पंजाब में कई बार राज कर चुका शिरोमणि अकाली दल दो फाड़ हो गया है. पार्टी के शीर्ष नेताओं ने अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर बादल के नेतृत्व पर सवाल खड़े कर दिए हैं, लेकिन जिला स्तरीय जत्थेदार तथा कुछ नेता अभी भी उनके साथ हैं. बुधवार को दिनभर अकाली दल के सभी गुटों में बैठकों का दौर चलता रहा.
पहले विधानसभा और अब लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद पार्टी की अंदरूनी कलह इतनी बढ़ी कि सुखबीर बादल ने आंतरिक कमेटी के सामने इस्तीफे की पेशकश तक कर डाली, लेकिन यह खबर खुलकर बाहर नहीं आई. करीब 104 साल पुराने शिरोमणि अकाली दल में यह पहला मौका नहीं है जब पार्टी में बिखराव हुआ है. पहले भी कई बार अकाली दल बिखरता रहा है. पंजाब के इतिहास में अकाली दल के नाम से कई दल बने, लेकिन सत्ता की सीढ़ी केवल शिरोमणि अकाली दल (बादल) ही चढ़ पाया है.
इस बार जिन नेताओं ने सुखबीर बादल के नेतृत्व पर सवाल उठाया है, उनमें पूर्व मंत्री सिकंदर सिंह मलूका, सुरजीत सिंह रखड़ा, बीबी जागीर कौर, प्रेम सिंह चंदूमाजरा आदि हैं. मंगलवार को सुखबीर बादल ने चंडीगढ़ में बैठक बुलाई तो बागी अकाली नेताओं ने जालंधर में बैठक करके सुखबीर बादल से इस्तीफे की मांग कर डाली. इसके चलते बुधवार को दिनभर अकाली दल के सभी गुटों में बैठकों का दौर चलता रहा.
बागियों का नेतृत्व कर रहे पूर्व सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने कहा कि 1 जुलाई को हम सभी अकाली नेता श्री अकाल तख्त साहिब में माथा टेकेंगे और वहीं से ‘शिरोमणि अकाली दल बचाओ’ लहर की शुरुआत करेंगे. इस यात्रा में हम अकाली दल के वरिष्ठ नेताओं को शामिल करेंगे. चंदूमाजरा ने सुखबीर सिंह बादल से अपील की कि वह कार्यकर्ताओं की भावनाओं को नजरअंदाज न करें, बल्कि उन्हें समझें. पार्टी मतदान के बाद फैसला लेगी.
इस बीच अकाली दल की सांसद हरसिमरत कौर बादल ने एक बयान जारी करके कहा कि पूरा शिरोमणि अकाली दल एकजुट है और सुखबीर बादल के साथ खड़ा है. हरसिमरत ने कहा कि भाजपा के कुछ पिट्ठू शिरोमणि अकाली दल को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. कुछ लोग महाराष्ट्र जैसा घटनाक्रम पंजाब में दोहराना चाहते हैं. 117 नेताओं में से सिर्फ 5 नेता ही सुखबीर बादल के खिलाफ हैं, जबकि 112 नेता पार्टी और सुखबीर बादल के साथ खड़े हैं. सभी निर्वाचन क्षेत्रों का नेतृत्व हमारे साथ है.
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हिन्दुस्थान समाचार
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