18 वीं लोकसभा के पहले संसद सत्र का शुभारंभ हो चुका है. 7 बार से सांसद रहे भर्तृहरि महताब के नाम पर NDA (National Democratic Alliance) ने मुहर लगाई और उन्हें राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने प्रोटेम स्पीकर पद की शपथ दिलाई.
कौन होते हैं प्रोटेम स्पीकर?
हमारे संविधान में प्रोटेम स्पीकर के पद का कोई जिक्र नहीं है. लेकिन संसदीय मामलों के मंत्रालय की नियमावली में प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति और शपथ का जिक्र है. दरअसल नई लोकसभा के गठन के बाद स्पीकर चुनने की प्रक्रिया होती है क्योंकि निचला सदन यानि लोकसभा के संचालन में स्पीकर की भूमिका अहम होती है. लेकिन नई सरकार के गठन के बाद जबतब लोकसभा स्पीकर का चुनाव नहीं होता है, जबतक लोकसभा की जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया जाता है.
प्रोटेम स्पीकर का चुनाव और कार्य
संसदीय मामलों के मंत्रालय की नियमावली के अनुसार जब तक लोकसभा अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं हो जाती तबतक प्रोटेम स्पीकर ही सदन चलाता है. स्पीकर की जिम्मेदारियों के निर्वहन के लिए राष्ट्रपति, सदन के ही किसी सदस्य को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करते हैं. प्रोटेम स्पीकर का पहला काम सभी नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाने का है. नियमों के अनुसार, राष्ट्रपति द्वारा तीन अन्य लोकसभा सांसदों को भी सांसदों को शपथ दिलाने के लिए नियुक्त किया जाता है।
जैसे ही नई सरकार का गठन होता है, तो उसके बाद सरकार का विधायी विभाग लोकसभा के वरिष्ठ सांसदों की लिस्ट तैयार करता है। इस लिस्ट को संसदीय मामलों के मंत्री या प्रधानमंत्री को भेजा जाता है. प्रधानमंत्री की मंजूरी के बाद प्रोटेम स्पीकर और तीन अन्य सांसदों के नाम संसदीय मामलों के मंत्री राष्ट्रपति को इन नामों की जानकारी देते हैं. वहां से मंजूरी मिलने के बाद नामों का एलान कर दिया जाता है
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