नई दिल्ली: दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट के ड्यूटी जज अमिताभ रावत ने दिल्ली आबकारी घोटाला मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सीबीआई हिरासत में भेजने की मांग पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट में करीब बीस मिनट की पूछताछ के बाद सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि केजरीवाल को औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया गया है. दोनों पक्षों में लंबी बहस के बाद सीबीआई ने पांच दिनों की हिरासत की मांग की है.
सीबीआई अरविंद केजरीवाल को आज सुबह तिहाड़ जेल से लेकर राऊज एवेन्यू कोर्ट पहुंची. कोर्ट में अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल भी मौजूद थीं. केजरीवाल की ओर से पेश वकील विवेक जैन ने कोर्ट से कहा कि पूछताछ के लिए सीबीआई की ओर से दाखिल अर्जी की प्रति देने के लिए याचिका दायर की जा रही है. केजरीवाल की ओर से पेश वकील विक्रम चौधरी ने कहा कि ये मामला संवेदनशील मामलों में से एक है और ये न्यायशास्त्र के इतिहास में दर्ज होगा. चौधरी ने कहा कि सीबीआई ने काफी पक्षपातपूर्ण तरीके से काम किया है. न्यायिक हिरासत में एक व्यक्ति को दूसरे केस में भी गिरफ्तार किया जा सकता है, लेकिन प्रक्रियाओं का पालन करके.
विक्रम चौधरी ने इस मामले को कल तक के लिए टालने की मांग की, ताकि केजरीवाल की लीगल टीम इस पर तैयारी कर सके. इसका सीबीआई की ओर से पेश वकील डीपी सिंह ने विरोध करते हुए कहा कि ये आरोप गलत हैं. ये कार्रवाई हम चुनाव के पहले या चुनाव के दौरान कर सकते थे लेकिन ऐसा नहीं किया. सीबीआई ने कोर्ट की अनुमति से कार्रवाई की है. सीबीआई ने कहा कि जांच के दौरान हमें ये बताने की जरूरत नहीं है कि हम जांच के लिए जा रहे हैं. हम हिरासत के लिए कोर्ट से मांग कर सकते हैं, क्योंकि आरोपी अभी कोर्ट की हिरासत में है. हम आरोपी को ये बात बताने के लिए बाध्य नहीं हैं. हमें केवल कोर्ट की अनुमति की जरूरत है, क्योंकि जांच हम कर रहे हैं.
इस पर विक्रम चौधरी ने कहा कि हम कोर्ट के आदेश पर कुछ नहीं कह रहे हैं लेकिन हमें अर्जी और आदेश की प्रति चाहिए, ताकि हम उसकी तैयारी करके आ सकें. इस पर कोर्ट ने चौधरी से कहा कि केजरीवाल न्यायिक हिरासत में थे, इसलिए सीबीआई ने पूछताछ के लिए आवेदन दायर किया था. तब चौधरी ने कहा कि हमें आवेदन का कंटेंट पढ़ने की जरूरत है. तब कोर्ट ने कहा कि सीबीआई ने 25 जून को आरोपी के खिलाफ प्रोडक्शन वारंट जारी करने के लिए आवेदन दायर किया था, ताकि वे औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर सकें. उसके बाद कोर्ट ने सीबीआई को केजरीवाल से पूछताछ करने की अनुमति दे दी. कोर्ट में करीब बीस मिनट की पूछताछ के बाद सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया गया है.
सीबीआई की ओर से वकील डीपी सिंह ने कोर्ट से कहा कि कई गवाहों के बयान हैं कि एक व्यक्ति केजरीवाल से दिल्ली आबकारी नीति के बारे में मिलता है. ऐसा इस नीति के बनने के पहले भी हुआ. डीपी सिंह ने मगुंटा रेड्डी के बयानों का जिक्र किया. डीपी सिंह ने कहा कि सीबीआई के पास इस बात के साक्ष्य हैं कि साउथ ग्रुप ने बताया कि आबकारी नीति कैसे तैयार की जाए. उस समय कोरोना अपने चरम पर था और लोग मर रहे थे. उन्होंने एक रिपोर्ट बनाई और अभिषेक बोइनपल्ली को दी. ये रिपोर्ट विजय नायर के जरिये मनीष सिसोदिया को दी गई.
डीपी सिंह ने कहा कि कोरोना के दौरान जल्दबाजी में नोटिफिकेशन जारी किया गया. इसके पीछे अरविंद केजरीवाल का हाथ था. तब कोर्ट ने पूछा कि आप कह रहे हैं कि आबकारी नीति साउथ ग्रुप के प्रभाव में बनाई गई. जब भी नीति बनती है तो उसका एक प्रारूप तय होता है. तब डीपी सिंह ने कहा कि आम तौर पर ये नीति पहले अफसरों से होकर गुजरती है लेकिन असहमति जताने वाले अफसरों को बदल दिया गया. जब नए अफसर आए तो उनसे जो कहा गया, वो उन्होंने किया.
तब कोर्ट ने कहा कि ये बताएं कि इसकी प्रक्रिया क्या है और फाइल कैसे देखी जाती है. तब डीपी सिंह ने कहा कि सबसे पहले संबंधित विभाग इसका अध्ययन करता है और एक ड्राफ्ट तैयार करता है. वे अलग-अलग मॉडल पर चर्चा करते हैं. तब कोर्ट ने पूछा कि आप कह रहे हैं कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. इस पर डीपी सिंह ने कहा कि आबकारी आयुक्त की रिपोर्ट में कहा गया कि दिल्ली में शराब के व्यवसाय का निजीकरण नहीं किया जाना चाहिए. तब कोर्ट ने पूछा कि ये रिपोर्ट मंत्री को भेजी गई और उसे बदल दिया गया. तब डीपी सिंह ने कहा कि नहीं. उन्होंने आम लोगों की राय मांगी और जनता की राय बताने में फर्जीवाड़ा किया गया. आम लोगों की आड़ में आम आदमी पार्टी के सदस्य राय दे रहे थे.
कोर्ट ने पूछा कि जब वो रिपोर्ट मंत्रियों के समूह को दी गई तो उसके बाद क्या हुआ. तब डीपी सिंह ने कहा कि एक विशेषज्ञ कमेटी बनाई गई कि कैसे और किस तरह की बनानी है. डीपी सिंह ने कहा कि मंत्रियों के समूह ने जिस नीति को मंजूरी दी, वो वही थी जो साउथ ग्रुप ने तैयार की थी. किसी भी बैठक के कोई मिनिट्स नहीं थे. शराब की थोक बिक्री पर कोई चर्चा नहीं हुई. डीपी सिंह ने कहा कि साउथ ग्रुप दिल्ली आया और ओबेराय होटल में रुका. इस दौरान मनीष सिसोदिया ने एक नोट तैयार किया. उसी दिन साउथ ग्रुप ने उसे कंप्यूटर पर देखा और उसके प्रिंटआउट लिये.
कोर्ट ने पूछा कि कितने आरोपी हैं. तब सीबीआई ने कहा कि 17 के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है. कोर्ट ने पूछा कि केजरीवाल के खिलाफ क्या तथ्य हैं. तब सीबीआई ने कहा कि वे राघव मगुंटा से दिल्ली सचिवालय में मिले और उसके बाद विजय नायर से. रेड्डी ने केजरीवाल से शराब के व्यापार में मदद मांगी. केजरीवाल ने उन्हें आबकारी नीति में मदद का भरोसा दिया और मगुंटा से आम आदमी पार्टी के लिए पैसे की मांग की. तब कोर्ट ने पूछा कि इसका साक्ष्य क्या है. तब डीपी सिंह ने कहा कि मगुंटा रेड्डी हमारा गवाह है. मगुंटा को के. कविता से मिलने के लिए कहा गया. तब कोर्ट ने पूछा कि क्या आपके पास अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 164 का बयान है. तब डीपी सिंह ने कहा कि हां.
डीपी सिंह ने कहा कि ऐसा सब कुछ केजरीवाल की जानकारी में हुआ. केजरीवाल ने विजय नायर को पहचानने से इनकार कर दिया कि वो उनके अधीन काम करता था. केजरीवाल के मुताबिक विजय नायर आतिशा मार्लेना और सौरभ भारद्वाज के अधीन काम करता था. केजरीवाल ने सारा कुछ मनीष सिसोदिया के ऊपर डाल दिया और कहा कि हमें आबकारी नीति की कोई जानकारी नहीं है. डीपी सिंह ने कहा कि हमें दस्तावेज सामने रखकर केजरीवाल से पूछताछ करनी है. इसलिए हिरासत की जरूरत है. सीबीआई ने कहा कि केजरीवाल से गोवा में पैसों के इस्तेमाल के बारे में भी पूछताछ करनी है. सीबीआई ने कहा कि गोवा में केजरीवाल के ठहरने के दौरान एक व्यक्ति ने पैसों का भुगतान किया. सीबीआई ने केजरीवाल की पांच दिनों की हिरासत की मांग की.
कोर्ट में सुनवाई एक दौरान केजरीवाल ने कहा कि उनका शुगर लेवल डाउन जा रहा है, इसलिए मुझे चाय और बिस्कुट लेना है. कोर्ट ने इसकी इजाजत दे दी. केजरीवाल की ओर से विक्रम चौधरी ने कहा कि सीबीआई ने जो केस बनाया है, वो है ही नहीं. चौधरी ने कहा कि कोर्ट को ये देखना है कि क्या केजरीवाल को गिरफ्तार करने की जरूरत है और उसके बाद हिरासत में पूछताछ की जरूरत है.
चौधरी ने कहा कि कोर्ट को ये देखना होगा कि क्या अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए का पालन हुआ है. अगर अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 41ए का पालन नहीं किया गया है तो गिरफ्तारी को गैरकानूनी करार दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि सीबीआई ने उन्हें 17 अगस्त, 2022 के बाद 16 अप्रैल, 2023 को बुलाया गया. 16 अप्रैल, 2023 के बाद केजरीवाल को सीबीआई ने कभी नहीं बुलाया और अब गिरफ्तार किया गया. इस गिरफ्तारी के पहले कोई नोटिस नहीं दिया गया. सीबीआई ने चार चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें केजरीवाल को आरोपी नहीं बनाया गया. चौधरी ने कहा कि इस समय गिरफ्तारी की क्या जरूरत है.
चौधरी ने कहा कि केजरीवाल को 21 जून को ट्रायल कोर्ट ने मनी लांड्रिंग मामले में जमानत दी. सीबीआई को जब अप्रैल में केजरीवाल के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति मिल चुकी थी तो अभी क्यों गिरफ्तार किया जा रहा है. इस बीच 10 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी थी. उसके बाद 2 जून को केजरीवाल ने सरेंडर किया. इसके बाद जब 21 जून को ट्रायल कोर्ट से केजरीवाल को जमानत दी जाती है तो हाई कोर्ट ने उस पर रोक लगा दी और अब सीबीआई हिरासत की मांग कर रही है. ये केवल उन्हें जेल में रखने का तरीका है. ऐसे में केजरीवाल को गिरफ्तार करने की कोई जरूरत नहीं है.
चौधरी ने कहा कि ये जांच अधिकारी तय नहीं करेगा कि किसे कब गिरफ्तार किया जाए और कब नहीं. इसकी न्यायिक प्रक्रिया होती है. चौधरी ने गिरफ्तारी की मांग के लिए सीबीआई की ओर से बताई गई वजह का जिक्र किया, जिसमें कहा गया है कि केजरीवाल जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. चौधरी ने पंकज बंसल पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि अगर कोई जांच में सहयोग नहीं कर रहा है तो उसे गिऱफ्तार नहीं किया जा सकता है. मनी लांड्रिंग एक्ट की धारा 50 के तहत किसी भी आरोपी को जवाब नहीं देने का अधिकार है. चौधरी ने कहा कि सीबीआई कह रही है कि केजरीवाल कुछ छिपा रहे हैं तो वो तथ्य क्या हैं.
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हिन्दुस्थान समाचार
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