दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने भड़काऊ भाषण देने के 14 साल पुराने मामले में लेखिका अरुंधति रॉय और कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर शेख शौकत हुसैन के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है.
अब अरुंधति रॉय और शेख शौकत हुसैन के खिलाफ UAPA की धारा 45(1) के तहत मुकदमा चलेगा. आपको बता दें कि इन दोनों पर पहले भी कई धाराओं में मुकदमा दर्ज हो चुका है. अब सवाल ये है कि किस बयान के कारण अरुंधती पर ये कार्रवाई क्यों हुई? अरुंधती ने क्या बयान दिया जिसकी वजह से उनके खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है?
किस बयान का वजह से अरुंधति पर हुई कार्रवाई?
अरुंधति रॉय और हुसैन ने 21 अक्टूबर, 2010 को कापरनिकस मार्ग स्थित एलटीजी ऑडिटोरियम में आजादी- द ओनली वे के बैनर तले आयोजित एक सम्मेलन में भड़काऊ और भारत विरोधी भाषण दिए थे. उसके खिलाफ सुशील पंडित ने मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई थी.
जिसके बाद नवंबर, 2010 को कोर्ट के आदेश के तहत दोनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. अपनी शिकायत में, पंडित ने आरोप लगाया था कि कॉन्फ्रेंस के दौरान अरुंधति रॉय सहित कई अन्य वक्ताओं ने अपने भाषणों से ‘सार्वजनिक शांति और सुरक्षा को खतरे में डाला’, आरोप है कि इन भी ने ‘कश्मीर को भारत से अलग करने’ के अलगाववादी विचारधारा को अपने बयानों से बढ़ावा दिया. तो वहीं अरुंधति रॉय पर आरोप है कि उन्होंने कॉन्फ्रेंस के दौरान अपने भाषण में कहा था, ‘कश्मीर कभी भी भारत का हिस्सा नहीं था. उस पर भारत के सशस्त्र बलों ने जबरन कब्जा किया हुआ है’.
किन धाराओं में दर्ज हुआ मामला
शिकायतकर्ता सुशील पंडित ने इस कान्फ्रेंस की रिकॉर्डिंग मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट के सामने पेश किया था. इस आधार पर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को अरुंधति रॉय और शेख शौकत हुसैन के खिलाफ अनेक धाराओं में मामला दर्ज करने के निर्देश दिए थे.
पुलिस ने अरुंधति रॉय और शेख शौकत के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 124A, 153A, 153B, 504, 505 और यूएपीए की धारा 13 के तहत मुकदमा चलाने के लिए उपराज्यपाल से अनुमति मांगी थी. पिछले साल अक्टूबर में उपराज्यपाल ने भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए, 153बी और 505 के तहत मामला चलाने की मंजूरी दी थी. अब राज्यपाल ने यूएपीए के तहत भी मामला दर्ज करने की अनुमति दे दी है.
आपको बता दें कि आईपीसी की धारा 153A धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समुदायों में वैमनस्यता बढ़ाना और सद्भाव बिगाड़ने से संबंधित है, जबकि आईपीसी की धारा 153B राष्ट्र की संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने से संबंधित है. आईपीसी की धारा 504 किसी को जानबूझकर अपमानित करना या उकसाना.
क्या है UAPA एक्ट?
UAPA एक्ट 1967 में बना था. कांग्रेस की अगुवाई वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने 2008 और 2012 में इसमें संशोधन कर इसे और सख्त बना दिया. इसके बाद मोदी सरकार ने 2019 में इसमें और संशोधन कर इसके प्रावधानों को और कड़ा बना दिया. इस काननू के अमुसार, ‘भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा या संप्रभुता को संकट में डालने या ऐसा करने की संभावना के इरादे से किया गया कार्य, भारत या विदेश में रहते हुए नागरिकों या किसी तबके में आतंक फैलाने या ऐसा करने की संभावना के इरादे से किया गया कार्य आतंकवादी कृत्य है’. इस परिभाषा में बम धमाकों से लेकर जाली नोटों का कारोबार तक शामिल है.
अरुंधति रॉय एक प्रसिद्ध लेखिका
बता दें कि अरुंधति रॉय एक प्रसिद्ध लेखिका हैं. अरुंधति रॉय ने अपनी पहली किताब ‘द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स’ लिखी थी जिस पर इनको 1997 में बुकर प्राइज मिला था. वह बुकर प्राइज जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनी थीं. टाइम मैग्जीन ने 2014 में अरुंधति रॉय को दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की अपनी सूची में जगह दी थी. दुनिया के प्रमुख समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर उनके लेख प्रकाशित होते रहते हैं. सितंबर 2023 में उन्हें, 2021 में प्रकाशित उनके निबंध संग्रह ‘आजादी’ के लिए 45वें यूरोपियन डे ल’एसाई लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. इसके इतर कश्मीर और भारतीय सेना को लेकर उनके बयान हमेशा ही विवाद का विषय बनते रहते हैं.
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