शराब घोटाले मामले में फंसे दिल्ली के मुख्यमंत्री और AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. ईडी के बाद अब सीबीआई ने भी उनपर शिकंजा कसा है. केंद्रीय जांच ब्यूरो ने राउज एवेन्यू कोर्ट में पेशी के बाद केजरीवाल को तीन दिन की रिमांड में ले लिया. अब सीबीआई शराब घोटाले में उनके रोल की जांच करेगी.
बता दें ईडी और सीबीआई दोनों ही शराब घोटाले में केजरीवाल की भूमिका की जांच कर रही हैं लेकिन दोनों ही इस केस के अलग-अलग पहलुओं की पड़ताल कर रही है. आइए जानते हैं दोनों जांच एजेंसियों द्वारा लगाए गए आरोपों के बारे में
CBI किन मामलों में कर रही जांच?
सीबीआई, नई शराब नीति को लागू करने में कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की जांच कर रही है. सीबीआई का आरोप है कि नर्ई शराब नीति को संशोधित करने में अनियमितताएं बरती गईं और लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया. केजरीवाल मुख्यमंत्री होने के नाते दिल्ली सरकार के प्रमुख हैं, इसलिए सीबीआई उन्हें भी अपनी जांच के घेरे में ले रही है.
ED पर केजरीवाल के आरोप
वहीं ईडी की जांच सीबीआई के उपरोक्त आरोपों पर ही आधारित है, जिसमें वह कथित अपराध से अर्जित आय की जांच कर रही है. ईडी का आरोप है कि अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने दिल्ली शराब नीति में हेरफेर करने के लिए साउथ ग्रुप के मेंबर्स से 100 करोड़ रुपए की रिश्वत ली थी.
ईडी ने ये भी आरोप लगाया कि AAP ने घोटाले के रुपयों का एक हिस्सा 2022 में गोवा विधानसभा चुनावों के दौरान इस्तेमाल किया. इस तरह AAP ने अपराध से अर्जित आय का इस्तेमाल करके मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध किया. अरविंद केजरीवाल AAP के कर्ताधर्ता हैं, इसलिए ईडी ने उन्हें भी आरोपी माना है.
केजरीवाल को मिल सकती है जमानत?
प्रवर्तन निदेशालय के पास पीएमएलए एक्ट की ताकत है. यह मनी लॉन्ड्रिंग को अपराध बनाता है. जिसमें कोर्ट की जमानत देता है. बता दें ईडी के PMLA एक्ट के तहत बिना किसी वारंट के अभियुक्त को गिरफ्तार कर सकता है.
वहीं सीबीआई के पास प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट की शक्ति है. इस एक्ट में आरोपी जमानत मांग सकता है, लेकिन तब तक रिहा नहीं किया जा सकता, जब तक कि सरकारी वकील इस जमानत के खिलाफ कोई तर्क न दे दे.
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