नई दिल्ली: दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन ने मनी लांड्रिंग मामले में अपनी डिफॉल्ट जमानत पर सुनवाई टालने के दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता वाली वेकेशन बेंच ने दिल्ली हाई कोर्ट से कहा कि इस याचिका पर जल्द से जल्द फैसला किया जाए.
सुनवाई के दौरान सत्येंद्र जैन की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि डिफॉल्ट जमानत पर सुनवाई करते हुए 28 मई को दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनवाई टालते हुए 9 जुलाई तक के लिए सुनवाई टाल दी थी. सिंघवी ने कहा कि हाई कोर्ट को जमानत याचिका पर सुनवाई को इतने लंबे समय तक के लिए नहीं टालना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस मामले में कानून का एक महत्वपूर्ण बिंदु है कि डिफॉल्ट जमानत नहीं देने के लिए क्या जांच एजेंसी अधूरी चार्जशीट दाखिल कर सकती है. सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच इस मसले पर विचार कर रही है.
तब जस्टिस प्रशांत मिश्रा ने कहा कि जब ऐसे सवाल पर तीन सदस्यीय बेंच सुनवाई कर रही है तो क्या दो सदस्यीय बेंच का इस पर सुनवाई करना उचित होगा. जस्टिस प्रशांत मिश्रा ने सिंघवी से हाई कोर्ट के अंतिम आदेश का इंतजार करने की सलाह दी. उसके बाद कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट को निर्देश दिया कि वो सत्येंद्र जैन की डिफॉल्ट जमानत पर कानून के मुताबिक जल्द फैसला करे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जमानत की याचिकाओं को अनावश्यक टालना नहीं चाहिए.
इस मामले में सत्येंद्र जैन को 30 मई, 2022 को गिरफ्तार किया गया था. 27 जुलाई, 2022 को ईडी ने सत्येंद्र जैन समेत छह लोगों और चार कंपनियों को आरोपी बनाया था, जिनमें सत्येंद्र जैन, सत्येंद्र जैन की पत्नी पूनम जैन, सत्येंद्र जैन के करीबी वैभव जैन, अंकुश जैन, सुनील कुमार जैन, अजित कुमार जैन के अलावा अकिंचन डवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड, प्रयास इंफोटेक प्राइवेट लिमिटेड और जेजे आईडियल नामक कंपनियां हैं.
हिन्दुस्थान समाचार
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