सदन के किसी वरिष्ठ सदस्य को ही आमतौर पर सर्वसम्मति से प्रोटेम स्पीकर चुना जाता है लेकिन इसमें अपवाद भी हो सकता है. अभी तक प्रोटेम स्पीकर सर्वसम्मति से चुने जाते रहे हैं लेकिन इसबार सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य कांग्रेस सांसद के. सुरेश जो 8 बार से सांसद हैं उन्हें नजरअंदाज कर ओडिशा के कटक से 7 बार के सांसद भर्तृहरि महताब को चुना गया. विपक्षी गठबंधन ने इसका जमकर विरोध किया और बीजेपी पर नियमों को तोड़ने तक का आरोप लगाया. कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि वरिष्ठता की अनदेखी कर बीजेपी संसदीय मानदंडों को खत्म करने की कोशिश कर रही है.
मोदी सरकार ने किया पलटवार
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष पर पलटवार कर कहा कि महताब लगातार 7 बार से लोकसभा सदस्य हैं, जिससे वह इस पद के लिए उपयुक्त हैं. उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता के. सुरेश साल 1998 और 2004 में चुनाव हार गए थे, जिस कारण उनका मौजूदा कार्यकाल लोकसभा में लगातार चौथा कार्यकाल है. .
क्या कहता है राजनीतिक इतिहास?
इतिहास खोलकर देखें तो प्रोटेम स्पीकर को लेकर दो अपवाद सामने आए हैं. लोकसभा में सबसे वरिष्ठ नहीं होने वाले सदस्यों को प्रोटेम स्पीकर के रूप में दो बार नियुक्त किया जा चुका है. सबसे पहले साल 1956 में सरदार हुकम सिंह को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया गया था. उसके बाद 1977 में डी.एन. तिवारी को अस्थायी स्पीकर बनाया था।
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