बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने 47 दिन यानि लगभग डेढ़ महीने बाद फिर एक बार अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी में बड़ी जिम्मेदारी दी है. मायावती ने बसपा में नई जान फूंकने के लिए आकाश को फिर से उत्तराधिकारी घोषित किया है साथ ही लगे हाथ बहनजी ने उन्हें पार्टी का नेशनल कोऑर्डिनेटर भी बना दिया है. इससे ये तो स्पष्ट हो गया है कि बसपा में मायावती के बाद नंबर 2 के पद पर आकाश आनंद ही है.
लोकसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त और भीम आर्मी के प्रमुख और नगीना लोकसभा सीट से नवनिर्वाचित सांसद चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण का बढ़ता सियासी कद मायावती के लिए चुनौती बनता जा रहा है. चंद्रशेखर ने इसबार मायावती के पारंपरिक वोट में जो सेंध लगाई है उससे मायावती की मुश्किलें बढ़ गई है. ऐसे में चंद्रशेखर की काट ढूंढना मायावती के लिए चुनौती है. मायावती ने चंद्रशेखर के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए ही आकाश को फिर से मैदान में उतारा है.
चंद्रशेखर आजाद बने बसपा के लिए चुनौती
चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण ने बसपा का गढ़ कही जाने वाली बिजनौर जिले की नगीना लोकसभा सीट पर एक लाख 52 हजार वोट के बड़े अंतर से जीत दर्ज की है. मायावती ने चंद्रशेखर के खिलाफ अपने उम्मीदवार सुरेंद्र पाल सिंह को उतारा था लेकिन चंद्रशेखर के आगे वो जीत नहीं सके. बता दें चंद्रशेखर ने बसपा के संस्थापक रहे ‘कांशीराम जी के सपने’ नामक लाइन से ही चुनाव प्रचार की शुरूआत की थी.
अपने आपको दलितों की सबसे बड़ी हितैषी कहलाने वाली मायावती की सियासी जमीन अब यूपी में खिसकती जा रही है. मायावती की पार्टी इस समय अपने सबसे नाजुक दौर से गुजर रही है. राजनीति के जानकरों का मानना है कि बसपा से नेशनल पार्टी का खिताब भी बहुत जल्द छीन सकता है. ऐसे में अब चंद्रशेखर के आ जाने से उन्हें खासकर पश्चिम उत्तर प्रदेश में जबरदस्त नुकसान हुआ है.
वहीं अखिलेश यादव और राहुल गांधी की PDA यानि पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक के फॉर्मूले से भी बसपा का वोट बैंक छिटका है. ऐसे में मायावती को सपा के साथ- साथ भीम आर्मी से भी पार पाना चुनौती होगी.
आकाश को क्यों दी जिम्मेदारी?
युवा नेता आकाश आनंद को मायावती ने अपना उत्तराधिकारी बनकर एक खास दांव खेला है. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि जिस तेवर के साथ चंद्रशेखर रैलियों में भाषण देते हैं. वैसे ही आक्रमक शैली आकाश की है. हाल ही में लोकसभा चुनाव में प्रचार करते समय आकाश की इस भाषण शैली की चर्चा भी खूब हुई थी. कई राजनीतिक विशलेषकों का ये भी मानना है कि आकाश ने कुछ आक्रमक अंदाज में कुछ बात कह दी थी उन्हें पार्टी में अपने पद से हाथ धोना पड़ा था.
लेकिन महज डेढ़ महीने के बाद मायावती को लगने लगा कि अगर पार्टी को बचाना है और चंद्रशेखर के बढ़ते कद से पार पानी है तो फिर से आकाश को मैदान में लाना ही होगा.
दूसरी ओर चंद्रशेखर अभी तक सीधे मायावती पर हमलावर होने से बचते थे, अगर आकाश आनंद उनका नाम लेते हैं तो फिर चंद्रशेखर के निशाने पर भाजपा, सपा और कांग्रेस ही नहीं बल्कि बसपा भी होगी. और आकाश आनंद-चंद्रशेखर की सियासी लड़ाई में जो जीतेगा, वही फिलहाल दलितों का शुभचिंतक माना जाएगा.
47 दिन में आकाश हुए मैच्योर
7 मई 2024 को लोकसभा चुनाव के दौरान मायावती ने आकाश आनंद पर कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर का पद से बर्खास्त कर दिया साथ ही उनसे उत्तराधिकारी का पद भी छिन लिया और आकाश आनंद के परिपक्व नहीं होने की वजह भी बताई थी. मायावती ने उससमय कहा था कि आकाश आनंद परिपक्व नहीं हैं. लेकिन 47 दिन बाद फिर से उन्हें उत्तराधिकारी के साथ ही नेशनल कोऑर्डिनेटर के पद पर भी बहाल कर दिया गया.
उप-चुनाव पर बसपा की पैनी नजर
यूपी की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों में मायावती ने अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है. मायावती की नजर इन सभी सीटों को जीतने की है. जाहिर है कि आकाश को इन सीटों पर चयनित प्रत्याशियों को जीताने की जिम्मेदारी होगी और उन्हें यूपी में बसपा को नए सिरे से खड़ा करने की चुनौती भी होगी
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