10 साल बाद लोकसभा में आधिकारिक तौर पर विपक्ष का नेता होने जा रहा है. विपक्षी गठबंधन ने राहुल गांधी को सर्वसम्मति से विपक्ष का नेता चुन लिया है. 16वीं और 17 वीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की सीट खाली पड़ी थी लेकिन एक दशक के बाद 18वीं लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का इंतजार खत्म हो गया है.
बता दें नवनिर्वाचित लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने 10 साल बाद राहुल गांधी को नेता विपक्ष के रूप में मान्यता दी. राहुल गांधी का नेता प्रतिपक्ष का दर्जा 9 जून, 2024 से प्रभावी रहेगा. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को मंगलवार यानि 25 जून को विपक्ष का नेता बनाया गया था. पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने उनके नाम की घोषणा की थी.
गांधी परिवार से तीसरा व्यक्ति बना नेता प्रतिपक्ष
राहुल, गांधी परिवार से तीसरे व्यक्ति हैं जो नेता प्रतिपक्ष के रूप में कार्य करेंगे. उनसे पहले उनकी मां सोनिया गांधी अटल बिहारी सरकार के समय साल 1999 से 2004 तक नेता प्रतिपक्ष रही थी. वहीं राजीव गांधी भी 18 दिसंबर 1989 से 24 दिसंबर 1990 तक विपक्ष के नेता रहे हैं.
आधिकारिक विपक्ष के लिए चाहिए 55 सीट
लोकसभा या राज्यसभा में आधिकारिक विपक्ष का दर्जा पाने के लिए किसी विपक्षी दल को सदन की कुल ताकत का 10 प्रतिशत सीट होना अनिवार्य है. तभी उसे आधिकारिक विपक्ष माना जाएगा. साल 2014 में कांग्रेस को 44 वहीं 2019 में 52 सीटें मिली थी. लेकिन इस बार कांग्रेस पार्टी ने 99 सीटें जीतकर आधिकारिक विपक्ष की मान्यता प्राप्त कर ली है.
इंडिया गठबंधन की बैठक में राहुल को चुना नेता प्रतिपक्ष
नई दिल्ली स्थित कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आवास पर इंडिया गठबंधन के नेताओं की बैठक हुई जिसमें राहुल गांधी को विपक्ष का नेता चुना गया. बता दें राहुल गांधी पांच बार सांसद रह चुके हैं और वर्तमान में लोकसभा में रायबरेली निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.
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