यूएस हाउस के फॉरेन अफेयर्स कमेटी के चेयरमैन माइकल मैकॉल की अगुवाई में बुधवार को एक प्रतिनिधिमंडल तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा से मिला. प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में अमेरिकी संसद में तिब्बत को लेकर पास किये गए एक्ट की प्रति दलाई लामा को सौंपी. प्रतिनिधमंडल के सदस्यों ने धर्मगुरु को एक्ट में तिब्बत के हितों को लेकर रखे गए बिंदुओं पर भी चर्चा की.
दलाई लामा ने प्रतिनिधिमंडल का तिब्बत के प्रति उनके सहयोग के लिए आभार जताया. सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल मंगलवार को धर्मशाला पहुंचा था. प्रतिनिधिमंडल ने अपने दौरे के पहले दिन निर्वासित तिब्बती पार्लियामेंट सहित म्यूजियम और लाइब्रेरी का दौरा किया. इस दौरान निर्वासित तिब्बती सरकार के प्रधानमंत्री पेंपा सेरिंग सहित उनके सहयोगी मंत्रिमंडल के सदस्य भी मौजूद रहे.
प्रधानमंत्री सेरिंग ने कहा कि यूएस कांग्रेस में तिब्बत को लेकर हाल ही में पारित किए गए विधेयक सहित कई अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई है. उन्होंने कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका हमेशा तिब्बत के साथ खड़ा है. उन्होंने कहा कि यह विधेयक दोनों सदनों से पास हो चुका है और अब सिर्फ विधेयक पर जल्द ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन भी हस्ताक्षर करेंगे. इस दौरान यूएस की पूर्व सरकार में संसद अध्यक्ष रह चुकी नैंसी पेलोसी भी मौजूद रहीं. हालांकि, चीन इससे खुश नहीं है.
क्यों चिढ़ा चीन?
दरअसल, पड़ोसी देश चीन दावा करता है कि सदियों से तिब्बत उसका हिस्सा है. इसलिए चीन ने इस बिल का विरोध भी किया है. इतना ही नहीं चीन ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से इस बिल पर साइन नहीं करने के लिए अपील भी की है.
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हिन्दुस्थान समाचार
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