पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में सोमवार को हुई दुर्घटना से पूरा देश दहल गया. इस भायानक घटना ने कितनी जिंदगियां के ली और कितनों को वेसहारा कर दिया. कुछ इस दुर्घटना के अभी भी उबर नहीं पाए हैं. इस हादसे के बाद सबके मन में ये सवाल है कि आखिर ये दुर्घटना हुई क्यों और कौन इसके लिए जिम्मेदार है? ऐसे में इस मामले में कई बड़े अपडेट सामने आए हैं.
बंगाल के रानीपतरा रेलवे स्टेशन और चत्तर हाट जंक्शन के बीच ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम सोमवार सुबह 5.50 बजे से खराब था. इसी जगह मालगाड़ी ने कंचनजंगा एक्सप्रेस को टक्कर मारी थी.
ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम फेल होने की वजह से रंगापानी के स्टेशन मास्टर ने कंचनजंगा एक्सप्रेस को TA-912 नाम का एक लिखित नोट यानी मेमो जारी किया. ये मेमो सुबह 8.20 बजे कंचनजंगा एक्सप्रेस मिला तो वहीं मालगाड़ी को सुबह 8.35 बजे यही मेमो जारी किया गया.
बता दें कि यह नोट सिग्नलिंग सिस्टम काम नहीं करने की स्थिति में लोको पायलट को सभी रेड सिग्नल क्रॉस करने की मंजूरी देता है. यानी अगर मालगाड़ी को TA-912 नहीं मिला होता तो ड्राइवर को प्रत्येक खराब सिग्नल में एक मिनट के लिए गाड़ी रोकनी होती है और 10 किलोमिटर प्रति घंटे की गति से आगे बढ़ना होता है.
इस नोट (TA-912 ) में कहा गया था कि लोको पायलट को फाटकों पर नजर रखनी होगी. गेट बंद होने पर ही लोको पायलट ट्रेन को ले जा सकता है. अगर गेट खुला है तो उसे पहले ही रुकना होगा.
आपको बता गें कि रेलवे बोर्ड की चेयरमैन जया वर्मा सिन्हा ने कहा कि मालगाड़ी के चालक ने सिग्नल की अंदेखी की. जिस वजह से ये दुर्घटना हुई. इस पर लोको पायलट संगठन ने इस दावे पर सवाल उठाया. भारतीय लोको रेलवे लोको रनिंगमैन संगठन (आईआरएलआरओ) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय पांधी ने कहा कि लोको पायलट की मौत हो जाने और सीआरएस जांच लंबित होने के बाद लोको पायलट को ही दोषी घोषित करना आपत्तिजनक है.
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