दिल्ली शराब घोटाले के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में आरोपित मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सर्वोच्च न्यायालय से झटका लगा है. शीर्ष अदालत ने केजरीवाल की जमानत पर हाई कोर्ट का स्टे मामले पर सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए दो टूक कहा कि पहले हाई कोर्ट से अपनी अर्जी वापस लें, फिर हमारे पास आएं. अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले में बुधवार यानि 26 जून को सुनवाई करेगा, यानी हाईकोर्ट के आदेश का इंतजार किया जाएगा. अभी यथा स्थिति रहेगी. बुधवार को सुनवाई से पहले उम्मीद है कि दिल्ली हाई कोर्ट का आदेश भी आ जाएगा. सुनवाई के दौरान केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि हाई कोर्ट का स्टे, न्याय प्रक्रिया का उल्लंघन है. इसके बाद जस्टिस मनोज मिश्र ने कहा कि हाई कोर्ट आज या कल में फैसला सुनाने वाला है.
बता दें निचली अदालत ने 20 जून को अरविंद केजरीवाल को जमानत दे दी थी, लेकिन प्रवर्तन निदेशालय यानि ईडी ने निचली अदालत के फैसले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. हाईकोर्ट ने शुक्रवार को इस पर अंतरिम रोक लगा दी थी और पूरे मामले की स्टडी करने के बाद आदेश सुनाने की बात कही थी.
क्या है दिल्ली शराब घोटाला?
दिल्ली की सत्ता पर काबिज आम आदमी पार्टी की सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नई एक्साइज पॉलिसी को लागू किया था. नई पॉलिसी के तहत शराब कारोबार से सरकार बाहर आ गई और पूरी दुकानें निजी हाथों में चली गई थीं.
दिल्ली सरकार का दावा था कि नई शराब नीति से माफिया राज खत्म होगा और सरकार के रेवेन्यू में बढ़ोतरी होगी. लेकिन 8 जुलाई 2022 को दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव नरेश कुमार ने एक रिपोर्ट उपराज्यपाल को सौंपी जिसमें शराब नीति में अनियमितताओं के आरोप लगाए गए. इस रिपोर्ट में उन्होंने मनीष सिसोदिया समेत आम आदमी पार्टी के कई बड़े नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए थे. दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी.
इसके बाद सीबीआई ने 17 अगस्त 2022 को केस दर्ज किया. इसमें पैसों की हेराफेरी का आरोप भी लगा इसलिए मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए ईडी ने भी केस दर्ज कर लिया. मुख्य सचिव ने अपनी रिपोर्ट में मनीष सिसोदिया पर गलत तरीके से शराब नीति तैयार करने का आरोप लगाया था.
बता दें उस समय मनीष सिसोदिया के पास आबकारी विभाग भी था. आरोप लगाया गया कि नई नीति के जरिए लाइसेंसधारी शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया. वहीं 21 मार्च को ईडी ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इस घोटाले का मुख्य सरगना बताते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रचार के लिए केजरीवाल को 21 दिन की बेल दी. जिसके बाद उन्हें 2 जून को फिर से सरेंडर कर दिया.
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