राजधानी दिल्ली में प्री- मानसून की एंट्री हो चुकी है. बारिश से मौसम सुहावना हो गया है. भीषण और चिलचिलाती गर्मी से परेशान दिल्ली वासियों को बारिश से राहत मिली है लेकिन एक तरफ जहां दिल्ली को गर्मी से छुटकारा मिला वहीं दूसरी तरफ वॉटर लॉगिंग की समस्या ने राजधानी की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया. दिल्ली के सभी कोने में घुटनों तक पानी भरा नजर आया. अंडर पास में पानी भरने से बस और वाहन फंसे नजर आए. साथ ही सड़कों पर कई किलोमीटर लंबा जाम भी देखने को मिला.
इतना ही नहीं लुटिंयस दिल्ली के वीवीआईपी इलाकों में जलभराव की समस्या देखने को मिली. कई मंत्रियों के घर के आगे पानी भरा होने से राजधानी के ड्रेनेज सिस्टम पर सवाल उठने लगे हैं. सबसे बड़ा मुद्दा ये है कि राजधानी में हर साल यही हालात पैदा होते हैं. बावजूद इससे सबक लेने के सिविक एजेंसियां और सरकारें एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं.
48 साल पुराना ड्रेनेज सिस्टम
राजधानी दिल्ली का ड्रेनेज सिस्टम 48 साल पुराना है. साल 1976 में दिल्ली के लिए ड्रेनेज का प्लान बनाया गया था. बता दें महज 20 सालों के लिए तैयार किया गया था लेकिन 48 साल बाद भी वहीं ड्रेनेज प्लान लागू है. 1976 में शहर की जनसंख्या 25 लाख के करीब हुआ करती थी लेकिन यह आबादी बढ़कर 3 करोड़ से ज्यादा हो गई है. ऐसे में एसी कमरों में बैठने वाले अधिकारियों और राजनेताओं को सोचना होगा कि 48 पुराना और बूढ़ा हो चुका ड्रेनेज सिस्टम अब कैसे काम कर सकता है.
नालों के जाम होने से समस्या
दिल्ली में बरसाती पानी की निकासी के लिए तीन मुख्य नाले हैं. इनमें एक ट्रांस यमुना, दूसरा बारापुला और तीसरा नजफगढ़ ड्रेन है. लेकिन इन नालों में ही लोग मलबा और पॉलीथिन डाल देते हैं, जिससे नाले जाम हो जाते हैं और बरसाती पानी की निकासी न होने से जलभराव की समस्या खड़ी हो जाती है.
कैसे होती है बरसात के पानी की निकासी
दिल्ली में बरसाती पानी की निकासी के लिए सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग, एमसीडी और पीडब्ल्यूडी के नाले हैं. छोटे नाले एमसीडी और पीडब्ल्यूडी के पास, जबकि बड़े नाले सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के पास हैं. बता दें एमसीडी के पास सबसे अधिक करीब तीन हजार छोटे नाले हैं. इन छोटे नालों का पानी सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग के बड़े नालों में गिरता है, जहां से यमुना में चला जाता है.
एजेंसियों की लापरवाही
सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग, एमसीडी और पीडब्ल्यूडी को मानसून से पहले नालों की सफाई करनी होती है. लेकिन ये एजेंसियां 10 से 20 प्रतिशत तक ही नालों की सफाई कर पाती है. जिसकी वजह से दिल्ली में जलभराव की समस्या देखने को मिलती है.
नया मॉस्टरप्लान बनाने की जरूरत
दिल्ली विकास प्राधिकरण के आयुक्त (योजन) रहे एके जैन का कहना है कि दिल्ली को एक बड़े मास्टर प्लान बनाने पर काम करने की जरूरत है. एके जैन कहते हैं कि ड्रेनेज सिस्टम के साथ 11 डिपार्टमेंट इन्वॉल्व होते हैं. इन सबको साथ बैठना पड़ेगा और नया मास्टर प्लान तैयार करना होगा. इनमें इरीगेशन फ्लड, पीडब्ल्यूडी, डीडीए, ट्रैफिक पुलिस, एमसीडी, हार्टिकल्चर, फारेस्ट और अर्बन डेवलपमेंट आदि डिपार्टमेंट को साथ बैठना होगा तभी बड़ा प्लान बन पाएगा.
तालाब बनाकर होगा स्थायी समाधान
दिल्ली को हर साल दरिया बनने से रोकने के लिए बने पारंपरिक तरीको को अपनाने की जरूरत है. पानी हमारी समस्या नहीं है, हमें पानी के लिए स्टोर करने के लिए तालाब बनाने की जरूरत है. जिससे ग्राउंड वाटर भी रिचार्ज हो सकेगा.
ये भी पढ़े-दिल्ली और NCR में तेज बारिश ने तोड़ा 88 वर्षों का रिकॉर्ड, पानी में डूबी राजधानी- Video
ये भी पढ़े-अगले 4 दिन दिल्ली के लिए भारी, राजधानी में तेज बारिश का अलर्ट जारी
कमेंट