राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में पीने की पानी की समस्या दिन प्रतिदिन गहराती जा रही है. चिलचिलाती गर्मी में राजधानी के निवासी प्यास से त्राहिमाम कर रहे हैं. लोगों का ज्यादातर समय पानी भरने में बर्बाद हो रहा है. कई इलाकों में तो लोग टैंकर पर ही निर्भर है. टैंकर आते ही लंबी- लंबी लाइनें लग जाती है. इतना ही नहीं पानी की वजह से आपस में मारपीट की नौबत तक आ जाती है. दिल्ली वाले बूंद बूंद पानी को तरस रहे हैं. लेकिन दिल्लीवालों की मुसीबत को कम करने की बजाय राज नेता अपनी राजनीतिक रोटी सैंकने से बाज नहीं आ रही हैं.
चरम पर आरोप- प्रत्यारोप की राजनीति
दिल्ली वालों को स्वच्छ पानी उपलब्ध कराना दिल्ली जल बोर्ड का काम है. जो दिल्ली सरकार के अंतर्गत आता है. लेकिन दिल्ली सरकार, हरियाणा पर पानी नहीं देने का आरोप लगा रही है. दिल्ली की सत्ता पर काबिज केजरीवाल सरकार का कहना है कि हरियाणा सरकार, दिल्ली के हक का पानी नहीं दे रही है. आम आदमी पार्टी के नेताओं का कहना है कि हरियाणा की बीजेपी सरकार ने दिल्ली के 1005 एमजीडी पानी में से भी 100 एमजीडी पानी रोक दिया. 100 एमजीडी पानी का मतलब है कि आज दिल्ली को 46 करोड़ लीटर पानी नहीं मिल रहा है.
दिल्ली को मिले ज्यादा पानी- गोपाल राय
दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री गोपाल राय ने कहा कि इस साल पूरा देश और दिल्ली गर्मी की प्रचंड मार को झेल रहे हैं. देश में नदियों के जल का बंटवारा कर यह तय किया गया कि किस राज्य को कितना पानी मिलेगा. 30 साल पहले जब दिल्ली के लिए प्रतिदिन 1005 एमजीडी पानी निर्धारित किया गया था, तब दिल्ली की आबादी लगभग 1 करोड़ थी, लेकिन 30 साल बाद आज दिल्ली की आबादी 3 करोड़ हो गई है. अभी भी दिल्ली को उतना ही पानी दिया जाता है. उन्होंने आरोप लगाया कि उसमें से भी हरियाणा सरकार ने 100 एमजीडी पानी रोक दिया.
दिल्ली को दे रहे आवश्यकता से अतिरिक्त पानी- हरियाणा
वहीं दिल्ली में जारी जल संकट के बीच हरियाणा के जल संसधान मंत्री अभय सिंह यादव ने कहा है कि दिल्ली में पानी की समस्या आम आदमी पार्टी सरकार के “आंतरिक कुप्रबंधन” के कारण पैदा हुई है. उन्होंने कहा कि हरियाणा वर्तमान में दिल्ली को 1,050 क्यूसेक पानी की आपूर्ति कर रहा है, जो 719 क्यूसेक के अनिवार्य आवंटन से अधिक है.
जल मंत्री आतिशी का अनशन जारी
दिल्ली की जल मंत्री आतिशी ने हरियाणा से पानी नहीं मिलने पर दिल्ली के भोगल इलाके में पानी सत्याग्रह शुरू किया है. आतिशी का कहना है कि दिल्ली को कुल 1005 एमजीडी पानी मिलता है, जो दिल्ली के घरों में सप्लाई किया जाता है. इसमें से 613 एमजीडी पानी हरियाणा से आता है, लेकिन कई हफ्तों से हरियाणा केवल 513 एमजीडी ही पानी छोड़ रहा है,” इसके कारण दिल्ली में 28 लाख से अधिक लोगों को पानी नहीं मिल रहा है. मैंने सब कुछ करने की कोशिश की, लेकिन जब हरियाणा सरकार पानी की आपूर्ति करने के लिए सहमत नहीं हुई, तो मेरे पास अनशन पर बैठने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था.”आतिशी का कहना है कि जबतक हरियाणा से दिल्लीवालों के हक का पानी नहीं मिलेगा तबतक उनका अनशन जारी रहेगा. वहीं अनशन के तीसरे दिन आतिशी की तबीयत भी बिगड़ने लगी है. डॉक्टर्स ने उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की सलाह दी है.
आतिशी के अनशन पर उपराज्यपाल का पलटवार
जल मंत्री आतिशी के अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठने के बाद उप-राज्यपाल ने आम आदमी पार्टी पर दिल्ली के जल संकट को जबरन एक राजनीतिक मुद्दा बनाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि जल संकट के जरिए आम आदमी पार्टी पड़ोसी राज्यों को बदनाम करने की कोशिश कर रही है. उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि दुर्भाग्य से, दिल्ली सरकार ने न तो जल नेटवर्क में सुधार और क्षमता में वृद्धि सुनिश्चित करने में गंभीरता दिखाई, न ही बातचीत का रास्ता चुना.
AAP नेताओं ने PM मोदी को लिखी चिट्ठी
दिल्ली को उसके हक का पूरा पानी दिलाने की मांग को लेकर अरविंद केजरीवाल सरकार के कैबिनेट मंत्रियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है. साथ ही, दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना से भी अपील की है कि वे उनके साथ वजीराबाद बैराज का संयुक्त दौरा करें, ताकि सच्चाई जान सकें कि हरियाणा सरकार दिल्ली को कितना पानी दे रही है.
पानी के लिए पड़ोसी राज्यों पर निर्भर दिल्ली
दिल्ली में पानी का अपना कोई स्रोत नहीं है. पांच राज्य मिलकर दिल्ली में 90 फीसदी पीने के पानी की सप्लाई करते हैं. यहां हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब का पानी पहुंचता है. पंजाब से भाखरा नांगल बांध के जरिए यहां पानी पहुंचता है. उत्तर प्रदेश की बात करें तो गंगा नदी और उत्तराखंड में टिहरी डैम के जरिए दिल्ली को पानी मिलता है. हरियाणा की तरफ से यमुना के जरिए पानी पहुंचता है. राजधानी दिल्ली को उत्तर प्रदेश में ऊपरी गंगा नहर के जरिए रोजाना 470 क्यूसेक पानी मिलता है. वहीं, यमुना और रावी-ब्यास नदियों से शहर को 1,049 क्यूसेक पानी की आपूर्ति होती है.
दिल्ली जल बोर्ड भी यमुना से पानी लेता है. राजधानी अपनी जरूरत का 41 फीसदी पानी यमुना, 27 फीसदी पानी ऊपरी गंगा नहर, 24 फीसदी पानी भाखड़ा स्टोरेज और 9 प्रतिशत ट्यूबवेल से करती है.
दिल्ली में जल संकट का कारण
दरअसल दिल्ली के आसपास के क्षेत्रों की नदियों या तो सूख चुकी हैं या फिर उनका पानी पीने लायक नहीं बचा है. जल प्रदूषण अपने चरम पर पहुंचने के कारण पीने के पानी की समस्या के समाधान के लिए राजधानी को पड़ोसी राज्यों पर निर्भर होना पड़ रहा है.
दिल्ली सरकार की लापरवाही
राजधानी के कई इलाकों में जल बोर्ड की पाइप लाइन क्षतिग्रस्त है. इनमें से बहुत सारा पानी बर्बाद हो रहा है. वहीं दिल्ली में पानी माफियाओं का बोलबाला है. वो पानी की चोरी कर ज्यादा दामों में बेचकर आपदा में अवसर तलाश कर अपनी जेब भर रहे हैं. सरकार इन माफियाओं पर नकल कसने में असफल रही है.
पानी उपलब्ध कराने में सरकार की दिलचस्पी नहीं
गर्मी की शुरुआत से पहले ही जल बोर्ड ने 587 ट्यूबवेल लगाने की योजना बनाई थी. पहले चरण में कुछ इलाकों में ट्यबवेल लगाए भी गए. योजना के दूसरे चरण में 259 ट्यूबवेल लगने थे. इसके लिए जल बोर्ड को 1800 करोड़ रुपए की आवश्यकता थी. योजना को आगे बढ़ाने के लिए जल बोर्ड ने दिल्ली सरकार के वित्त विभाग को लेटर लिखा था, लेकिन पैसों की पूर्ति नहीं हो पाई और ट्यूबवेल लगाने का काम नहीं पूरा हो पाया.
सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है मामला
दिल्ली जल संकट का मामला सुप्रीम कोर्ट की दहलीज पर भी पहुंच चुका है. सर्वोच्च न्यायलय ने पानी की बर्बादी और टैंकर माफिया के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए फटकार लगाई और कार्रवाई करने का आदेश दिया तो वहीं एससी ने अपर यमुना बोर्ड की बैठक में कोई स्थायी हल निकालने का भी सुझाव दिया था. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल को दिल्ली के लिए अतिरिक्त पानी छोड़ने को भी कहा था. लेकिन दिल्ली सरकार का कहना है कि उन्हें पानी उपलब्ध नहीं कराया गया. दिल्ली के लोग पानी के लिए तरस रहे हैं. अब दिल्ली के मंत्रियों और विधायकों ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर पानी दिलवाने की मांग की है.
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