भारत को जल्द ही पचास हजार करोड़ रुपये से अधिक की लागत से 26 राफेल मरीन जेट मिल सकता है. दरअसल, इसे खरीदने के लिए भारत और फ्रांस की सरकारों के बीच बातचीत चल रही है. विमान सौदे को लेकर दोनों देशों के बीच 30 मई से वार्ता शुरू होनी थी, लेकिन लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इस वार्ता को जून के दूसरे सफ्ताह तक के लिए टाल दिया गया था.
मिली जानकारी के अनुसार फ्रांस का एक प्रतिनिधिमंडल नई दिल्ली आया हुआ है. इसमें उनके आयुध महानिदेशालय के अधिकारी शामिल हैं, जो भारत के साथ चल रहे राफेल सौदे पर निगरानी रख रहे हैं.
आपको बता दें कि फ्रांस ने पिछले साल दिसंबर में भारतीय नौसेना के विमानवाहक पोतों – INS विक्रांत और INS विक्रमादित्य के लिए 26 राफेल मरीन जेट खरीदने के लिए भारत की निविदा पर अपना जवाब पेश किया था. भारत के स्वीकृति पत्र पर फ्रांस ने नई दिल्ली में जवाब दिया था.
बता दें कि राफेल मरीन फाइटर जेट को समुद्री क्षेत्र में हवाई हमले के लिए खास तौर पर तैयार किया गया है. इस एयरक्राफ्ट को कैरियर्स पर लैंडिंग के हिसाब से डिजाइन किया गया है. इस विमान के विंग फोल्डेबल है. बता दें कि वायुसेना को मिली राफेल विमान के विंग मुड़ नहीं सकते. राफेल-M एक मिनट में 18 हजार मीटर की ऊंचाई पर जा सकता है. ये विमान पाकिस्तान के पास मौजूद F-16 या चीन के पास मौजूद J-20 से काफी हद तक बेहतर है. विमान का काम्बैट रेडियस 3700 किलोमीटर है. वायुसेना वाले राफेल की तरह इस विमान में भी हवा में ही ईंधन भरने की क्षमता होती है.
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