ओम बिरला 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष चुने लिए गए. इसी के साथ ओम बिरला ने इतिहास रच दिया है. वह पहले ऐसे सासंद बन गए हैं जो लगातार दो बार लोकसभा के अध्यक्ष चुने गए. एनडीए ने ओम बिरला को अपना उम्मीदवार बनाया था. उन्होंने अपने खिलाफ खड़े हुए INDI Alliance के प्रत्याशी के. सुरेश को हरा दिया. ओम बिरला को ध्वनिमत से चुना गया.
ओम बिरला तीसरी बार सांसद
ओम बिरला ने कोटा बूंदी लोकसभा सीट से तीसरी बार लोकसभा चुनाव जीता है. उन्होंने बीजेपी से बागी होकर कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व विधायक प्रह्लाद गुंजन को 41974 वोटों से शिकस्त दी थी. वह कोटा के इतिहास में वैद्य दाऊदयाल जोशी जी के बाद लगातार तीन बार विधानसभा और तीन बार लोकसभा चुनाव जीतने वाले पहले नेता हैं.
किन-किन पदों पर रहे ओम बिरला?
बता दें कि वर्ष 2019 में वह 17वीं लोकसभा में कोटा बूंदी लोकसभा क्षेत्र से सासंद चुने गए और 19 जून को वह सर्वसम्मति से 17वीं लोकसभा के अध्यक्ष चुने गए. वर्ष 2014 में 16वीं लोकसभा में भी वह इसी क्षेत्र से सांसद चुने गए थे. वर्ष 2003, 2008 और 2013 में राजस्थान विधानसभा में वह कोटा और कोटा दक्षिण विधानसभा क्षेत्र से लगातार तीन बार विधायक चुने गए थे.
इसके अलावा साल 2009-10 में वह राजकीय उपक्रम समिति के सदस्य और सामान्य प्रयोजनों संबधी समिति के सदस्य रहे. 1978-1979 तक वह राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, गुमानपुरा, कोटा के छात्र संघ अध्यक्ष रहे. 1997-2003 के दौरान उन्होंने भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद संभाला. 1993-1997 तक वह भारतीय जनता युवा मोर्चा के राजस्थान प्रदेश के अध्यक्ष रहे और 1987-1991 तक वह भारतीय जनता युवा मोर्चा कोटा जिलाध्यक्ष रहे.
इसके अलावा 2002-2004 तक वह राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लि. नई दिल्ली के उपाध्यक्ष रहे. 1992-2004 तक वह राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लि. नई दिल्ली के डायरेक्टर रहे. 1992-1995 तक वह राजस्थान राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ लि, जयपुर के अध्यक्ष रहे. 1987-1995 तक वह कोटा सहकारी उपभोक्ता होलसेल भण्डार लि., कोटा के अध्यक्ष रहे.
ओम बिरला के नाम रिकॉर्ड
ओम बिरला ऐसे पहले लोकसभा अध्यक्ष हैं, जिनके नाम पर नए और पुराने दोनों संसद भवनों में काम करने का रिकॉर्ड बना है. बता दें कि 17वीं लोकसभा में उनका कार्यकाल काफी चर्चा में रहा. क्योंकि उनके अध्यक्ष रहते ही टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा को संसद से निष्कासित कर दिया गया था तो वहीं बड़ी तादात में सांसदों को भी सस्पेंड किया गया था. बिरला के कार्यकाल में अनुच्छेद 370 खत्म होने, नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू होने, तीन आपराधिक कानून लागू होने समेत अनेक अहम विधायी कामकाज हुए. ओम बिरला ऐसे इकलौते लोकसभा अध्यक्ष रहे, जिनके कार्यकाल में कोई भी लोकसभा उपाध्यक्ष नहीं चुना गया.
बिरला के कार्यकाल में उपलब्धियां
- कोरोना महामारी के बीच आयोजित 17वीं लोकसभा के चौथे सत्र की उत्पादकता 167% रही, जो लोकसभा के इतिहास में सबसे अधिक है.
- बिरला के कार्यकाल यानी 17वीं लोकसभा की उत्पादकता 97% रही, जो पिछले 25 सालों में सबसे अधिक है.
- उनके कार्यकाल में संसद के संचालन में वित्तीय अनुशासन को प्रोत्साहित कर 801 करोड़ की बचत की गई.
- बिरला के कार्यकाल के दौरान 222 विधेयक कानून बने, जो पिछली तीन लोकसभा में सबसे अधिक है.
- उनके कार्यकाल के दौरान विधेयकों पर कुल 440.54 घंटे चर्चा हुई, जो पिछली चार लोकसभा में सबसे अधिक है.
- 17वीं लोकसभा के दौरान विभिन्न विधेयकों पर कुल 2910 सदस्यों ने चर्चा की, जो पिछली चार लोकसभा में सबसे अधिक है.
- इसके अलावा ज्ञान के समृद्ध कोष संसद की लाइब्रेरी को 17 अगस्त 2022 से आमजन के लिए खोल दिया गया.
सामाजिक कार्य
ओम बिरला ने कोटा शहर में IIT की स्थापना के लिए बड़े स्तर पर जनआंदोलन किया था. बूंदी जिले को चंबल नदी का पानी उपलब्ध कराने के लिए भी उन्होंने आंदोलन किया था. राजस्थान एटोमिक पावर प्लांट रावतभाटा में स्थानीय लोगों को रोजगार के लिए तो वहीं क्षेत्र के विकास के लिए उन्होंने बड़े स्तर पर जन आंदोलन किया था.
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