 दिनों की कार्य योजना में निर्धारित एजेंडे को पूरा करने के लिए खुद को फिर से समर्पित करने का निर्देश दिया. रक्षा मंत्री ने अगले पांच वर्षों के लिए अपने विजन को रेखांकित करते हुए कहा कि पहले से अधिक सुरक्षित, आत्मनिर्भर और समृद्ध राष्ट्र की स्थापना के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण और सेवारत तथा सेवानिवृत्त दोनों सैनिकों के कल्याण पर हमारा मुख्य ध्यान बना रहेगा.
राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारा उद्देश्य आने वाले समय में रक्षा निर्यात को बढ़ाना होगा. उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में रक्षा निर्यात 21,083 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर को छू गया था. उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य 2028-2029 तक 50,000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के रक्षा उपकरणों का निर्यात करना होगा. रक्षा मंत्री ने जोर देते हुए कहा कि सशस्त्र बलों को अत्याधुनिक हथियारों से लैस किया जा रहा है और वे हर चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने वीरता और प्रतिबद्धता के साथ राष्ट्र की एकता, अखंडता और संप्रभुता की रक्षा करने के लिए जवानों की सराहना की.
रक्षा मंत्री ने रक्षा तैयारी बढ़ाने और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता पर निरंतर जोर देने के उद्देश्य से कहा कि वह प्रमुख योजनाओं और रक्षा मंत्रालय की पहलों की प्रगति को तेज करने के लिए नियमित रूप से समीक्षा बैठकें करेंगे. हिंद महासागर क्षेत्र की बढ़ती प्रमुखता पर जोर देते हुए रक्षा मंत्री ने इस कार्यकाल की पहली यात्रा पर पूर्वी नौसेना कमान, विशाखापत्तनम जाने का फैसला किया है, जिसमें वे अधिकारियों और नाविकों के साथ बातचीत करेंगे. उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्रालय 2047 तक देश को ‘विकसित भारत’ बनाने के प्रधानमंत्री के विजन को साकार करने के उद्देश्य से नए जोश के साथ आगे बढ़ेगा.
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हिन्दुस्थान समाचार
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