पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले के रुईधासा में एक मालगाड़ी ने सियालदाह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस को टक्कर मार दी. टक्कर लगने से कंचनजंगा एक्सप्रेस की कई बोगियां पटरी से उतर कर कई फीट हवा में उछल गईं. इस घटना अब तक 15 लोगों की मौत हो गई है जबकि 60 लोगों के घायल होने की खबर है.
ये टक्कर सुबह 9 बजे की बताई जा रही है. रेलवे बोर्ड की चेयरमैन जया वर्मा सिन्हा ने बताया कि ड्राइवर की गलती से ये दुर्घटना हुई. और इस दुर्घटना में ड्राइवर और ट्रेन के गार्ड की भी मौत हो गई है.बता दें कि ये इस वर्ष की सबसे बड़ी ट्रेन दुर्घटना है. इससे पहले वर्ष 2023 में बालासोर में बड़ा हादसा हो गया था जब लगभग 298 लोगों ने अपनी जवान गवांई थी.
2014 के बाद से रेल दुर्घटना में आई कमी- आंकड़े
सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 2004 से लेकर 2014 तक हर वर्ष 171 रेल दुर्घटनाएं होती थी. जबकि 2024 से 2023 तक के बीच औसतन 71 घटनाएं होती हुईं. आंकड़े बताते है कि पिछलो कई दशक में रेल दुर्घटनाओं में कमी आई है. 1960-61 से 1970-71 के बीच 10 साल में 14,769 ट्रेन हादसे हुए थे. 2004-05 से 2014-15 के बीच 1,844 दुर्घटनाएं हुईं. वहीं, 2015-16 से 2021-22 के बीच छह सालों में 449 ट्रेन हादसे हुए. इन आकड़ों को देखें तो वर्ष 1960 से लोकर 2022 तक यानी 62 सालों में 38,672 रेल हादसे हुए हैं. यानी, हर वर्ष औसतन 600 से ज्यादा दुर्घटनाएं हुईं.
सबसे ज्यादा हादसे डिरेलमेंट के
रेलवे की ईयर बुक पर नजर डालेंगे तो पता चलता है कि सबसे ज्यादा हादसे डिरेलमेंट यानी ट्रेन के पटरी से उतर जाने के कारण होते हैं. 2015-16 से 2021-22 के बीच 449 ट्रेन हादसे हुए थे. इनमें से 322 की वजह डिरेलमेंट थी.
2019-20 से 2020-21 के बीच एक भी मौत नहींं
रेलवे की ईयर बुक के अनुसार 2017-18 से 2021-22 यानी 5 वर्षों में 53 लोगों की जान रेल दुर्घटना के दौरान हुई. जबकि 2019-20 से 2020-21 में ट्रेन हादसों में एक भी मौत नहीं हुई. हालांकि इस दौरान वो दौर भी आया था जब कोविड महामारी फैली थी और ट्रेनों की आवाजाही काफी दिनों तक बंद कर दी गई थीं.
स्टाफ की गलती और इक्विपमेंट फेल?
बात करें वर्ष 2021-22 की तो इस दौरान कुल 34 ट्रेन हादसे हुए, इनमें 20 हादसों की वजह स्टाफ की गलती थी. जबकि 4 हादसे इक्विपमेंट फेल होने की वजह से हुए थे. ट्रेन हादसों में मरने वालों को 5 लाख, गंभीर रूप से घायल होने पर 2.5 लाख और घायल होने पर 50 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाता है. अकेले 2021-22 में 85 करोड़ मुआवजा दिया गया.
सरकार क्या ले रही है एक्शन?
भारतीय रेवले दुनिया का चौथा सबसे लंबा रेल नेटवर्क है. ये पूरे देश की लाइफलाइन है. आम लोग इसी माध्यम से हर छोटी और लंबी यात्राएं करते हैं. हर दिन 2.5 करोड़ से भी अधिक लोग ट्रेन से यात्रा करते हैं. ऐसे में दुर्घटना से निपटने के लिए सरकार क्या कर रही है ये एक बड़ा और अहम सवाल है.
दरअसल, सरकार ने दो ट्रेनों के टक्कर को रोकने के लिए कवच सिस्टम की शुरुआत की है. रेल कवच एक ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम है. इंजन और पटरियों में लगी इस डिवाइस से ट्रेन की स्पीड को कंट्रोल किया जाता है. इससे खतरे का अंदेशा होने पर ट्रेन अपने आप रुक जाती है. लेकिन फिलहाल सिर्फ 139 इंजनों में ही कवच सिस्टम लग पाया है.
इसी तरह से इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम भी है. ये सिस्टम सिग्नल, ट्रैक और प्वॉइंट के साथ मिलकर काम करता है. इंटरलॉकिंग सिस्टम ट्रेनों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करता है. अगर लाइन क्लियर नहीं होती है तो इंटरलॉकिंग सिस्टम ट्रेन को आने जाने के लिए सिग्नल नहीं देता है.
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